मंत्री का इशारा- 2026 में हो सकते हैं पंचायत चुनाव:अविनाश गहलोत बोले- फर्जी पेंशनधारियों पर FIR कराएंगे; राहुल-प्रियंका को बताया 'बंटी-बबली'
17 hours ago

राजस्थान में निकाय और पंचायत चुनाव 2026 में खिसक सकते हैं। कैबिनेट मंत्री अविनाश गहलोत ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत में इसकी ओर इशारा किया है। उन्होंने कहा- सरकार पूरी तरह तैयार है, लेकिन कुछ संस्थाओं का कार्यकाल 2026 में खत्म होगा। फिर भी आखिरी फैसला मुख्यमंत्री और चुनाव आयोग के स्तर पर होगा। कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा विपक्ष की भूमिका में दिख रहे हैं? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा- वे सरकार या पार्टी के खिलाफ नहीं बोलते। बस अपनी बात रखते हैं, जो उनका अधिकार है। राहुल गांधी के चुनाव आयोग पर सवाल उठाने पर कहा- कांग्रेस बिहार चुनाव में हार के बहाने पहले ढूंढ रही है। फर्जी पेंशन रोकने के लिए विभाग क्या कर रहा है? ‘गिव अप’ अभियान के बावजूद फर्जी पेंशनधारी क्यों नहीं छोड़ रहे? उनके खिलाफ क्या एक्शन लिया जाएगा? गहलोत ने राहुल गांधी और कांग्रेस के बड़े नेताओं पर भी कई गंभीर आरोप क्यों लगाए, पढ़िए मंडे स्पेशल स्टोरी में... सवाल: पेंशन में गड़बड़ियों के मामले लगातार सामने आते रहे हैं, इसके लिए विभाग क्या कर रहा है?
जवाब: कुछ लोगों ने गलत दस्तावेजों के आधार पर पेंशन ली है। जैसे- उम्र को आधार कार्ड में बदलना, आयकर स्लैब में होने के बावजूद आय को कम दिखाना। जब इस तरह की शिकायत हमारे पास आती हैं, तो हम सक्षम विभाग के रूप में तुरंत कार्रवाई करते हैं। अब सब कुछ ऑनलाइन है, इसलिए शिकायत मिलते ही हम एफआईआर दर्ज करवाते हैं। सवाल: ऐसे मामलों को कैसे रोकोगे, क्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद ली जाएगी?
जवाब: पेंशन के मामलों में दस्तावेजों का सत्यापन करने के साथ-साथ भौतिक सत्यापन भी करते हैं। जीवित होने का प्रमाण भी आवश्यक है। हमने जिला कलेक्टर के माध्यम से ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम विकास अधिकारी, पटवारी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया है कि अगर पेंशनधारी की मृत्यु हो जाए या गलत भुगतान हो रहा हो, तो तुरंत विभाग को सूचित करें, ताकि दोबारा ऐसा न हो। सवाल: ‘गिव अप’ अभियान में लोग नहीं जुड़ रहे, क्या उनके खिलाफ कोई एक्शन लेंगे?
जवाब: मुख्यमंत्री के निर्देश पर हमने खाद्य सुरक्षा योजना में भी ‘गिव अप’ अभियान चलाया था। इसके अच्छे परिणाम मिले। लगभग 23 लाख खुद हटे, इससे 50 लाख से अधिक नए लाभार्थी जुड़े। पेंशन योजना में वार्षिक आय की सीमा 48,000 रुपए है, लेकिन कई लोगों की आय इससे अधिक है और वे इसे छुपा लेते हैं। हमने अपील की है कि सक्षम लोगों को योजना से हट जाना चाहिए। सवाल: क्या सख्त कार्रवाई की जाएगी ताकि लोग ‘गिव अप’ के प्रति आगे बढ़ें?
जवाब: कांग्रेस ने नरेटिव सेट करने की कोशिश की थी कि सरकार पेंशन बंद करना चाहती है। सरकार किसी की पेंशन बंद नहीं करना चाहती, लेकिन जो लोग फर्जी तरीके से लाभ ले रहे हैं, उन्हें रोका जाएगा। हमारे पास कई विकल्प हैं- एफआईआर भी दर्ज कराएंगे, रिकवरी भी करेंगे और दंडात्मक कार्रवाई भी करेंगे। हमारी सरकार से पहले 90 लाख लोग पेंशन का लाभ ले रहे थे, अब संख्या 92 लाख हो गई है। आने वाले समय में और भी बढ़ेंगे...अगर 3-4 लाख लोग पेंशन छोड़ेंगे, तो हम उतने ही नए जरूरतमंदों को जोड़ सकेंगे। कांग्रेस इस पर राजनीति करती है, जबकि सहयोग करना चाहिए। सवाल: आपके विभाग की ओर से ऐसी कौन सी पहल होने वाली है, जो अब जनता के सामने आएगी?
जवाब: पिछले डेढ़ साल में विभाग ने कुछ ऐसे कार्य किए हैं, जो पहले कभी नहीं हुए। मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता के कारण राजस्थान में दिव्यांगों को 4 प्रतिशत आरक्षण के साथ-साथ प्रमोशन में भी लाभ दिया जा रहा है। स्कॉलरशिप, पेंशन, आर्टिफिशियल इक्विपमेंट (जैसे इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर) देने का काम पहली बार हुआ है। मुख्यमंत्री ने लगभग 150 करोड़ रुपए का बजट इसी उद्देश्य से आवंटित किया, ताकि 20 हजार रुपए तक के आर्टिफिशियल लिंब्स (कृत्रिम पैर) दिव्यांग व्यक्तियों को दिए जा सकें। हमारे विभाग में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, दिव्यांगजन, सफाईकर्मी सभी वर्गों के लोग जुड़े हैं। राजस्थान में 6 लाख से अधिक दिव्यांग पेंशन ले रहे हैं। लगभग 92 लाख के करीब विभाग में पेंशनर्स हैं। यह आबादी का लगभग 70 प्रतिशत है जो विभाग से जुड़ा हुआ है। हमारे प्रयास हैं कि कोई भी पात्र व्यक्ति योजनाओं के लाभ से वंचित न रहे। सवाल : निकाय-पंचायत चुनाव को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है?
जवाब : राजस्थान में पंचायत, निकाय और कोऑपरेटिव चुनाव के लिए बजट में घोषणा की गई है। मुख्यमंत्री ने ‘वन स्टेट, वन इलेक्शन’ का संकल्प लिया है। पंचायत, निकाय पुनर्गठन का काम पूरा हो चुका है। कमेटी ने रिपोर्ट दे दी है। अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री लेंगे और चुनाव आयोग तिथि तय करेगा। हमारा प्रयास है कि सभी चुनाव एक साथ हों, ताकि समय और धन दोनों की बचत हो। सवाल: विभाग से संतुष्ट हैं या लगता है कोई और जिम्मेदारी मिलनी चाहिए थी?
जवाब: पार्टी ने जो जिम्मेदारी दी है, उसे पूरी ईमानदारी से निभाया है। हमें पता है हम कार्यकर्ताओं की मेहनत से जीतते हैं। ये पार्टी इसलिए खड़ी है क्योंकि कार्यकर्ताओं की लंबी फौज खड़ी है। मैं मंत्री हूं, लेकिन खुद को पहले कार्यकर्ता मानता हूं। हमें 24 घंटे जनता की सेवा में लगना चाहिए। सवाल: कैबिनेट बैठक 4 महीने के अंतराल पर हुई, विपक्ष ने सवाल उठाए।
जवाब: सरकार लगातार विभागों की मॉनिटरिंग करती है। ये वो सरकार नहीं है, जो होटलों से चलती है। देखिए, पिछली सरकार में किस तरीके से अनैतिक गतिविधियां, भ्रष्टाचार लूट की स्थिति बनी रही थी। बीच में कुछ कार्यक्रम और व्यस्तताएं थीं, इसलिए थोड़ा अंतराल हुआ। डेढ़ साल में हमारी कैबिनेट की बहुत सारी बैठकें हुई हैं और कई महत्वपूर्ण फैसले भी लिए गए हैं। सवाल: किरोड़ी लाल मीणा विपक्ष की भूमिका निभाते दिख रहे हैं?
जवाब: किरोड़ी लाल मीणा हमारे वरिष्ठ साथी हैं। वो आमजन से जुड़ी बात कहते हैं तो उस पर संज्ञान भी लिया जाता है। सवाल: आपका खनन से जुड़ा एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें आप पुलिस को कह रहे थे- किसी को न रोकें।
जवाब: यह होली के आसपास की बात थी। मैं क्षेत्र के लोगों के बीच में था। कांग्रेस के लोग हमेशा राजनीति के लिए छोटे-छोटे वीडियो काटकर पेश करते हैं। मैंने मजदूर वर्ग के ट्रैक्टर चालकों का समर्थन किया था, जो अवैध खनन नहीं करते, सिर्फ आजीविका कमाते हैं। कांग्रेस ने कभी बजरी के ब्लॉक आवंटित नहीं किए थे, क्योंकि कांग्रेस के नेता बजरी अवैध खनन में शामिल थे। आप देखिए प्रमोद जैन भाया को कांग्रेस के नेता ने खनन माफिया मंत्री कहा था। हमारे मुख्यमंत्री ने तो रोक लगाई है। सबसे ज्यादा अवैध खनन पर रोक हमारे क्षेत्र में लगी है। राजस्थान में रॉयल्टी के मामले में भी हमने बजरी के ब्लॉक आवंटन किए..बजरी के ब्लॉक में प्रिव्यू राशि हमने 2 हजार करोड़ की कमाई है। उसके बाद जो हमने बजरी के ब्लॉक्स आवंटित किए हैं। उससे राजस्थान को 7-8 हजार करोड़ का रेवेन्यू मिलेगा। सवाल: फिर भी अवैध खनन पर पूरी रोक क्यों नहीं लग पाई?
जवाब: अवैध खनन में काफी कमी आई है। एफआईआर और पैनाल्टी के मामले दर्ज हुए हैं। मुख्यमंत्री लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं। कलेक्टर और माइनिंग अधिकारियों से वीसी करके उनको निर्देश देते हैं कि अवैध खनन पर रोक लगनी चाहिए। सवाल: सदन में आपने इंदिरा गांधी को ‘दादी’ कहकर संबोधित किया, जिस पर हंगामा हुआ था।
जवाब: अगर किसी की उम्र 70 साल से ऊपर हो जाए तो उसे सम्मान से 'दादी' कहा जा सकता है। अगर कांग्रेस को यह शब्द असम्मानजनक लगता है तो उन्हें साफ कहना चाहिए था कि इंदिरा गांधी हमारी दादी नहीं हैं। 2013 के चुनाव से पहले कांग्रेस नेताओं ने कहा था- 'सोनिया गांधी सिर्फ राहुल गांधी की मां नहीं, कांग्रेस और देश की मां भी हैं।' अगर सोनिया गांधी को मां कहा जा सकता है, तो इंदिरा गांधी को दादी कहना भी सम्मानजनक ही है। लेकिन कांग्रेस ने इसे गलत समझा और आवेश में प्रतिक्रिया दी, जो जनता को ठीक नहीं लगी। उन्हें गांधी-नेहरू परिवार की चाटुकारिता करनी होती है और उसी का कॉम्पिटिशन चला था। उसमें सब बढ़-चढ़कर भाग ले रहे थे। सच तो यह है कि जब से चुनाव होने लगे। जवाहरलाल नेहरू से लेकर यह बंटी-बबली हैं न राहुल गांधी-प्रियंका गांधी यहां तक की बात करें तो कांग्रेस में गांधी-नेहरू परिवार की चाटुकारिता की होड़ लगी रहती है…विद्वान नेताओं को नजरअंदाज कर, परिवार की प्रशंसा ही राजनीति का केंद्र बनी रहती है। सवाल: अब आपने राहुल-प्रियंका को ‘बंटी-बबली’ कहा है, इससे विवाद बढ़ेगा?
जवाब: राहुल गांधी आलू से सोना बनाने की बात करते हैं, किलो को लीटर में बोलते हैं, जोड़ना है तो कांग्रेस को जोड़ो भारत तो पहले से जुड़ा हुआ है। राहुल गांधी कभी भी प्रधानमंत्री नहीं बन पाएंगे, क्योंकि जनता उनको स्वीकार नहीं करती है। उनकी कार्यशैली और देश के खिलाफ बोलने की परंपरा रही है, जो भारत के खिलाफ बोलता है, उसके साथ वो रहते हैं। उनके बयान हमारे दुश्मन देश पाकिस्तान तक इस्तेमाल करता है। कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति करती है। पिछले 18 महीने में बीजेपी का काम और पिछली सरकार के काम को जनता के बीच छोड़ दो अपने आप पता लग जाएगा। सवाल: राहुल गांधी और अशोक गहलोत ने आरोप लगाया कि निष्पक्ष चुनाव नहीं हो रहे?
जवाब: जहां कांग्रेस जीतती है, वहां ईवीएम ठीक होती है; जहां हारती है, वहां गड़बड़ी बताती है। यह जनता समझ चुकी है। लंबे समय तक कांग्रेस की सरकार रही है देश में, लेकिन तब सवाल नहीं उठाए चुनाव आयोग पर। प्रधानमंत्री मोदी ने तुष्टीकरण की राजनीति को रोका है, और यही कांग्रेस को डराता है। राहुल गांधी वोटर्स के लिए जो बोल रहे हैं वो तो कांग्रेस के समय से ही जुड़े हुए हैं। जो उन्होंने नाम बताए हैं, वो सभी हिंदू हैं। मैं पूछता हूं क्या मुस्लिम समाज के लोगों के नाम नहीं जुड़े थे। राहुल गांधी को किसी अच्छे मनोवैज्ञानिक के पास जाना चाहिए। अपना बौद्धिक विकास कराना चाहिए ताकि वो देश के सामने अच्छे विचार रख सकें। एक मजबूत विपक्ष की भूमिका में नजर आ सकें।
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