कौन होगा शिरोमणि अकाली दल का वारिस:लंबी चलेगी बादल और बागी गुट की लड़ाई या होगा पैचअप; पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स से जानिए
9 hours ago

पंजाब की पंथक पार्टी शिरोमणि अकाली दल सोमवार को 2 फाड़ हो गई। अकाल तख्त की भर्ती कमेटी ने पूर्व जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह को प्रधान चुना और बीबी सतवंत कौर को पंथक कमेटी का चेयरपर्सन घोषित किया गया। कुछ ऐसे ही हालात 1980 में बने थे। जब अकाली दल से अलग होकर बनी पार्टी ने लोगों के बीच पहचान बनाई और अंत में कुर्सी थामे बैठे अकाली दल के खेमे को नई पार्टी में मर्ज होना पड़ा था। पंजाब राजनीति के शोधकर्ता एस. पुरुषोत्तम और सीनियर जर्नलिस्ट जसबीर सिंह पट्टी कहते हैं, 'ये हालात 1980 के दशक में भी बने थे। अकाली दल डाउनफॉल पर था। प्रधान की कुर्सी पर तब जगदेव सिंह तलवंडी थे। पार्टी में विरोधी सुर उठे और तलवंडी के इस्तीफे की मांग उठने लगी। जगदेव सिंह तलवंडी प्रधानगी छोड़ने को तैयार नहीं थे तो अलग गुट बना अकाली दल लोंगोवाल। इसकी कमान हरचरण सिंह लोंगोवाल ने संभाली। लोगोंवाल ने लोगों के बीच पकड़ बनाई और उन्हें पंजाब के लोगों का भरोसा भी मिलने लगा। अंत में तलवंडी गुट को लोंगोवाल के साथ मर्ज होना पड़ा। आज भी हालात ऐसे ही हैं। अकाली दल (बादल) की प्रधानी को लेकर लड़ाई चल रही है। 2017 से लगातार अकाली दल चुनाव में हार का सामना कर रहा है, लेकिन प्रधान सुखबीर बादल ही बने हुए हैं। बागी गुट ने अब नए प्रधान की आवाज उठाते हुए पूर्व जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह को प्रधान चुना है। अब अगले 6 महीने तय करेंगे कि अकाली दल का भविष्य क्या होने वाला है।' 3 पॉइंट्स में समझें भर्ती कमेटी अकाली दल गुट का क्या होगा... दोनों पक्षों के लिए क्या रहेगी चुनौती... सीनियर जर्नलिस्ट जसबीर सिंह पट्टी ने कहा कि अकाली दल बादल और भर्ती कमेटी गुट के लिए आने वाले कुछ महीने काफी अधिक संवेदनशील रहने वाले हैं। अब असली-नकली अकाली दल की लड़ाई शुरू होगी। 4 पॉइंट्स में समझें क्या होगी चुनौतियां- भाजपा अहम रोल अदा कर सकती है...
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