Search…

    Saved articles

    You have not yet added any article to your bookmarks!

    Browse articles
    Select News Languages

    GDPR Compliance

    We use cookies to ensure you get the best experience on our website. By continuing to use our site, you accept our use of cookies, Privacy Policies, and Terms of Service.

    वक्फ कानून- सुनवाई पूरी, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा:सिब्बल बोले- 200 साल पुराने कब्रिस्तान भी छिन जाएंगे, सरकार अपनी गलती का फायदा नहीं उठा सकती

    2 months ago

    14

    0

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के बाद तीन मुद्दों पर अपना अंतरिम आदेश सुरक्षित रख लिया है। इन मुद्दों कोर्ट द्वारा वक्फ घोषित संपत्तियों को डिनोटिफाइ करना, वक्फ-बाय-यूजर या वक्फ बाय डीड शामिल है। फैसला सुरक्षित रखने से पहले CJI बीआर गवई और जस्टिस अगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने लगातार तीन दिनों तक वक्फ कानून का विरोध करने वाले याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक सिंघवी और सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलें सुनीं। गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि वक्फ के दर्जे को लेकर एक बार जांच शुरू हो जाए तो रिपोर्ट आने तक वक्फ का दर्जा खत्म हो जाता है। देश में 200 साल से भी पुराने बहुत से कब्रिस्तान हैं। 200 साल बाद सरकार कहेगी कि यह मेरी जमीन है और इस तरह कब्रिस्तान की जमीन छीनी जा सकती है? इस पर CJI ने कहा, तो जमीन का रजिस्ट्रेशन क्यों नहीं कराया गया। इस पर कपिल सिब्बल ने कहा, उन्होंने (मुस्लिम समुदाय) रजिस्ट्रेशन इसलिए नहीं कराया क्योंकि यह राज्य की जिम्मेदारी थी, अब वे कहते हैं कि चूंकि उन्होंने पंजीकरण नहीं कराया, इसलिए यह समुदाय की गलती है। यदि आपके पास शक्ति है तो आप खुद की गलती का लाभ नहीं उठा सकते। एक दिन पहले 21 मई (बुधवार) की सुनवाई में केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा था कि सरकारी जमीन पर किसी का कोई हक नहीं हो सकता, चाहे वो 'वक्फ बाय यूजर' के आधार पर ही क्यों न हो। सॉलिसिटर जनरल ने तर्क दिया था, वक्फ एक इस्लामी अवधारणा है, इस पर कोई विवाद नहीं है, लेकिन वक्फ इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। जब तक यह साबित न हो जाए, बाकी तर्क विफल हो जाते हैं। आज की सुनवाई की बड़ी बातें... केंद्र ने क्या दलील दी... याचिकाकर्ता ने क्या कहा... सुप्रीम कोर्ट में 5 याचिकाओं पर सुनवाई हो रही वक्फ (संशोधन) कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट 5 मुख्य याचिकाओं पर ही सुनवाई कर रहा है। इसमें AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी की याचिका शामिल है। CJI बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच सुनवाई कर रही है। केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता और याचिकाकर्ताओं की तरफ से कपिल सिब्बल पैरवी कर रहे हैं। पिछले दो दिनों की लगातार सुनवाई में क्या-क्या हुआ, पढ़िए- 20 मई: कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष से कहा- राहत के लिए मजबूत दलीलें लाइए 20 की सुनवाई में बेंच ने कहा था कि मुस्लिम पक्ष को अंतरिम राहत पाने के लिए मामले को मजबूत और दलीलों को स्पष्ट करना चाहिए। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि कोई संपत्ति ASI (आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) के संरक्षण में है तो वह वक्फ संपत्ति नहीं हो सकती। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कुल तीन मुद्दे हैं, जिन पर रोक लगाने की मांग की गई है और उस पर मैंने जवाब दाखिल कर दिया है। इन मुद्दों पर सुनवाई को सीमित किया जाए। याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि सिर्फ तीन मुद्दे नहीं हैं। पूरे वक्फ पर अतिक्रमण का मुद्दा है। सरकार तय नहीं कर सकती कि कौन से मुद्दे उठाए जाएं। पूरी खबर पढ़ें... 21 मई: सुप्रीम कोर्ट ने दूसरे दिन केंद्र सरकार की दलीलें सुनीं दूसरे दिन की सुनवाई में CJI गवई की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने केंद्र सरकार की ओर से सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें दीं। उन्होंने कहा, वक्फ बाय यूजर मौलिक अधिकार नहीं। यह विधायी नीति द्वारा 1954 में दिया गया था। संविधान के तहत इसे वापस लिया जा सकता है। सरकार ने यह अधिकार वापस ले लिया। मेहता ने कहा, 'वक्फ इस्लाम का अनिवार्य अंग नहीं, बल्कि एक अवधारणा और दान का तरीका है। झूठ फैलाया जा रहा है कि लोगों से वक्फ छीना जा रहा है। याचिका दायर करने वालों में कोई प्रभावित पक्ष नहीं है। झूठे तर्क देकर भ्रमित किया जा रहा है।' पूरी खबर पढ़ें... राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद 5 अप्रैल को वक्फ बिल कानून बना केंद्र ने वक्फ (संशोधन) बिल, 2025 को अप्रैल में अधिसूचित किया था। इसे 5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिल गई थी। इस बिल को लोकसभा ने 288 सदस्यों के समर्थन से पारित किया, जबकि 232 सांसद इसके खिलाफ थे। नए कानून को लेकर कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, AAP विधायक अमानतुल्लाह खान, सिविल राइट्स संगठन एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी अलग-अलग याचिका लगा चुके हैं। 16 अप्रैल से 15 मई तक 4 बार सुनवाई हुई, सिलसिलेवार पढ़िए- 15 मई: कोर्ट ने कहा था- अंतरिम राहत देने पर विचार करेंगे CJI बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह ने केंद्र और याचिकाकर्ता को 19 मई तक हलफनामा पेश करने को कहा था। दोनों पक्षों के वकीलों ने कहा था कि याचिकाओं के मुद्दों पर नजर डालने के लिए जजों को कुछ और वक्त की जरूरत हो सकती है। केंद्र ने भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट जब तक मामले को सुन रहा है, तब तक कानून के अहम प्रावधान लागू नहीं होंगे, यथास्थिति बनी रहेगी। 25 अप्रैल: केंद्र ने दायर किया था 1300 पेज का हलफनामा केंद्र ने हलफनामे में कहा था कि कानून पूरी तरह संवैधानिक है। यह संसद से पास हुआ है, इसलिए इस पर रोक नहीं लगाई जानी चाहिए। 1332 पन्नों के हलफनामे में सरकार ने दावा किया 2013 के बाद से वक्फ संपत्तियों में 20 लाख एकड़ से ज्यादा का इजाफा हुआ। इस वजह से कई बार निजी और सरकारी जमीनों पर विवाद हुआ। 17 अप्रैल: सॉलिसिटर जनरल बोले- लाखों सुझावों के बाद कानून बना SG मेहता ने कहा था कि संसद से ‘उचित विचार-विमर्श के साथ’ पारित कानून पर सरकार का पक्ष सुने बिना रोक नहीं लगाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा था कि लाखों सुझावों के बाद नया कानून बना है। ऐसे कई उदाहरण हैं, जिनमें गांवों को वक्फ ने हड़प लिया। कई निजी संपत्तियों को वक्फ में ले लिया गया। इस पर बेंच ने कहा कि हम अंतिम रूप से निर्णय नहीं ले रहे हैं। 16 अप्रैल: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को तीन निर्देश दिए थे कानून के खिलाफ दलील दे रहे कपिल सिब्बल ने कहा,'हम उस प्रावधान को चुनौती देते हैं, जिसमें कहा गया है कि केवल मुसलमान ही वक्फ बना सकते हैं। सरकार कैसे कह सकती है कि केवल वे लोग ही वक्फ बना सकते हैं जो पिछले 5 सालों से इस्लाम को मान रहे हैं? इतना ही नहीं, राज्य कैसे तय कर सकता है कि मैं मुसलमान हूं या नहीं और इसलिए वक्फ बनाने के योग्य हूं?' वक्फ कानून का क्यों हो रहा विरोध... ------------------------------------------- वक्फ कानून से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें... वक्फ कानून में 14 बड़े बदलाव, महिलाओं और गैर-मुस्लिमों की वक्फ बोर्ड में एंट्री होगी भारत में रेलवे और रक्षा मंत्रालय के बाद सबसे ज्यादा जमीन वक्फ बोर्ड के पास है। करीब 9.4 लाख एकड़। इतनी जमीन में दिल्ली जैसे 3 शहर बस जाएं। इसी वक्फ बोर्ड से जुड़े एक्ट में बदलाव के लिए केंद्र सरकार आज संसद में बिल पेश करेगी। विपक्ष के नेता और मुसलमानों का एक बड़ा तबका इसके विरोध में हैं। पूरी खबर पढ़ें...
    Click here to Read more
    Prev Article
    Fitness coach shares 5 major side effects of intermittent fasting: Digestive discomfort to slow metabolism and more
    Next Article
    भास्कर अपडेट्स:कीरू हाइड्रोपावर करप्शन केस- CBI ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक समेत 7 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की

    Related Politics Updates:

    Comments (0)

      Leave a Comment