सीकर में बांध टूटा, घरों-स्कूलों में भरा गंदा पानी:खेत डूबे, बीमारी का खतरा, नेशनल हाईवे पर पानी, दावा- 40 साल बाद ऐसा मंजर
7 hours ago

सीकर में 25 अगस्त को हुई तेज बारिश से शहर व आसपास के इलाके डूब गए। शहर से करीब ढाई किलोमीटर दूर नानी गांव को सबसे ज्यादा मार झेलनी पड़ी। कच्चा बांध टूटने से डूबे इस गांव में अब बीमारी का खतरा मंडरा रहा है। स्कूल का ग्राउंड तालाब बन चुका है, पास से निकल रहे नेशनल हाईवे-52 पर भी पानी जमा है। किसानों को भी फसल डूबने से लाखों का नुकसान हुआ है। मौके पर पहुंची दैनिक भास्कर टीम को ग्रामीणों ने बताया कि 40 साल बाद ऐसा मंजर देखने को मिला है... पढ़िए- ग्राउंड रिपोर्ट... सबसे पहले देखिए- शहर के पानी से डूबे गांव का ड्रोन PHOTO... सुरक्षा के लिए बनाया गया बांध टूटा नानी गांव के सरपंच मोहनलाल बाजिया ने बताया- शहर का गंदा पानी गांव में न आए, इसलिए कच्चा बांध बनाया गया था। रविवार दोपहर सड़क के दोनों तरफ बना ये बांध टूट गया। बारिश के साथ गंदा पानी गांव में घुस गया। सरपंच ने बताया- गंदा पानी नालों के जरिए नई बीहड़ में छोड़ा जाता है। इस पानी में कई केमिकल और कचरा भी होता है। सरपंच ने बताया- इससे पहले 1985 में गांव में बारिश से ऐसे हालात हुए थे। अब करीब 40 साल बाद गांव में खेतों और घरों में इतना पानी आया है। करीब 2 किमी. की सड़क डूबी, ट्रैफिक रुका तेज बारिश से सीकर से सालासर की तरफ जाने वाली 2 किमी लंबी सड़क भी पानी-पानी हो गई। इस सड़क पर आवाजाही हो रोका गया। इस सड़क से पानी होता हुआ नेशनल हाईवे संख्या-52 पर नए चौराहे से लेकर भढाढर गांव (करीब 4 किलोमीटर ) तक सड़क के दोनों तरफ चला गया। 100 से ज्यादा खेतों में खड़ी फसल खराब नेशनल हाईवे तक पानी आने से इसके दोनों तरफ खेत भी लबालब हो गए। सड़क किनारे बने करीब 100 से ज्यादा खेतों में पानी भर गया। सभी खेतों में फसल खराब हो गई। एक भी किसान ऐसा नहीं बचा कि उसे नुकसान न हुआ हो। सरकारी स्कूल डूबा, घरों को ढहने का खतरा बढ़ा सरपंच ने बताया- गांव के सरकारी स्कूल में सबसे ज्यादा पानी भरा है। स्कूल का ग्राउंड तालाब जैसा नजर आ रहा है। रविवार रात को टूटे बांध और पानी के बहाव के कारण करीब 20 फीट चौड़ी दीवार टूट गई। स्कूल में करीब 4 से 5 फीट तक जलभराव हो गया। अब गांव वालों को डर सता रहा है कि पानी के बढ़ते वेग से मिट्टी कटाव न हो जाए। ऐसा होता है तो मकानों के गिरने का डर रहेगा। सरकारी स्कूल के सामने ही सार्वजनिक श्मशान भूमि है। इस श्मशान भूमि में भी करीब 2 फीट तक पानी भर गया। परिवार की चिंता में घरों में ही कैद ग्रामीण शंकर शर्मा ने बताया- हर बार बारिश में गांव में जलभराव होता है। इस बार तो हालात ज्यादा खराब है। दो दिन से घर के बाहर पानी है। रात को नींद तक नहीं आ रही है। कमाना भी जरूरी है। इस पानी के बीच परिवार को छोड़कर कैसे जाएं। हमेशा डर रहता है कि पानी में डूब न जाए, ज्यादा बड़ा नुकसान ना हो जाए। इस जगह तो सरकार भी ध्यान नहीं दे रही है। खाने के लिए हम लोग मोहताज हो रहे हैं। बिजनेस पर भी असर, काफी नुकसान की आशंका सीकर से सालासर जाने वाली सड़क पर सारांश होटल चलाने वाले हरिराम निठारवाल ने बताया- बारिश के सीजन में जलभराव होने से होटल तो ठप हो गई है। ऐसा हाल आसपास के सभी बिजनेस का है। कई दुकानों में भी पानी भर गया है। इस कारण दो-तीन दिन से बाजार की कई दुकानें नहीं खुली हैं। लोगों को डेली काम आने वाले प्रोडक्ट के लिए भी परेशान होना पड़ रहा है। ट्यूबवेल में गंदा पानी जाना शुरू सीकर सालासर रोड पर रहने वाले राकेश कुमार ने बताया- मुख्य सड़क पर ही उनका मकान है। यहां उनके घर के चारों तरफ पानी ही पानी है। रात से वह घर के बाहर हैं। घर में ट्यूबवेल भी है, उसमें भी गंदा पानी जाना शुरू हो चुका है। अगर हालात नहीं सुधरे तो पीने के पानी के लिए भी मोहताज होना पड़ सकता है। 10 दिन पहले आंदोलन किया, नहीं बदले हालात सरपंच ने बताया- नानी बीहड़ के गंदे पानी की समस्या को लेकर ग्रामीणों ने 10 दिन पहले नई चौराहे पर करीब 5 घंटे तक धरना दिया और करीब 10 मिनट तक नेशनल हाईवे को जाम भी किया था। एडीएम रतन कुमार ने उन्हें आश्वासन दिया था कि नवंबर महीने तक नगर परिषद के 2 एसटीपी प्लांट शुरू हो जाएंगे। ऐसे में बीहड़ में पानी छोड़ने की बजाय एसटीपी प्लांट पर लाकर उसका ट्रीटमेंट किया जाएगा। लेकिन इससे पहले ही यहां हालात खराब हो गए है। नानी गांव में बिगड़े हालातों को कुछ तस्वीरों में देखें... सीकर शहर में हालात बद से बदतर बारिश के सीजन में सीकर शहर के भी हालात बिगड़ने लगते हैं। शहर के कुछ इलाके थोड़ी देर की बारिश में ही डूब जाता है। विशेषकर नवलगढ़ रोड, रेलवे स्टेशन व आसपास का एरिया। नवलगढ़ रोड शहर का प्रमुख एरिया है, लेकिन यहां की जल जमाव की समस्या बीते करीब दो दशक से जस की तस है। बिजनेसमैन परेशान, बस एक ही सवाल- कब बदलेंगे हालात? बिजनेसमैन रवि कुमावत पिछले 20 साल से यहां दुकान चला रहे। रवि कहते हैं- नवलगढ़ रोड पर गंदगी, जलभराव की समस्या नई नहीं है। यह समस्या दशकों से चली आ रही है। थोड़े से बारिश के पानी से यह रोड पानी से लबालब हो जाती है। जिसके कारण यहां कीचड़, गंदगी पसरना शुरू हो जाती है। सड़क पर जगह-जगह गहरे गड्ढे बने हुए हैं, जिनसे आए दिन सड़क हादसे होते हैं। प्रिंस डिपार्टमेंटल स्टोर के संचालक नरेश कुमार बताते हैं- सरकारें आती हैं, चली जाती हैं। लेकिन नवलगढ़ रोड़ पर जलभराव की समस्या आज भी वहीं बनी हुई है। बारिश के दिनों में नवलगढ़ रोड पर 3 से 4 फीट पानी भर जाता है। स्थिति यह हो जाती है कि पानी दुकानों के अंदर घुस जाता है और कई दिनों तक दुकानदार दुकानें नहीं खोल पाते। जिससे हमारा काम प्रभावित होता है। कोचिंग जाने वाले बच्चे भी परेशान नीट की तैयारी कर रही छात्रा शुभांगी का कहना है- सीकर एजुकेशन सिटी में पढ़ाई भले ही अच्छी हो, लेकिन क्या फायदा जब हम बारिश के मौसम में लगातार कई दिनों तक क्लासेस मिस करना पड़े। छाता सिर्फ सिर ढकने के काम आता है, बाकी जूतों में पानी भर जाता है और ड्रेस खराब हो जाती है। विकास के नाम पर सीकर जीरो है। हॉस्टल संचालक प्रियंका चौधरी बताती है- सीकर में बारिश आने के कारण स्टूडेंट्स को बहुत परेशानियां होती हैं। वह पैदल नहीं चल पाते। नवलगढ़ और पिपराली रोड पर 3 से 4 फीट पानी भर जाता है। सड़क के दोनों साइड फुटपाथ तो बनाया गया है लेकिन उस पर हमेशा अतिक्रमण रहता है। स्टूडेंट्स उस पर चल नहीं पाते। शहर में पार्किंग की व्यवस्था भी नहीं है, जिस कारण फुटपाथ के एरिया में भी गाड़ियां खड़ी रहती है।
ड्रोन सहयोग : हेमंत महरिया,ब्यूटी ऑफ़ सीकर .... राजस्थान बाढ़ जैसे हालातों वाले जिलों की ये खबरें भी पढ़िए... जालोर में 5 कॉलोनियों के 200 मकान गंदे-पानी में डूबे:घरों में कैद लोग बोले-4 दिन से यही हालात; दीवारों से रिसकर आ रहा सीवरेज-वाटर सवाईमाधोपुर में बारिश से जमीन ढही,80 फीट का गड्ढा बना:लोगों के मकान भी गिरे, गांव का संपर्क टूटा; ग्रामीण बोले-भीख मांगने की नौबत आई
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