हाईकोर्ट बोला- महिला का रोना दहेज उत्पीड़न साबित नहीं करता:मृतक की बहन बोली थी- फोन पर रो रही थी; पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट-मौत निमोनिया से हुई
4 hours ago

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक मामले में सुनवाई के दौरान कहा- सिर्फ इसलिए कि कोई महिला रो रही थी, इसे दहेज उत्पीड़न का मामला नहीं माना जा सकता। जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने यह टिप्पणी उस याचिका को खारिज करते हुए की, जिसमें पति और उसके परिवार को दहेज उत्पीड़न के आरोपों से बरी किए जाने के फैसले को चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने कहा, इस मामले में क्रूरता के कारण मौत होने का कोई सबूत नहीं है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मृत्यु का कारण निमोनिया बताया गया है। मौत प्राकृतिक कारणों से हुई। इसलिए धारा 498A IPC के तहत क्रूरता का मामला नहीं बनता। अब पूरा मामला समझिए... दरअसल, महिला की शादी दिसंबर 2010 में हुई थी। उसने 2 बेटियों को जन्म भी दिया था। महिला की 31 मार्च 2014 को मृत्यु हो गई थी। मृतक के परिवार का आरोप था कि उन्होंने शादी में करीब 4 लाख रुपए खर्च किए। बाद में पति और ससुराल वालों ने मोटरसाइकिल, नकदी और सोने का कंगन मांगा। ट्रायल कोर्ट ने महिला की मौत का कारण निमोनिया होने की वजह से आरोपियों (पति और परिवार वालों) को बरी कर दिया था। इसी फैसले के खिलाफ मृतक के परिजन हाईकोर्ट गए थे। HC बोला- महिला के पिता ने कोई घटना जिक्र नहीं किया हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि महिला के पिता ने न तो किसी विशेष घटना का जिक्र किया और न ही यह साबित किया कि उन्होंने पैसे दिए थे। केवल आरोप लगाने से ही दहेज उत्पीड़न का केस साबित नहीं होता। दहेज उत्पीड़न के मामलों में कोर्ट के कुछ चर्चित कमेंट... सुप्रीम कोर्ट- ससुराल पक्ष की क्रूरता साबित करने के लिए दहेज का आरोप लगाना जरूरी नहीं सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में कहा था- भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498A के तहत ससुराल पक्ष की क्रूरता साबित करने के लिए दहेज की मांग का आरोप लगाना जरूरी नहीं है। यह कानून 1983 में शादीशुदा महिलाओं को पति और ससुराल पक्ष की प्रताड़ना से बचाने के लिए लागू किया गया था। पूरी खबर पढ़ें... इलाहाबाद हाई कोर्ट: दहेज कानून का दुरूपयोग पति के रिश्तेदारों को परेशान करने के लिए न हो इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जुलाई में कहा था कि दहेज उत्पीड़न के आरोप में कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग पति के रिश्तेदारों को परेशान करने के लिए नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा था- पति के रिश्तेदार होने के नाते किसी को ट्रायल के लिए नहीं घसीटा जा सकता, जब तक कि दहेज मांगने के आरोप में विशेष घटना का जिक्र न किया गया हो। पूरी खबर पढ़ें...
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