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    जिन पत्थरों में 7 मासूमों की चीखें दब गईं:हालत देख भास्कर रिपोर्ट भी नि:शब्द हो गया, देखिए VIDEO

    2 weeks ago

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    झालावाड़ के पिपलोदी स्कूल दुखांतिका पर ये 'मौन स्टोरी' है। घटना के एक दिन बाद जब रिपोर्टर ने मंजर देखा, तो वह मौन रह गया। दर्द देखकर वो नि:शब्द था। आखिर किससे सवाल करें, उसने भी मुंह पर टेप चिपका ली। बस कैमरे में कैद कर पाए वो दृश्य जहां 7 मासूम बच्चों की जान लापरवाही ने ली। ध्वस्त हुई दीवारों के मलबे में किताबों के पन्ने दबे थे...। आज जिम्मेदारों से कोई सवाल नहीं करेंगे, क्योंकि सवाल तो केवल जिंदा लोगों से किए जा सकते हैं। (वीडियो देखने के लिए ऊपर CLICK करें) हादसे की कहानी कहती 5 तस्वीरों को देखिए शुक्रवार की सुबह 7.40 बजे पिपलोदी की सरकारी स्कूल में ऐसा हादसा हुआ जिसने झकझोर कर रख दिया। 35 बच्चों पर क्लासरूम की छत ऐसे गिरी कि 7 मासूम बच्चों की आवाज हमेशा के लिए मौन हो गई। इस हादसे की जांच हो पाती, वो दीवारें और छत कुछ गवाही दे पाती, उससे पहले बुल्डोजर भेजकर प्रशासन ने आखिरी राज को भी 'मौन' कर दिया। इस हादसे से हर कोई हैरान था। मन में इतने सवाल थे जो कौंध रहे थे...आखिर कौन वो गुनहगार है, जिसकी बदौलत हंसते खेलते मासूम चले गए? किसने उन बच्चों को भरभराती छत के नीचे अकेले बैठा दिया? किसने छत की मरम्मत के लिए मंजूर पैसों से अपनी जेबें भर ली? भास्कर रिपोर्टर इसी सवाल का जवाब ढूंढने मौके पर गया था। क्योंकि हादसे का सच सामने लाना था? वो तीखे सवाल करने थे, जो हादसे के उन पीड़ित मां-बाप के मन में थे? लेकिन जो मंजर देखा उसने हमें भी मौन कर दिया। गांव के हर घर में मातम स्कूल की जमींदोज इमारत से पहले उन गलियों से गुजरे जहां बच्चों की अर्थियां अंतिम यात्रा के लिए तैयार पड़ी थी। उन घरों के आगे से गुजरना हुआ, जिनके चूल्हे शांत पड़े थे। बस माओं की चीखें सन्नाटे को चीर रहीं थी। आवाजें गूंज रही थी....मेरी मीना कहां चली गई...मेरा कान्हा लौट के आजा। जवाब कौन देता? स्कूल की दहलीज तक पहुंचते पहुंचते हमारे सवाल भी 'मौन' हो चुके थे। रिपोर्टर ने मुंह पर टेप बांध ली। यही सोचा- आज जुबान नहीं खोलेंगे...मौन ही रहेंगे। उन तस्वीरों को कैद करेंगे, जिन्हें देखने के बाद शायद उनका दिल पिघल जाए, जिनकी जिम्मेदार होकर भी मौन हैं। शायद किसी की 'चुप्पी' टूट जाए और वो दिला पाए मासूम बच्चों को इंसाफ। हादसे में जान गंवाने वाले मासूम बच्चे ----- शिक्षामंत्रीजी! स्कूल कैसे बना श्मशान, इन 7 बच्चों का हत्यारा कौन? पढ़िए स्टेट एडिटर किरण राजपुरोहित का एडिटर व्यू विद्या का मंदिर श्मशान में तब्दील हो जाता है और हमारा तंत्र सिर्फ उच्च स्तरीय जांच की बात करता है। अब हमारे सिस्टम को देखिए, जांच से पहले ही स्कूल की जर्जर इमारत पर बुलडोजर चलाकर बचे खुचे सबूत भी नष्ट कर दिए जाते हैं। ताकि न रहे बांस और न बजे बांसुरी। अब कर लो जांच। लोकतंत्र की यही विडम्बना है। तंत्र के अंदर हो रही लापरवाही की कोई जिम्मेदारी नहीं लेता। न किसी को लेने देते हैं, अन्यथा स्कूल की इमारत तो नहीं गिराते? झालावाड़ के सबसे बड़े अफसर (कलेक्टर) अजय सिंह की मानें तो हादसे के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है। क्योंकि उनके अनुसार स्कूल वालों ने कभी इसके जर्जर होने की सूचना ही नहीं दी। शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लाइन भी मिलती-जुलती ही है...(CLICK कर पूरा पढ़ें)
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