SC/ST आरक्षण में ‘क्रीमी लेयर’ लागू करने की याचिका स्वीकार:सुप्रीम कोर्ट में 10 अक्टूबर को सुनवाई; केंद्र ने कहा था- इसे लागू नहीं किया जाएगा
3 hours ago

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को SC/ST आरक्षण में ‘क्रीमी लेयर’ लागू करने की मांग पर सुनवाई करने का फैसला किया है। यह याचिका रामाशंकर प्रजापति ने दायर की है। उनका कहना है कि आरक्षण का फायदा ज्यादातर SC/ST के अमीर और मजबूत वर्ग को मिल रहा है, जबकि गरीब लोग पीछे रह जाते हैं। याचिका में कहा गया है कि SC/ST आरक्षण में दो स्तर हों, पहले आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को , फिर बाकी को मौका मिले। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है और 10 अक्टूबर को अगली सुनवाई होगी। याचिकाकर्ता ने 2024 के देविंदर सिंह केस का हवाला दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि SC/ST में भी ‘क्रीमी लेयर’ यानी अमीर वर्ग की पहचान करके उन्हें आरक्षण से बाहर किया जा सकता है। अदालत ने माना था कि ऐसा करने से ही असली समानता आएगी। 9 अगस्त, 2024- केंद्र बोला- क्रीमी लेयर लागू नहीं होगा
केंद्र सरकार ने 9 अगस्त 2024 को घोषणा की थी कि अनुसूचित जाति और जनजातियों (SC/ST) के आरक्षण में क्रीमी लेयर लागू नहीं किया जाएगा। कैबिनेट मीटिंग के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि NDA सरकार बीआर अंबेडकर के बनाए गए संविधान से बंधी है। इस संविधान में एससी/एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर का कोई प्रावधान नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- राज्य आरक्षण में सब कैटेगरी बना सकते हैं सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त 2024 को 20 साल पुराना अपना ही फैसला पलटते हुए कहा था- राज्य सरकारें अब अनुसूचित जाति, यानी SC के रिजर्वेशन में कोटे में कोटा दे सकेंगी। अनुसूचित जाति को उसमें शामिल जातियों के आधार पर बांटना संविधान के अनुच्छेद-341 के खिलाफ नहीं है। 7 जजों की बेंच में शामिल जस्टिस बीआर गवई ने कहा था कि राज्यों को अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के बीच भी क्रीमी लेयर की पहचान करने और उन्हें आरक्षण का लाभ देने से इनकार करने के लिए एक नीति विकसित करनी चाहिए। पढ़ें पूरी खबर...
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