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    ‘तेज प्रताप-तेजस्वी का झगड़ा बाहरी लोगों ने कराया’:साधु यादव बोले- जब तक घर में ऐसे लोग रहेंगे, ना पार्टी जीतेगी ना सत्ता मिलेगी

    15 hours ago

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    ‘कुछ बाहरी तत्व (लोग) लालू परिवार को बर्बाद कर रहा है। जब तक बाहरी लोग रहेंगे, ना पार्टी जीतेगी और ना सत्ता मिलेगी। हमारा अब उस परिवार से कोई लेना-देना नहीं है।’ यह कहना है राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू यादव के साले और पूर्व सांसद साधु यादव का। अनिरुद्ध प्रसाद यादव उर्फ साधु यादव RJD से हटने के बाद कांग्रेस, बसपा (बहुजन समाज पार्टी) में भी रह चुके हैं। अगला विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ने से लेकर लालू के दोनों बेटों तेज प्रताप-तेजस्वी के बीच के झगड़े पर भी खुलकर बात की। पढ़िए, साधु यादव से एक्सक्लूसिव इंटरव्यू…। सवाल- इस बार आप विधानसभा चुनाव लड़ेंगे? जवाब- हां, बिल्कुल लड़ेंगे। गोपालगंज सीट से लड़ेंगे। सवाल- लालू परिवार के बीच इन दिनों काफी विवाद है। दोनों भाई तेजस्वी और तेज प्रताप आमने-सामने हैं? जवाब- इस पर हमको कुछ नहीं कहना है। हम नहीं जान रहे हैं कि मामला क्या है। लेकिन घर फूटे गांव लूटे वाली पुरानी कहावत है। कुछ बाहरी लोग आकर घर को तहस-नहस कर रहे हैं, ये हमको जरूर समझ में आ रहा है। सवाल- किस तरह के बाहरी लोग? जवाब- बाहरी लोग का मतलब आप समझ लीजिए। बाहरी लोग घर को तितर-बितर करने में लगे हैं। वे चाहते हैं कि इस परिवार और इस पार्टी के पास सत्ता नहीं रहे। सवाल- लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव इस बात को क्यों नहीं समझ रहे हैं? जवाब- लालू जी की क्या मजबूरी है या नहीं है, ये वही जानें। सवाल- आपको क्या मजबूरी दिख रही है? जवाब- एकता में ताकत है। परिवार को तोड़ने का काम कुछ लोग कर रहे हैं और वे लोग सफल हो रहे हैं। सवाल- तेज प्रताप यादव ने मोर्चा खोल दिया है और विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार उतारने की बात कर रहे हैं। इससे तेजस्वी यादव को नुकसान होगा? जवाब- कैसे नुकसान नहीं होगा। नुकसान होना तो स्वाभाविक है। सवाल- लोगों का मानना है कि तेज प्रताप से तभी तक नुकसान हो सकता था जब वे परिवार और पार्टी में थे? जवाब- ऐसी बात वही लोग कर रहे हैं जो परिवार को तोड़ना चाहते हैं। सत्ता में लालू यादव नहीं आएं, ऐसी प्लानिंग जिन्होंने बनाई है वही ऐसा सोचते हैं। सवाल- आप तेजस्वी की तरफ हैं या तेज प्रताप की तरफ? जवाब- हमको किसी से कोई लेना-देना नहीं है। सवाल- तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनने में सफल होंगे? जवाब- मुख्यमंत्री कोई ऐसे ही थोड़े बन जाता है। उसके लिए पार्टी को जीत कर आना होगा। 122 के गणित को हासिल करना होगा। सवाल- क्यों चूक जा रहे हैं तेजस्वी? जवाब- ये हम कैसे बोलेंगे। एकता में दम है। एक नहीं हैं तो समझिए नुकसान है। सवाल- राहुल गांधी और तेजस्वी यादव जिस यात्रा पर हैं उसका महागठबंधन को फायदा मिलेगा? जवाब- ये लोग एजेंडा पर चल रहे हैं। इसमें नफा-फायदा की बात नहीं है। यह राज्य के हित में काम कर रहे हैं। हम नहीं कह रहे हैं विदेशी वोटर को रखिए। लेकिन देश का वोटर कटेगा तो नुकसान देश का होगा। गलत समय पर SIR हो रहा। सवाल- बिहार में दो बड़े नेता हैं लालू प्रसाद और नीतीश कुमार। दोनों में आपके पसंदीदा नेता कौन हैं? जवाब- लालू जी जब 90 में आए तो उस दौर में सामंती विचारधारा के लोग काम कर रहे थे। गरीबों के मान सम्मान पर खतरा था। लालू प्रसाद ने उस दौर को खत्म किया। नीतीश कुमार भी सहयोगी थे। दोनों के विचार अलग हुए जैसे तेजस्वी और तेज प्रताप के बीच हो रहा है। लालू-नीतीश दोनों ने एक ही तरह से काम किया। सवाल- नीतीश कुमार का कामकाज कैसा है? जवाब- 2004 में जब मनमोहन सिंह को RJD ने पीएम बनाया तब 50 हजार करोड़ रुपए रघुवंश प्रसाद सिंह ने बिहार को दिलाया। उस समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार थे। उसका फायदा नीतीश कुमार ने लिया। लालू प्रसाद, आरजेडी या कांग्रेस फायदा नहीं उठा सकी। गांव में जनता ने यह समझा कि नीतीश कुमार उद्घाटन कर रहे हैं इसलिए यही काम कर रहे हैं। जबकि, पैसा लालू प्रसाद ने दिलवाया था। सवाल- इस चुनाव में नीतीश कुमार को फायदा होगा? जवाब- हम इस पर अभी इसलिए नहीं कह सकते कि मेजर पार्टियां आमने-सामने गठबंधन में हैं। वोट का प्रतिशत बहुत थोड़ा का ही होगा। जनता को तय करना है। सवाल- नई पार्टी के साथ प्रशांत किशोर भी हैं? जवाब- वे तो कुछ वोट काटेंगे। वे दो प्रतिशत से ज्यादा वोट नहीं काटेंगे। वह भी बीजेपी का ही वोट काटेंगे। सवाल- आपका RJD में वापसी का रास्ता क्यों नहीं बन पा रहा, ऐसा क्या हो गया? जवाब- हम कैसे बोलेंगे। जो गति मोरा, वही गति तोरा, रामा हो रामा। मतलब यह कि लालू परिवार में जो पहले मेरा साथ किया गया वही उस परिवार में फिर से हो रहा है। सवाल- उस समय तो कहा गया था कि आपकी वजह से RJD की बदनामी हो रही है, इसलिए आपको बाहर का रास्ता दिखा दिया गया? जवाब- बदनामी तब ना होती जब हम मुख्यमंत्री या किसी मंत्री पद पर होते। मंत्री आप रहिए और बदनामी हमसे हो रही थी, यह कैसे संभव है। सवाल- यही कहा जा रहा था कि लालू-राबड़ी शासन को दो साला ही चला रहे हैं? जवाब- दोनों साला की बात नहीं करिए। हमसे बात करना है तो मेरे बारे में करिए। हम साफ-साफ कह देते हैं हम दोनों की बात नहीं करना चाहते हैं। कौन क्या बोला नहीं बोला, यह सब मीडिया की उपज है। मीडिया ने जाकर हमारी बहन से बात की। बहन राबड़ी देवी के बारे में सभी जानते हैं कि वे किस परिस्थिति में मुख्यमंत्री बनीं। उनको जो समझाया गया मीडिया में उन्होंने रख दिया। उसका नुकसान तो आज तक हो रहा है परिवार को और पार्टी को। हम किसी पद के भूखे नहीं हैं। सवाल- आपने कभी स्थिति स्पष्ट क्यों नहीं की? जवाब- नहीं। हमको कोई परवाह नहीं रही। जब हम थे ही नहीं तो फिर क्या। जिसको जो बोलना था, बोलते रहे। सवाल- आपको नुकसान हुआ कि नहीं? जवाब- हम तो कोई मिनिस्टर थे नहीं कि नुकसान होता। हम तो पार्टी के मेंबर थे। विधायक थे। सांसद थे, लेकिन जिनको बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ, उनको सोचना चाहिए। सवाल- आपकी महत्वाकांक्षा तो पॉलिटिक्स में आगे बढ़ने की रही ही? जवाब- हम तो मुख्यमंत्री की कुर्सी को छोड़ दिए। सवाल- यह आप कैसे कह रहे हैं? जवाब- उस दौर में जाइए, बात करिए। उन लोगों से जाकर पूछिए कि इसमें कितनी सच्चाई है। वे आदमी जीवित हैं, उनसे जाकर पूछिए। सवाल- तेजस्वी यादव बिहार के मुख्यमंत्री बनेंगे? जवाब- इस पर हम कोई प्रतिक्रिया नहीं देंगे। रातों रात क्या हो सकता है किसी को नहीं मालूम। हमको भी नहीं। सवाल- किसी राष्ट्रीय पार्टी से आपको ऑफर है? जवाब- नहीं किसी राष्ट्रीय पार्टी से नहीं।
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