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    शिवपुरी के 20 गांवों में 700 मकानों को नुकसान:70 साल बाद बाढ़ से मकान गिरे, अनाज सड़ा, फसलें बहीं; खाने के लिए कुछ नहीं बचा

    6 days ago

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    शिवपुरी जिले में आई विनाशकारी बाढ़ ने पिछले सात दशकों के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। कोलारस विधानसभा क्षेत्र के 20 गांवों में सिंध नदी की उफनती लहरों ने जो तबाही मचाई है, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक दर्दनाक यादगार बन गई है। 29 जुलाई की रात, जब लोगों को जान बचाने के लिए अपने घरों को छोड़कर भागना पड़ा, आज भी उनके जहन में ताजा है। रात के अंधेरे में आई इस आपदा ने न केवल मकानों को निगल लिया, बल्कि लोगों की मेहनत से उगाई फसलों और जीवन भर की जमा पूंजी को भी अपने साथ बहा ले गई। बाढ़ का पानी अब धीरे-धीरे उतर रहा है, लेकिन अब कच्चे मकान मिट्टी में मिल गए हैं। खेतों में लहलहाती फसलें कीचड़ में तब्दील हो गई हैं और घरों में रखा अनाज अंकुरित होकर बेकार हो चुका है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि उन्होंने अपने जीवन में ऐसी भयंकर बाढ़ कभी नहीं देखी। प्रशासन और सेना के जवान राहत कार्यों में जुटे हुए हैं। करीब 700 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है और प्रभावित परिवारों को आवश्यक सहायता प्रदान की जा रही है। स्वास्थ्य शिविरों में बीमारी के मामले भी सामने आ रहे हैं। दैनिक भास्कर की टीम सबसे ज्यादा प्रभावित कोलारस विधानसभा के गांव पहुंची और यहां के हालात पर लोगों से बात की, पढ़िए यह रिपोर्ट… सबसे पहले 5 पॉइंट में जानिए, सिंध नदियों के उफान पर आने से शिवपुरी जिले के हालात… बदरवास में 217 मिमी बारिश से सिंध नदी में आया सैलाब शिवपुरी की बदरवास तहसील में सर्वाधिक 217 मिमी बारिश दर्ज की गई। इससे सिंध नदी में सैलाब आ गया। जिले में 24 घंटे में 112.97 मिमी बारिश हुई, जिससे कुल औसत बारिश 1021 मिमी तक पहुंच गई, जो सामान्य से 125.17% अधिक है। कोलारस तहसील के कई गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। लालपुर, संगेश्वर, लगदा, पचावली, अनंतपुर और सजाई गांव पूरी तरह प्रभावित हैं। 29 जुलाई की रात आई बाढ़ ने 20 गांवों की रातें उजाड़ दीं। रात 11 बजे जैसे ही पानी घरों में घुसा, लोगों को सब कुछ छोड़ ऊंचे स्थानों की ओर भागना पड़ा। पचावली की सावित्री बताती हैं कि रात 11 बजे पानी कमर से ऊपर आ गया। वह अपने बच्चों को लेकर पक्के मकान की छत पर चढ़ीं और रातभर वहीं रहीं। आंखों के सामने उनका कच्चा मकान ढह गया। अनाज, बर्तन, जानवर... सब कुछ बह गया। एक भैंस और एक बकरी भी बाढ़ की भेंट चढ़ गई। युवक की मौत, गर्भवती को अस्पताल में भर्ती कराया सिंध नदी के साथ इंदार नदी के सैलाब से लालपुर गांव में पानी भर गया। रात भर इंतजार के बाद ग्रामीणों का बुधवार की सुबह रेस्क्यू हुआ। एसडीईआरएफ टीम ने 6 ग्रामीणों को बोट से सुरक्षित निकाला है। ग्राम लालपुर के टपरियन में 29 जुलाई की रात दुर्गेश दांगी (35) की दिल का दौरा पड़ा और इलाज के अभाव में मौत हो गई। सुबह रेस्क्यू कर नाव से कोलारस अस्पताल लाए। वहीं गर्भवती महिला रविना केवट को दोपहर 3 बजे रन्नौद अस्पताल पहुंचाया है। वहीं पचावली गांव से 50, लालपुर से 6 लोगों को निकाला है। रेशम माता मंदिर के पास मकान में फंसे 4 लोगों का रेस्क्यू किया है। अनंतपुर में सेना ने किया रेस्क्यू, 32 ग्रामीणों को बचाया अनंतपुर गांव में बाढ़ से फंसे 32 ग्रामीणों का सेना के जवानों ने सफल रेस्क्यू किया। महिलाओं ने बताया कि घरों में गले तक पानी भर गया था। बच्चों को लेकर वे छत पर चढ़ गईं और तिरपाल ओढ़कर पूरी रात बच्चों के साथ जागते हुए बिताई। रेशम माता मंदिर के पास सिंध नदी के किनारे दो मंजिला मकान में रामप्रसाद और उनकी पत्नी सीमा केवट, धर्मेंद्र और उनकी पत्नी लक्ष्मी केवट फंसे हुए थे। बाढ़ में मकान के ढहने का खतरा था। चारों लोग ऊपरी मंजिल पर रात भर भीगते रहे। एसडीईआरएफ की टीम ने मकान का पिछला हिस्सा तोड़कर चारों को सुरक्षित बचा लिया। सैकड़ों मकान गिरे, साल भर का राशन बहा इन गांवों में सैकड़ों कच्चे मकान जमींदोज हो गए। इन घरों में रखा साल भर का अनाज, घरेलू सामान और पशुओं का चारा तक बह गया। राजा भैया जाटव बताते हैं कि 15 क्विंटल गेहूं, घर का सारा सामान और मवेशियों के लिए रखा चारा पानी में बह गया। किशनवीर के मकान के नीचे मसूर, चना और गेहूं दबकर खराब हो गए। 15 हजार बीघा की मक्का फसल बर्बाद बाढ़ ने किसानों की उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया। कोलारस क्षेत्र के खेतों में लगी मक्का, उड़द, मूंगफली और सोयाबीन की हजारों बीघा फसलें बर्बाद हो गईं। अनंतपुर गांव के लालू प्रजापति और चंद्रभान पटेल बताते हैं कि 15 हजार बीघा से ज्यादा खेतों में लगी मक्का की फसल पूरी तरह डूब चुकी है। गांव की एक महिला कहती हैं कि शादी को 40 साल हो गए, पर ऐसी बाढ़ कभी नहीं देखी। रात एक बजे जब पानी घर में घुसा तो परिवार के साथ जान बचाकर ऊंचाई पर भागे। पीछे मकान ढह गया और अनाज बह गया। एकाएक पानी आया, तीनों भाइयों के घर गिरे धनपाल जाटव ने बताया कि रात 11 बजे अचानक पानी घर में घुस आया। उनके तीन भाई परिवार सहित जैसे-तैसे बाहर निकले और कुछ ही देर में तीनों के मकान भरभराकर गिर गए। पचावली गांव की गुड्डी बाई ने बताया कि बाढ़ में उनका घर, सामान सब बह गया। अब वह अपने पूरे परिवार के साथ पचावली के सामुदायिक भवन में ठहरी हुई हैं। सावित्री ने बताया कि रात 11 बजे अचानक कमर से ऊपर पानी आ गया। वह अपने परिवार के साथ पक्के मकान की छत पर चढ़ गईं और पूरी रात वहीं रुकीं। उनकी आंखों के सामने उनका कच्चा मकान ढह गया। अनाज, सामान और एक भैंस व बकरी बाढ़ में बह गए। वे कुछ नहीं कर सकीं। मक्का की पूरी फसल बर्बाद अनंतपुर के लालू प्रजापति ने बताया कि गांव में लगभग सभी खेतों में मक्का बोई गई थी, लेकिन पूरी तरह बर्बाद हो गई। चंद्रभान पटेल ने कहा कि बाढ़ ने पास के गांवों की लगभग 15 हजार बीघा मक्का की फसल को खत्म कर दिया। किसानों की सारी मेहनत और उम्मीदें पानी में बह गईं। क्षेत्र में करीब 80 फीसदी खेतों में मक्का की फसल थी, जो इस बाढ़ में पूरी तरह चौपट हो गई है। कोलारस के पचावली गांव के राजा भैया जाटव ने बताया कि उनका घर बाढ़ में पूरी तरह धराशाई हो गया। 15 क्विंटल गेहूं, पशुओं का भूसा और गृहस्थी का सारा सामान पानी में बह गया। किशनवीर ने बताया कि उनके पास मसरा 2 क्विंटल, गेहूं 15 क्विंटल और चना 5 क्विंटल था। घर गिरने से सब दब गया तो कुछ पानी में बह गया। 20 गांवों में 607 मरीजों का उपचार किया शिवपुरी जिले में भारी बारिश और बाढ़ से प्रभावित ग्रामों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा विशेष शिविर लगाकर ग्रामीणों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई गई। 1 अगस्त को जिले के 20 अति वृष्टि प्रभावित गांवों में आयोजित इन शिविरों में कुल 607 मरीजों का उपचार किया गया। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजय ऋषीश्वर ने बताया कि कलेक्टर रविन्द्र कुमार चौधरी के निर्देश पर सभी खंड चिकित्सा अधिकारियों को प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिविर लगाने के निर्देश दिए गए थे। इसके तहत जिले के सात विकासखंडों में 9 चिकित्सकीय दल गठित किए गए, जिन्हें आवश्यक दवाइयों और उपकरणों से लैस किया गया। प्रशासन मैदान में, शुरू हुआ राहत कार्य SDM अनूप श्रीवास्तव ने बताया कि बेघर लोगों को सामुदायिक भवनों में शिफ्ट किया गया है। उन्हें खाने-पीने का सामान, राशन और दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। वहीं, पटवारी और राजस्व अमला गांव-गांव जाकर नुकसान का सर्वे कर रहा है, जिससे जल्द ही मुआवजा वितरण शुरू हो सके। ये भी पढ़ें... चंबल की बाढ़ में डूबे 9 गांव, फसल-मकान सब बर्बाद: खतरे के निशान से 7 मीटर ऊपर बह रही नदी; अब तक 750 लोगों का रेस्क्यू सिंध, चंबल, सीप और पार्वती नदियों के उफान पर आने से ग्वालियर अंचल के कई जिलों में हालात बिगड़ गए हैं। बाढ़ के कारण सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ को मोर्चा संभालना पड़ा है। अब तक यहां करीब 750 लोगों का रेस्क्यू किया जा चुका है। चंबल नदी के रौद्र रूप धारण करने के बाद भिंड के अटेर के 9 गांव पानी से घिर गए हैं। नदी खतरे के निशान से 7 मीटर ऊपर बह रही है। क्वारी नदी के किनारे मल्लपुरा गांव का संपर्क 3 दिनों से कटा हुआ है। चंबल का उफान देख चुके लोगों का कहना है कि चंबल जब आती है तो तबाही मचाकर ही जाती है। पढ़ें पूरी खबर...
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