खबर हटके- ट्रक और वैन की लव-स्टोरी:कभी न पिघलने वाली आइसक्रीम; AI से पकड़ाया 700 किमी दूर अपराधी; जानिए 5 रोचक खबरें
5 hours ago

रोमियो-जूलिएट, लैला-मझनु, और हीर-रांझा की कहानियां तो आपने खूब सुनी होगी। अब इसी कहानी को पहली बार ट्रक और वैन की मदद से दर्शाया गया है। वहीं वैज्ञानिकों ने एक ऐसी आइसक्रीम बनाई है, जो कभी नहीं पिघलती। युरोपियन देश एस्टोनिया में एक ऐसा अजीबोगरीब नाटक हुआ है, जिसमें कलाकार इंसान नहीं, बल्कि बड़ी-बड़ी मशीनें थीं। यहां 'रोमियो और जूलियट' की कहानी को गाड़ियों से दिखाया गया। यह नाटक एस्टोनिया के 'किनोथिएटर' ने किया था। इसे एक पुरानी खदान में दिखाया गया। नाटक में एक रैली ट्रक रोमियो के किरदार में था। जूलियट एक लाल रंग का पिकअप वैन थी। दुश्मनों के बीच लड़ाई को दो खुदाई करने वाली मशीनों ने अपने बड़े-बड़े पंजे हिलाकर दिखाया। नाटक का मकसद क्या था? नाटक के डायरेक्टर पावो पीक ने कहा- यह एक एक्सपेरिमेंट है। वे देखना चाहते थे कि क्या मशीनें भी इमोशन्स को दिखा सकती हैं। इस नाटक को दर्शकों ने खूब पसंद किया। एक दर्शक ने कहा, गाड़ियां होने के बावजूद, यह बहुत प्यारा लगा। गर्मी के मौसम में आइसक्रीम खाना सबको पसंद है। लेकिन उसके जल्दी पिघलने से परेशानी भी होती है। अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसी आइसक्रीम बनाने का तरीका खोजा है। जो जल्दी पिघलेगी नहीं। यह आइडिया एक जापानी कंपनी से मिला। उनकी आइसक्रीम पिघलती नहीं थी। इसके पीछे का राज था 'पॉलीफेनोल्स' नाम का एक पदार्थ। यह फलों में पाया जाने वाला एक तरह का एंटीऑक्सीडेंट होता है। पॉलीफेनोल्स शील्ड बनाकर पिघलने से बचाते हैं यह पॉलीफेनोल्स आइसक्रीम में प्रोटीन के साथ मिलते हैं। यह एक मजबूत जाल जैसा बना देते हैं। जब आइसक्रीम पिघलने लगती है। तो यह जाल उसके फैट को बहने से रोकता है। एक वैज्ञानिक कैमरून विक्स ने ऐसा ही प्रयोग किया। उन्होंने टैनिक एसिड (एक पॉलीफेनॉल) मिलाया। ज्यादा मात्रा में मिलाने पर आइसक्रीम इतनी सख्त हो गई। कि उसे चाकू से भी काटा जा सकता था। हालांकि, यह आइसक्रीम पिघलकर पानी नहीं बनती। बल्कि रबड़ जैसी या पुडिंग जैसी हो जाती है। वैज्ञानिकों का मकसद इसे लंबे सफर में खराब होने से बचाना है। महाराष्ट्र के नागपुर में पुलिस ने AI से एक अपराधी ट्रक ड्राइवर को पकड़ लिया। यह ड्राइवर नागपुर से करीब 700 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश में था। कुछ दिन पहले नागपुर में एक ट्रक ने मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी थी। हादसे में एक महिला की मौत हो गई थी। हादसे के बाद पुलिस के पास आरोपी की पहचान के लिए कोई ठोस सुराग नहीं था। उन्हें सिर्फ इतना पता था कि ट्रक पर लाल रंग की पट्टियां थीं। AI ने अपराधी को कैसे ढूंढा? पुलिस ने महाराष्ट्र सरकार की 'मार्वल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस' कंपनी की मदद ली। मार्वल AI की मदद से पुलिस ने घटनास्थल और टोल नाकों के CCTV फुटेज देखे। AI सिस्टम ने कुछ ही मिनटों में ट्रक की पहचान कर ली। आगे की ट्रैकिंग से पता चला कि वही ट्रक उत्तर प्रदेश में है। सूचना मिलते ही नागपुर पुलिस की एक टीम उत्तर प्रदेश भेजी गई। टीम ने वहां से ट्रक और ड्राइवर सत्यपाल खरीक को पकड़ लिया। यह देश में पहला मामला माना जा रहा है। एसपी हर्ष पोद्दार ने बताया कि यह साबित करता है कि फ्यूचर में AI पुलिस के लिए एक बड़ा हथियार होगा। दुनिया में मछली की हजारों प्रजातियां हैं। लेकिन एक ऐसी भी मछली है जिसे इंसान ने बनाया है। यह मछली 'क्रॉसब्रीड' करके लैब में तैयार हुई है। इसकी कीमत और खासियत दोनों हैरान कर देने वाली हैं। इस मछली का नाम 'फ्लावरहॉर्न' है। इसे 1990 के दशक में मलेशिया और थाईलैंड की लैब में बनाया गया। इसे 'सिक्लिड' नाम की प्रजातियों को मिलाकर तैयार किया गया है। यह लाल, सुनहरे और नीले रंग की होती है। इसके सिर पर एक बड़ा सा कूबड़ होता है। इंसानों की दोस्त बन जाती है ये मछली यह मछली इंसानों के साथ खेलती है। यह उनकी बोरियत दूर करती है। इसे खाना दिखाकर ट्रेनिंग दी जा सकती है। इसे 'गुड लक फिश' भी माना जाता है। खासकर चीन और जापान में। इसके सिर पर कुछ निशान होते हैं। अगर वो 8 जैसे दिखें तो यह धन और समृद्धि लाती है। यह मछली जितनी रेयर होती है। उसकी कीमत उतनी ही ज्यादा होती है। लोकल फ्लावरहॉर्न की कीमत 3,000 से 7,000 तक होती है। लेकिन रेयर (दुर्लभ) फ्लावरहॉर्न की कीमत 7 करोड़ तक हो सकती है। अब तक सबसे महंगी 'रेड मंकी फ्लावर हॉर्न' 7 करोड़ 50 लाख में बिकी है। एक शख्स ने 29 मिनट से ज्यादा समय तक अपनी सांस रोककर रिकॉर्ड बना दिया है। क्रोएशिया के फ्रीडाइवर विटोमिर मारीचिच ने यह कारनामा किया है। उन्होंने पानी में सांस रोककर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है। ऑक्सीजन लेकर किया कमाल मारीचिच ने 14 जून 2024 को एक पूल में यह रिकॉर्ड बनाया। वे 29 मिनट 3 सेकेंड तक बिना सांस लिए पानी में रहे। रिकॉर्ड बनाने से पहले उन्होंने 10 मिनट तक शुद्ध ऑक्सीजन ली। इससे उनके खून में ऑक्सीजन का स्टॉक 5 गुना बढ़ गया था। आपको जानकर हैरानी होगी। डॉल्फिन औसतन 15 मिनट तक सांस रोक पाती है। मारीचिच ने जानवरों से भी दोगुना समय तक सांस रोकी। दरअसल, इंसान फेफड़ों का सिर्फ 20% हिस्सा ही हवा से भर पाता है। अगर मारीचिच शुद्ध ऑक्सीजन न लें, तो भी वे नॉर्मल हवा में 10 मिनट 8 सेकेंड तक सांस रोक सकते हैं। उनकी अगली कोशिश सर्बिया के ब्रांको पेत्रोविक का रिकॉर्ड तोड़ने की है। पेत्रोविक ने बिना किसी मदद के 11 मिनट 35 सेकेंड तक सांस रोककर रिकॉर्ड बनाया था। तो ये थी आज की रोचक खबरें, कल फिर मिलेंगे कुछ और दिलचस्प और हटकर खबरों के साथ… खबर हटके को और बेहतर बनाने के लिए हमें आपका फीडबैक चाहिए। इसके लिए यहां क्लिक करें...
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