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    हरियाणा की अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर को जमानत मिली:सुप्रीम कोर्ट ने 3 अधिकारियों की SIT बनाने के आदेश दिए, ऑपरेशन सिंदूर पर टिप्पणी की थी

    2 months ago

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    सेना के ऑपरेशन सिंदूर पर कमेंट करने वाले एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। बुधवार को कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत की बैंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि 2 ऑनलाइन पोस्ट के कारण FIR दर्ज की गई है। हम इस बात से संतुष्ट हैं कि जांच पर रोक लगाने का कोई मामला नहीं बनता है। कोर्ट ने आगे कहा कि शब्द के इस्तेमाल की प्रवृत्ति को समझने के लिए हम हरियाणा के DGP को हरियाणा/दिल्ली से संबंधित नहीं होने वाले 3 अधिकारियों के साथ एक SIT गठित करने का निर्देश देते हैं। अधिकारियों में से एक महिला अधिकारी होगी। हम याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करने का निर्देश देते हैं। सुनवाई के लाइव अपडेट्स.... कपिल सिब्बल: 8 मई की स्टेटमेंट का पेज 46 देखें जस्टिस सूर्यकांत: यह कोई न्यूजपेपर आर्टिकल है या कोई पोस्ट है? सिब्बल: फेसबुक पोस्ट है (प्रोफेसर खान की तरफ से फेसबुक पर की गई पोस्ट पढ़कर सुनाई।) सिब्बल: यह एक देशभक्ति पूर्ण पोस्ट है जस्टिस सूर्यकांत स्टेटमेंट पढ़ते हुए: आगे देखते हैं, ऐसे भी लोग हैं तो बिना सोचे-समझे युद्ध की वकालत कर रहे हैं जस्टिस सूर्यकांत: जहां वे युद्ध के कारण नागरिकों, सैन्यकर्मियों आदि पर पड़ने वाले प्रभावों पर अपनी राय दे रहे हैं, वहीं अब वे राजनीति की ओर भी रुख कर रहे हैं। कपिल सिब्बल: पोस्ट में लिखा है कि राइट विंग सपोर्टर कर्नल सोफिया कुरैशी की तारीफ कर रहे हैं लेकिन उन्हें देश में बुलडोजर से घर तोड़ने और मॉब लिन्चिंग की भी निंदा करनी चाहिए। जस्टिस सूर्यकांत: बेशक हर किसी को अपनी बात कहने का अधिकार है....क्या अब इतना सांप्रदायिक बोलने का समय आ गया है? देश के सामने एक बड़ी चुनौती है, नागरिकों पर हमले हुए हैं और उस समय....वे इस अवसर पर लोकप्रियता हासिल करने की कोशिश क्यों कर रहे हैं? सिब्बल: 10 तारीख के बाद भी इंतजार किया जा सकता था, लेकिन इसमें कोई आपराधिक मामला नहीं है, अगली शिकायत सुबह 6:30 बजे क्यों दर्ज की गई? वह उनका अभिनंदन कर रहे हैं, उनका अपमान नहीं कर रहे हैं। जस्टिस कांत: हम नहीं जानते..........मुझे यह करने का अधिकार है, वह करने का अधिकार है, मानो पूरा देश कई वर्षों से अधिकारों का वितरण कर रहा है। इसे डॉग व्हिसलिंग कहते हैं, जिसे हम कानून में समझते हैं। सिब्बल: यह देशभक्ति से भरा बयान है, देखिए भारत के विचार पर वह क्या कहते हैं....वह जय हिंद कहकर अपनी बात समाप्त करते हैं। जस्टिस कांत: कुछ राय राष्ट्र के हित में नहीं होतीं, लेकिन राय देते समय अगर आप... सिब्बल: मैं सहमत हूं। युद्ध विराम के बावजूद नागरिक अभी भी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। जस्टिस सूर्यकांत: जब शब्दों का चयन जानबूझकर अपमान, अपमान या दूसरे पक्ष को किसी तरह की असुविधा पहुंचाने के लिए किया जाता है। हमें यकीन है कि वह बहुत शिक्षित है....आप कर सकते हैं सिब्बल: मैं आपसे पूरी तरह सहमत हूं, लेकिन इससे कोई सांप्रदायिक तनाव पैदा नहीं हो रहा है... पत्नी 9 महीने की गर्भवती है, कुछ भी हो सकता है, वह न्यायिक हिरासत में है। ASG एसवी राजू: वे हाईकोर्ट क्यों नहीं जा रहे हैं? क्या यह भी उतना ही कारगर उपाय है? जस्टिस कांत: यह एक वैध आपत्ति है, लेकिन अब जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 32 के तहत डब्ल्यूपी पर विचार किया है.....आपके अनुसार उनका महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने का इरादा कहां है? ASG : मुझे याचिका पर एक नजर डालने दीजिए, जल्द सुनवाई की आवश्यकता है। जस्टिस कांत: क्या उन्होंने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से महिला अधिकारियों के खिलाफ कुछ कहने की कोशिश की है? ASG: दूसरा बयान पहले से भी खराब है, मेरे मित्र ने इसे पूरा नहीं पढ़ा है जस्टिस सूर्यकांत: वही शुरुआती पंक्ति, जांच से पता चलेगा कि वह खुद को बचाने की कोशिश कर रहा है ASG: इस मामले को शुक्रवार को ही रखा जाए। जस्टिस कांत: पूरा प्रोजेक्शन ऐसा है जैसे कि वह युद्ध विरोधी हैं, क्यों, क्योंकि परिवार, सेना के जवान, युद्ध क्षेत्रों में रहने वाले लोग और जो लोग पीड़ित हैं और युद्ध से देशों को लाभ मिलता है। कोई विश्लेषणात्मक दिमाग वाला व्यक्ति ही होगा। सुप्रीम कोर्ट: दो ऑनलाइन पोस्ट के कारण एफआईआर दर्ज की गई है, हम इस बात से संतुष्ट हैं कि जांच पर रोक लगाने का कोई मामला नहीं बनता है। लेकिन शब्द के इस्तेमाल की प्रवृत्ति को समझने के लिए, हम हरियाणा के डीजीपी को हरियाणा/दिल्ली से संबंधित नहीं होने वाले 3 अधिकारियों के साथ एक एसआईटी गठित करने का निर्देश देते हैं। सुप्रीम कोर्ट: अधिकारियों में से एक महिला अधिकारी होगी...हम याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करने का निर्देश देते हैं सुप्रीम कोर्ट: सीजेएम, सोनीपत की संतुष्टि के लिए जमानत बांड प्रस्तुत करने की शर्त पर अंतरिम जमानत दी गई। सुप्रीम कोर्ट: सीजेएम के नियमों और शर्तों के अलावा, यह आदेश दिया जाता है कि याचिकाकर्ता दोनों पोस्टों से संबंधित कोई भी ऑनलाइन लेख नहीं लिखेगा या कोई भी ऑनलाइन भाषण नहीं देगा, जो जांच का विषय हैं। सुप्रीम कोर्ट: भारत में हुए आतंकवादी हमले या हमारे देश द्वारा दिए गए जवाबी हमले के संबंध में भी सुप्रीम कोर्ट: आज ही हमने अखबार में पढ़ा, छात्र और प्रोफेसर... अगर उन्होंने कुछ करने की हिम्मत की, तो हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे, अगर उन्होंने हाथ मिलाने की कोशिश की आदि, हम जानते हैं कि इन लोगों से कैसे निपटना है, वे हमारे अधिकार क्षेत्र में हैं सुप्रीम कोर्ट: 24 घंटे के भीतर एसआईटी गठित करने का निर्देश, याचिकाकर्ता जांच में शामिल होगा और जांच में पूरा सहयोग करेगा। यह स्पष्ट किया जाता है कि आगे की जांच की सुविधा के लिए अंतरिम जमानत दी गई है ASG: हम रिमांड के माध्यम से अपराध सिद्ध करने वाली सामग्री जुटाने की प्रक्रिया में हैं सुप्रीम कोर्ट: यदि जांच अधिकारी को कोई और आपत्तिजनक सामग्री मिलती है, तो वे उसे रिकॉर्ड में रख सकते हैं और अंतरिम आदेश में संशोधन की मांग कर सकते हैं 3 पॉइंट में प्रोफेसर की विवादित पोस्ट और गिरफ्तारी की कहानी... प्रोफेसर ने पोस्ट में ये बातें लिखीं...
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