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    14 हत्याएं कबूलने वाला राजा कोलंदर सजा सुनते ही मुस्कुराया:लखनऊ में जज से बोला- साहब, सजा मंजूर, खिलखिलाते हुए जेल गया

    2 months ago

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    सिर पर लंबी चोटी (शिखा), शरीर पर सफेद कुर्ता-पायजामा, कंधे पर लहराता हुआ गमछा। हंसते हुए नरभक्षी राम निरंजन उर्फ राजा कोलंदर ​​​​​​ जेल जाते वक्त गाड़ी में बैठा। उसके चेहरे पर न शिकन थी, न पछतावा। वह पुलिसकर्मियों से हंसते हुए बातचीत करता नजर आया। लखनऊ कोर्ट ने शुक्रवार को रायबरेली के रहने वाले मनोज सिंह (22) और उनके ड्राइवर रवि श्रीवास्तव की हत्या के मामले में कोलंदर और उसके साले वक्षराज को उम्रकैद की सजा सुनाई। कोलंदर ने अपनी सफाई में एक शब्द नहीं कहा, उल्टे खिलखिलाकर हंसने लगा। जेल जाते वक्त कोलंदर और वक्षराज हंसी-ठिठोली करते दिखाई दिए। कोलंदर और वक्षराज को कड़ी सुरक्षा के बीच लखनऊ जेल ले जाया गया, जहां से उन्हें उन्नाव जेल शिफ्ट किया जाएगा। राजा कोलंदर ने 14 से ज्यादा हत्याओं की बात कबूली है। वह हत्या के बाद शव के टुकड़े-टुकड़े कर देता था, मांस खा जाता था। खोपड़ी से भेजा निकाल कर उसे उबालकर सूप बनाकर पीता था। राजा कोलंदर प्रयागराज के शंकरगढ़ स्थित हिनौता गांव का रहने वाला है। साल 2000 में पहली बार प्रयागराज में पत्रकार धीरेंद्र सिंह की हत्या के मामले में उसे गिरफ्तार किया गया था। 2012 में इसी मामले में कोलंदर और वक्षराज को इलाहाबाद कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। जज से बोला- साहब, मुझे सजा मंजूर जज रोहित सिंह ने कहा- यह मामला दुर्लभतम मामलों की श्रेणी में तो नहीं आता, लेकिन यह पेशेवर और संगठित अपराध का स्पष्ट उदाहरण है। सिर्फ वृद्ध या गरीब होना सजा में छूट का आधार नहीं हो सकता। इसके बाद उन्होंने कोलंदर और वक्षराज को सजा सुनाई। उन्होंने कोलंदर से पूछा कि क्या वह कुछ कहना चाहेगा, तो उसने बेफिक्री से जवाब दिया- साहब, मुझे कुछ नहीं बोलना है। जो भी सजा देंगे, मंजूर है। सरकारी वकील एमके सिंह ने कहा- कोर्ट ने राजा कोलंदर और वक्षराज को धारा 404 (मृतक की संपत्ति का दुरुपयोग) के आरोप से दोषमुक्त कर दिया है। बाकी सभी धाराओं में सजा बरकरार है। सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। दोषियों से वसूली गई जुर्माने की 40% राशि मनोज सिंह और रवि श्रीवास्तव परिजनों को मुआवजे के रूप में दी जाएगी। शेष राशि राज्य सरकार को खर्च की भरपाई के लिए दी जाएगी। मनोज सिंह हत्याकांड: अपहरण करके लाश चित्रकूट में फेंकी मनोज कुमार सिंह रायबरेली के हरचंदपुर के रहने वाले थे। उनके पिता शिव हर्ष ने FIR दर्ज कराई थी। इसके मुताबिक, उनका बेटा मनोज कुमार सिंह और ड्राइवर रवि श्रीवास्तव 24 जनवरी 2000 को लखनऊ से रीवा के लिए टाटा सूमो से निकले थे। दोनों ने चारबाग रेलवे स्टेशन के पास से यात्रियों को बैठाया था। इसमें एक महिला भी थी। इसके बाद मनोज और रवि लापता हो गए। कई दिन तक दोनों का कुछ पता नहीं चला तो नाका हिंडोला थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। पुलिस ने मनोज और रवि की तलाश शुरू की। लखनऊ से रीवा तक के रास्ते को खंगाला, लेकिन कुछ पता नहीं चल पाया। कई दिन बाद दोनों के क्षत-विक्षत शव प्रयागराज के शंकरगढ़ के जंगलों से बरामद किए गए। दोनों के शव नग्न थे। टाटा सूमो का कुछ पता नहीं चला। 2000 के इस दोहरे हत्याकांड में पुलिस ने मार्च 2001 को चार्जशीट दाखिल की। लेकिन, कुछ कानूनी वजह से मुकदमे की सुनवाई 2013 में शुरू हो पाई। अब पढ़िए मनोज सिंह हत्याकांड में कैसे कोलंदर तक पहुंची पुलिस पुलिस के मुताबिक, मनोज सिंह की हत्या में राजा कोलंदर का नाम तब खुला जब राजा कोलंदर ने प्रयागराज में एक पत्रकार धीरेंद्र सिंह की हत्या कर दी थी। जब पुलिस ने पत्रकार की हत्या के मामले की जांच शुरू की तो राजा कोलंदर के फॉर्म हाउस में कई लोगों के कटे हुए सिर मिले। यहां से मनोज सिंह का कोट मिला, जिस पर रायबरेली के टेलर का नाम लिखा था। इसके अलावा, मनोज सिंह से लूटी हुई टाटा सूमो भी फॉर्म हाउस से मिली। उस पर फूलन देवी का नाम लिखा था। पुलिस ने जब कोट और टाटा सूमो की जांच की तो कड़ियां जुड़ती हुई मनोज सिंह तक पहुंची। इसके बाद मनोज सिंह और रवि श्रीवास्तव की हत्या में राजा कोलंदर का नाम सामने आया। कोलंदर ने 1500 रुपए में बुक की थी मनोज की टाटा सूमो जांच और पूछताछ के दौरान पता चला कि मनोज और रवि टाटा सूमो की सर्विस करवाने लखनऊ आए थे। जब वो वापस लौट रहे थे तो चारबाग के पास राजा कोलंदर, उसकी पत्नी फूलन देवी और साले वक्षराज ने गाड़ी रुकवाई। राजा कोलंदर ने मनोज से कहा कि उसकी पत्नी की तबीयत खराब है। गाड़ी से प्रयागराज (तब इलाहाबाद) छोड़ दीजिए। राजा कोलंदर ने 1500 रुपए में टाटा सूमो बुक की। इसके बाद सब लोग इलाहाबाद के लिए चले गए। मनोज रायबरेली में हरचंदपुर में रुके। क्योंकि, जनवरी की ठंड थी। ऐसे में मनोज ने कोट और कुछ ऊनी कपडे़ रखे। फिर प्रयागराज के लिए रवाना हो गए थे। कई दिन तक दोनों वापस नहीं लौटे तो परिवार ने तलाश शुरू की। बाद में उनके क्षत-विपत शव प्रयागराज के बॉर्डर पर शंकरगढ़ के जंगल में मिले थे। पत्रकार धीरेंद्र सिंह हत्याकांड: लिंग और धड़ काटकर फेंका प्रयागराज में पत्रकार धीरेंद्र सिंह का 14 दिसंबर 2000 को शव मिला था। इस हत्याकांड की जांच करते हुए पुलिस पहली बार राजा कोलंदर तक पहुंची। पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया। सख्ती से पूछताछ की, तो उसने जुर्म कबूल कर लिया। राजा कोलंदर ने पुलिस को बताया- एक मामले में पत्रकार धीरेंद्र के भाई ने मेरे खिलाफ FIR दर्ज कराई थी। तभी तय कर लिया था कि धीरेंद्र सिंह की हत्या करनी है। धीरेंद्र सिंह को प्रयागराज स्थित अपने पिपरी फार्म हाउस पर बुलाया। धीरेंद्र बाइक से पहुंचा था। सर्दी थी, इसलिए अलाव जला रखा था। धीरेंद्र सिंह अलाव के पास बैठा था तभी राजा कोलंदर के साले वक्षराज ने उसे गोली मार दी। मौके पर ही धीरेंद्र सिंह ने दम तोड़ दिया। कोलंदर और वक्षराज ने धीरेंद्र के शव को टाटा सूमो से लेकर मध्यप्रदेश की सीमा पर पहुंचे। वहां पहले धीरेंद्र का सिर और लिंग काट दिया। लिंग और धड़ को वहीं खेत में दफना दिया। जबकि, उसका सिर एक पन्नी में लपेटकर रीवा के बाणसागर तालाब में फेंक दिया। मर्डर केस की जांच के दौरान पुलिस को राजा कोलंदर के घर से तलाशी में डायरी मिली। इस डायरी ने 14 हत्याओं का राज खोल दिया। पुलिस ने जब राजा कोलंदर की डायरी के पन्ने पलटने शुरू किए तो सन्न रह गए। पुलिस ने डायरी के आधार पर उससे पूछताछ की तो पूरी कहानी सामने आ गई। इसी दौरान मनोज सिंह और रवि श्रीवास्तव की हत्या का भी खुलासा हुआ। इसके बाद पुलिस ने उसके फॉर्म हाउस में छापा मारा। वहां से अशोक कुमार, मुइन, संतोष और काली प्रसाद के नरमुंड बरामद हुए, इसकी हत्या का जिक्र डायरी में था। पूछताछ में पता चला कि राजा कोलंदर ने कुल 14 लोगों का कत्ल किया था। वह जरा-जरा सी बात पर लोगों का खून कर देता था। कोर्ट ने धीरेंद्र सिंह हत्याकांड को रेयरेस्ट ऑफ द रेयर माना इलाहाबाद कोर्ट ने 1 दिसंबर 2012 को रामनिरंजन उर्फ राजा कोलंदर को उम्रकैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने उसे पत्रकार धीरेंद्र सिंह समेत कई लोगों की हत्या का दोषी करार देते हुए इसे रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस माना था। उसके खिलाफ यह केस करीब 12 साल तक चला। तब से कोलंदर उन्नाव जेल में बंद है। सजा सुनाए जाने से कुछ घंटे पहले अदालत में लाए जाने तक वह खुद को बेगुनाह बताता रहा। उसका कहना था कि उसे सियासी रंजिश की वजह से फंसाया गया। हालांकि, तमाम पत्रकारों और गांव वालों की मौजूदगी में की गई छापेमारी में फार्म हाउस से 14 नरमुंड बरामद होने की बात पर वह कोई जवाब नहीं दे सका। ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर राजा कोलंदर पर आधारित वेब सीरीज भी बनाई गई। इस सीरीज का नाम था- 'इंडियन प्रिडेटर: द डायरी ऑफ अ सीरियल किलर'। दिमाग तेज होता है मानकर कायस्थ कर्मचारी की हत्या कर खोपड़ी को भूनकर खा गया था इस नरपिशाच की हैवानियत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उसने आर्डिनेंस फैक्ट्री के साथी कर्मचारी काली प्रसाद श्रीवास्तव को इसलिए मौत के घाट उतारा था, क्योंकि वह कायस्थ बिरादरी का था। उसका मानना था कि कायस्थ लोगों का दिमाग काफी तेजी से काम करता है। वह कई दिनों तक उसकी खोपड़ी के हिस्से को भूनकर खाता रहा। उसके दिमाग को उबालकर सूप बनाकर पीता था। प्रयागराज पुलिस ने जब कोल के फॉर्म हाउस में छापा मारा तो वहां काली प्रसाद श्रीवास्तव का नरमुंड भी बरामद होने की बात सामने आई थी। आर्डिनेंस फैक्ट्री में नौकरी, बेटे का नाम अदालत और जमानत राजा कोलंदर का असली नाम राम निरंजन कोल है। वह प्रयागराज के शंकरगढ़ का मूल निवासी है। नैनी स्थित केंद्रीय आयुध भंडार छिवकी में कर्मी था। कर्मचारी होने के बावजूद वह खुद को राजा ही समझता था। उसका कहना था कि जो आदमी उसे पसंद नहीं उसे वह अपनी अदालत में सजा जरूर देता है। अजीब सोच के कारण कोलंदर ने अपनी पत्नी का नाम फूलन देवी और दोनों बेटों के नाम अदालत और जमानत रखे थे। वहीं, बेटी का नाम आंदोलन रखा था। उसकी पत्नी फूलन देवी जिला पंचायत सदस्य चुनी गई थी। --------------------------- राजा कोलंदर से जुड़ी हुई ये खबर भी पढ़िए.... 14 खोपड़ियों का सूप पीने वाले कोलंदर की दहशत, जहां नरमुंड गाड़े वो जमीन बंजर लखनऊ ADJ कोर्ट ने नरभक्षी राम निरंजन उर्फ राजा कोलंदर और उसके साले वक्षराज को उम्रकैद की सजा सुनाई है। राजा कोलंदर ने 14 से ज्यादा हत्या की बात कबूली है। वह हत्या के बाद शव के टुकड़े-टुकड़े कर देता था। मांस खा जाता था, जबकि खोपड़ी से भेजा निकाल कर उसे उबालकर सूप बनाकर पीता था। दरिंदगी की सारी हदें पार करने वाले राजा कोलंदर की दहशत को समझने के लिए दैनिक भास्कर ऐप टीम प्रयागराज से 40Km दूर नैनी की गंगानगर कॉलोनी में पहुंची। यहां राजा कोलंदर का घर आज भी मौजूद है। (ग्राउंड रिपोर्ट पढ़िए)
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