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    मां को मृत दिखाकर 10 लाख में ली नौकरी:एमपी में फर्जी अनुकंपा नियुक्ति कराने वाला गिरोह सक्रिय, रीवा में अबतक 6 केस सामने आए

    1 month ago

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    मैं तो जिंदा हूं, आपके सामने बैठी हूं। नौकरी के लिए मुझे मरा बता दिया। हम पढ़े-लिखे भी नहीं हैं, हमारे फर्जी दस्तखत कर दिए। ये कहना है रीवा के परसिया में रहने वाली बेलाकली का। कागजों के मुताबिक बेलाकली दो साल पहले मर चुकी है। बेला के बेटे बृजेश कोल पर आरोप है कि उसने अपनी जीवित मां को मरा दिखाकर स्कूल में बतौर प्यून फर्जी अनुकंपा नियुक्ति ले ली। ये इकलौता मामला नहीं है। रीवा जिले के गंगेव ब्लॉक में 6 लोगों ने अपने माता-पिता को कागजों में मृत बताकर अनुकंपा नियुक्ति हासिल की है। खुलासा हुआ तो विभागीय क्लर्क समेत 7 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। सभी फरार हैं। वहीं, रीवा के जिला शिक्षा अधिकारी को सस्पेंड किया गया। भास्कर ने जब इस पूरे मामले की पड़ताल की तो पता चला कि इलाके में फर्जी अनुकंपा नियुक्तियां कराने वाला गैंग सक्रिय है, जो पुलिस गिरफ्त से बाहर है। संडे स्टोरी में पढ़िए, इस फर्जीवाड़े को किस तरह अंजाम दिया गया और कैसे हुआ इसका खुलासा… इस केस से समझिए, कैसे हुआ फर्जीवाड़ा मां ने स्कूल देखा नहीं और बेटे की नौकरी लग गई स्कूल शिक्षा विभाग की तरफ से रीवा के सिविल लाइन्स थाने में जो शिकायत दी गई है, उसके मुताबिक बृजेश कोल ने 1 अप्रैल 2025 को अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था। आवेदन में बताया था कि उसकी मां बेलाकली कोल शासकीय माध्यमिक शाला ढेरा में सहायक शिक्षक के पद पर थीं। उनकी 16 अप्रैल 2023 को मृत्यु हो गई। बृजेश ने आवेदन के साथ मां का मृत्यु प्रमाण पत्र, अनुकंपा नियुक्ति के लिए हलफनामा, शैक्षणिक योग्यता का सर्टिफिकेट, पुलिस वेरिफिकेशन सर्टिफिकेट, शपथ पत्र और पते का प्रमाण पत्र दिया। इन सभी दस्तावेजों के आधार पर 17 अप्रैल को बृजेश की प्यून के पद पर शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जोड़ौरी में नियुक्ति हो गई थी। मामले में निलंबित किए जा चुके डीईओ सुदामा गुप्ता कहते हैं कि यह अनुकंपा नियुक्ति पूर्ण रूप से अस्थायी थी। किसी भी समय एक माह का वेतन और नोटिस देकर सेवा समाप्त की जा सकती थी। एक कैंप ने खोला अनुकंपा नियुक्ति का फर्जीवाड़ा 21 मई 2025 को रीवा के गंगेव ब्लॉक में स्कूल शिक्षा विभाग ने एक कैंप लगाया था। इसका मकसद कर्मचारियों के वेतन भुगतान से संबंधित शिकायतों को दूर करना था। इसी दौरान प्यून बृजेश कोल के बारे में पता चला कि उसे अनुकंपा नियुक्ति तो दे दी गई है, लेकिन वह 15 दिन से ऑफिस नहीं आया। उसने नियुक्ति से संबंधित कोई दस्तावेज भी जमा नहीं किए, इसलिए उसका वेतन भुगतान अटका है। तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी सुदामा गुप्ता ने इस केस की पड़ताल कराई। 22 मई को प्यून के दस्तावेजों की जांच में खुलासा हुआ कि अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन के साथ जो दस्तावेज दिए गए थे, वो सभी फर्जी थे। बृजेश के अलावा 5 और मामले फर्जी निकले, क्लर्क सस्पेंड इस पूरे मामले की जानकारी जिला कलेक्टर प्रतिभा पाल को दी गई। कलेक्टर के निर्देश पर बृजेश के खिलाफ फर्जी अनुकंपा नियुक्ति लेने के आरोप में एफआईआर दर्ज करवाई गई। इसके साथ ही नियुक्ति प्रक्रिया से जुड़े संबंधित क्लर्क को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया। तत्कालीन और अब निलंबित डीईओ सुदामा गुप्ता के मुताबिक, पिछले एक साल में 39 लोगों को अनुकंपा नियुक्ति दी गई थी। इन सभी की जांच के लिए एक टीम बनाई गई। टीम ने सभी लोगों को डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लिए बुलाया। इसमें केवल 34 लोग ही उपस्थित हुए, पांच नहीं आए। इन पांचों के दस्तावेजों की जांच की गई तो ये सभी फर्जी पाए गए। अधिकारियों के निर्देश पर इन पांचों और प्रक्रिया में शामिल संबंधित बाबू के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज करवाई गई। बृजेश के परिजन बोले- हमारे बेटे को फंसाया फर्जी अनुकंपा नियुक्ति के खुलासे के बाद सारे आरोपी फरार हैं। भास्कर इन्हीं में से एक बृजेश कोल के गांव परासिया पहुंचा। एक बुजुर्ग से उसके घर का पता पूछा तो वे बोले- मास्टर जी का घर ढूंढ रहे हो। दरअसल, बृजेश के पिता शिवचरण कोल पास ही के एक स्कूल में मजदूरी करते हैं। स्कूल के बच्चे और गांव वाले उन्हें सम्मान से ‘मास्टर जी’ कहकर बुलाते हैं। परिवार छोटी सी झोपड़ी में रहता है। घर पर बृजेश के माता-पिता और दोनों बहनें मौजूद थीं। आंगन में शादी का मंडप सजा था। शिवचरण ने बताया कि कुछ दिन पहले उनकी छोटी बेटी की शादी हुई है, इसलिए सब घर पर हैं। जब हमने बृजेश के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि हमें उसके बारे में नहीं पता। पिता बोले- उसने नौकरी के लिए 10 लाख रुपए मांगे थे शिवचरण कोल ने कहा- मैंने और पत्नी ने कभी स्कूल का मुंह तक नहीं देखा। बच्चों को जरूर पढ़ाया। मेरी दो बेटियां हैं, दोनों पढ़ी-लिखी हैं। बृजेश की उम्र जब 4 साल की थी, तब उसे हमने पढ़ने के लिए मौसी के घर भेज दिया था। उसके भाई ने भी वहीं से पढ़ाई की है। दोनों बहुत कम घर आते थे। अभी कुछ दिन पहले मेरी बेटी की शादी थी, तब बृजेश घर आया था। पिछले साल से बृजेश कह रहा था कि उसकी सरकारी नौकरी लगने वाली है। हम सभी लोग खुश थे। इसके बाद उसने पैसों की मांग शुरू कर दी। पहले बोला कि दो लाख रुपए की जरूरत है। उसने इसके लिए पत्नी के जेवर बेच दिए। इसके बाद जब और पैसों की जरूरत पड़ी तो मौसी की जमीन बेच दी। उसने मुझसे भी 10 लाख रुपए मांगे थे। मैंने बेटी की शादी का हवाला देकर पैसे देने से मना कर दिया। मैंने कहा- इतने पैसे तो मैं 10 साल मजदूरी करने के बाद भी नहीं दे सकता। मामा के बेटे ने किया फर्जीवाड़ा, झूठे दस्तावेज बनाए हालांकि, शिवचरण कहते हैं कि मेरे बेटे को नौकरी का लालच हमारे ही रिश्तेदार श्रीराम कोल ने दिया है। जो बृजेश के मामा का बेटा है। श्रीराम ने ही सारे फर्जी दस्तावेज तैयार किए। उसी ने मेरी पत्नी के भी फर्जी साइन किए। गांव के सरपंच के भी नकली साइन किए थे। उसी ने हम लोगों को फंसा दिया है। श्रीराम रीवा जिले की जवा तहसील के रिवारी गांव में रहता है। श्रीराम के पिता छोटेलाल शिक्षक रह चुके हैं, इसी कारण वह शुरू से शिक्षा विभाग से जुड़ा है। वहीं, उसका साथी राकेश रावत रीवा की सेमरिया तहसील का रहने वाला है। राकेश की पत्नी उषा देवी उन छह लोगों में शामिल हैं, जिन्हें फर्जी अनुकंपा नियुक्ति मिली है। निलंबित डीईओ ने कहा- गैंग काम कर रहा है निलंबित डीईओ सुदामा गुप्ता ने कहा, 'कोई गिरोह काम कर रहा है, जिसने इतनी सफाई से सारे दस्तावेज तैयार किए। इसी तरीके से राकेश रावत की पत्नी को भी फर्जी नियुक्ति मिली है। बृजेश कोल के पिता ने नोटिस का जो जवाब दिया है, उसमें लिखा है कि श्रीराम ने 10 लाख रुपए लिए थे। हमने यह जानकारी पुलिस को दे दी है और फिलहाल मामला विवेचना में है। खबर पर आप अपनी राय यहां दे सकते हैं... ये खबर भी पढ़ें... सिवनी में 47 लोगों को 279 बार मारकर सरकारी मुआवजा हड़पा; 11 करोड़ का गबन सिवनी जिले के मलारी गांव के पूर्व सरपंच संतराम को सरकारी कागजों में 19 बार मारा गया। वजह बताई गई सांप काटने से मौत। संतराम अकेले नहीं हैं बल्कि 2019 से 2022 तक ऐसे 47 लोगों को 279 बार मारा गया और उनके नाम से 11 करोड़ रुपए का गबन किया गया। इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड केवलारी तहसील का नायब नाजीर सचिन दहायत है, जो गिरफ्तार हो 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