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    पंचतत्व में विलीन हुए अयोध्या के 'राजा' विमलेंद्र मोहन:बेटे ने दी मुखाग्नि, फूट-फूटकर रोया; अंतिम दर्शन को उमड़ी थी भीड़

    1 day ago

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    अयोध्या के राजा कहे जाने वाले विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र (पप्पू भैया) का निधन हो गया। वह 71 साल के थे। BP के पेशेंट थे। शनिवार रात 12 बजे उन्होंने अयोध्या स्थित राज सदन आवास पर अंतिम सांस ली। विमलेंद्र मोहन श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य थे। विमलेंद्र मोहन, अयोध्या की राजा दर्शन सिंह वंशावली से जुड़े हुए थे। विमलेंद्र की माता का नाम विमला देवी और पिता का नाम डॉक्टर रमेंद्र मोहन मिश्र था। अयोध्या की महारानी विमला देवी के दो बेटे हुए, विमलेंद्र और शैलेंद्र। बड़े होने के कारण राजवंश का प्रतिनिधित्व की जिम्मेदारी विमलेंद्र मोहन को मिली। लोग उन्हें अयोध्या का राजा कहकर पुकारने लगे। विमलेंद्र मोहन के बेटे यतींद्र मोहन प्रताप मिश्र प्रख्यात संगीतकार और राष्ट्रीय कवि हैं। यतींद्र ने लता मंगेशकर पर ‘लता सुर गाथा’ नामक प्रसिद्ध पुस्तक लिखी, जिस पर उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है। रविवार शाम 4 बजे विमलेंद्र मोहन का शव उनसे आवास से बैकुंठ धाम लाया गया। यहां पर बेटे यातेंद्र मोहन मिश्रा ने मुखाग्नि दी। विधि विधान से उनका अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम दर्शन के लिए मंत्री सूर्य प्रताप शाही, पूर्व प्रदेश सचिव अवनीश अवस्थी, अयोध्या सांसद अवधेश दास, राम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय समेत अन्य लोग मौजूद रहे। कड़ी सुरक्षा में गुजरा बचपन विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्रा की पत्नी ज्योत्स्ना मिश्र की पिछले (2024) साल मौत हो गई थी। उनके बेटे यतींद्र मिश्रा राष्ट्रीय स्तर के साहित्यकार है। एक बेटी मंजरी मिश्रा है। विमलेंद्र मिश्र का जन्म अयोध्या राजवंश में कई पीढ़ियों बाद पुरुष उत्तराधिकारी के रूप में हुआ। इससे पहले तक वंश आगे बढ़ाने के लिए गोद लेने की परंपरा रही थी। इसलिए उनका बचपन कड़ी सुरक्षा में बीता। विमलेंद्र मोहन के पिता डॉक्टर रमेंद्र मोहन मिश्र और मां महारानी विमला देवी ने उन्हें बाहर भेजकर पढ़ाने की बजाय स्थानीय स्कूल में ही दाखिल कराया। बचपन में खेलने की इजाजत नहीं थी बचपन में तो हाल यह था कि 14 साल की उम्र तक उन्हें अपने उम्र के लड़कों के साथ खेलने तक की इजाजत नहीं थी। इतना ही नहीं, जब विमलेंद्र ने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ने का फैसला किया, उस समय भी मां विमला देवी इसके खिलाफ थीं। उनकी इच्छा थी कि बेटा राजनीति में न जाकर पारिवारिक और सांस्कृतिक जिम्मेदारियों पर ज्यादा ध्यान दे। विमलेंद्र मिश्र ने राजनीति में भी कदम रखा। साल 2009 में उन्होंने फैजाबाद लोकसभा सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। हालांकि उन्हें जीत नहीं मिली और कांग्रेस प्रत्याशी निर्मल खत्री ने हराया। इसके बाद उन्होंने धीरे-धीरे सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली। अयोध्या राजा विमल मोहन प्रताप मिश्रा आरंभ से ही राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे। रामघाट स्थित न्यास कार्यशाला में राम मंदिर के लिए पत्थर की तराशी उन्हीं की जमीन पर हुई। जिसे बाद में उन्होंने राम मंदिर ट्रस्ट को दान में दे दिया है। 1992 में विवादित ढांचा टूटने के बाद उन्होंने रामलला के विराजमान होने के लिए चांदी का सिंहासन दिया। 5 फरवरी 2020 को भूमि पूजन के दौरान रामलला सहित चारों भाइयों के विराजमान होने के लिए उन्होंने पुनः भव्य चांदी का सिंहासन राम मंदिर ट्रस्ट को दान में दिया। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के समय उन्होंने अयोध्या के वरिष्ठ संतो के साथ अयोध्या की विवाद के समाधान का प्रयास किया। राम मंदिर आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका जब राम मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया, उसके बाद ट्रस्ट के गठन की प्रक्रिया शुरू हुई। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी की ओर से सबसे पहले जिस वरिष्ठ सदस्य को चुना गया, वे थे राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र। तब तक श्रीराम जन्मभूमि परिसर के रिसीवर की जिम्मेदारी अयोध्या के कमिश्नर के पास थी, लेकिन जैसे ही ट्रस्ट अस्तित्व में आया, पहला चार्ज औपचारिक रूप से मिश्र को सौंपा गया। श्रद्धांजलि देने वालों की देखें तस्वीरें... सपा सांसद बोले- विमलेंद्र मोहन केवल नाम के राजा नहीं थे, दिल के भी राजा थे सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा- विमलेंद्र मोहन मिश्र केवल नाम के राजा नहीं थे, दिल के भी राजा थे। उनके निधन से मन बेहद दुखी है। इकबाल अंसारी ने मांगी दुआ बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने भी दुख जताते हुए भगवान और अल्लाह से उनकी आत्मा की शांति के लिए दुआ मांगी। विमलेंद्र मोहन मिश्र को श्रद्धांजलि देने पहुंचे कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, खाद एवं रसद मंत्री सतीश शर्मा और मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश अवस्थी राज, अयोध्या के पूर्व सांसद लल्लू सिंह, राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय सदन पहुंचकर विमलेंद्र मोहन मिश्र को श्रद्धांजलि दी। अंतिक संस्कार के लिए बैकुंठधाम के लिए रवाना हुआ शव --------------------------- ये खबर भी पढ़ें- हिस्ट्रीशीटर ने कार से सिपाही को उड़ाया, मौत...VIDEO:हवा में उलछकर 100 मीटर दूर गिरे, गाजियाबाद में एक्सप्रेस-वे की घटना गाजियाबाद में हिस्ट्रीशीटर ने कार से ट्रैफिक सिपाही को उड़ा दिया। कार की स्पीड इतनी तेज थी कि सिपाही हवा में उछलकर 100 मीटर दूर जा गिरे। घटना के 34 घंटे बाद रविवार तड़के सिपाही की मौत हो गई। पढ़ें पूरी खबर
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