पंजाब के संगीतकार चरणजीत सिंह आहूजा का आज निधन हो गया। उन्होंने मोहाली में घर पर अंतिम सांस ली। वह 74 साल के थे और कुछ वर्षों से कैंसर से लड़ रहे थे, जिसका इलाज चंडीगढ़ पीजीआई से चल रहा था।उनका अंतिम संस्कार सोमवार दोपहर 1 बजे मोहाली के श्मशान घाट में किया जाएगा। चरणजीत आहूजा ने जीवन में अपनी संगीत रचनाओं के जरिए कई कलाकारों को प्रसिद्धि की ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनके इस असामयिक निधन पर गायक सुरजीत खान, सतविंदर बुग्गा, गुर किरपाल सूरापुरी, सूफी बलबीर, जैली, आर. दीप रमन, भुपिंदर बब्बल, बिल सिंह और अन्य कई कलाकारों ने गहरा शोक व्यक्त किया है। कोरोनाकाल में दिल्ली से मोहाली शिफ्ट हुआ परिवार
चरणजीत सिंह आहूजा और उनका परिवार पहले दिल्ली में रहता था, लेकिन कोरोना महामारी से पहले वह मोहाली शिफ्ट हो गए। इसके बाद उन्होंने मोहाली में अपना स्टूडियो बनाया। उनका घर टीडीआई सिटी में था। वह अक्सर स्टूडियो आते थे, लेकिन तबीयत बिगड़ने के बाद उन्होंने ऑफिस आना बंद कर दिया। ज्यादातर समय वह अपने घर पर ही बिताने लगे। कोरोना काल में जब घर लोग घरों से नहीं निकलते थे, उस समय वह खुद अपने स्टूडियो में आते थे। साथ ही वह लोगों को समाज सेवा के लिए प्रेरित करते थे। उनके बेटे सचिन आहूजा भी सेवा करने के लिए जाते थे। इनकी धुनों ने कई गायकों को पहचान दिलाई
चरणजीत आहूजा को "पंजाबी संगीत का शिल्पकार" कहा जाता है। वह पंजाबी संगीत जगत के एक स्तंभ माने जाते हैं। उनकी बनाई धुनें आज भी लोकगीतों, शादी-ब्याह और सांस्कृतिक आयोजनों में गूंजती हैं। उनकी धुनों ने 1980 और 1990 के दशक में पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री को नई पहचान दिलाई। सुरजीत बिंदराखिया, कुलदीप माणक, गुरदास मान, चमकीला, गुरकिरपाल सूरापुरी, सतविंदर बुग्गा समेत कई लोकगायकों को आहूजा की धुनों से नाम मिला। कुछ गायकों की तो शुरुआत ही इनके संगीत के साथ हुई, जिनमें से कुछ सुपरस्टार भी बन गए। चरणजीत आहूजा अपने पीछे 3 बेटे छोड़ गए हैं, जो सभी संगीत उद्योग से जुड़े हुए हैं। हम इस खबर को अपडेट कर रहे हैं...
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