धराली त्रासदी- एक JCO, 8 जवान लापता:70 लोगों का रेस्क्यू किया गया, गंगोत्री में करीब 200 लोग फंसे हैं
10 hours ago

उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित धराली में बादल फटने से आई बाढ़ में अब तक 3 मौतों की पुष्टि हो चुकी है। 70 लोगों का रेस्क्यू किया गया है. प्रशासन के हवाले से सेना ने बताया कि 50 से ज्यादा लोग लापता हैं। एक जूनियर कमीशंड ऑफिसर (JCO) और 8 जवान लापता हैं। वहीं, आर्मी के 9 जवानों और 3 सिविलियंस को हेलिकॉप्टर से रेस्क्यू कर देहरादून ले जाया गया। गंभीर रूप से घायल 3 लोगों को AIIMS ऋषिकेश, 8 लोगों को उत्तरकाशी के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सेना के मुताबिक, करीब 180-200 पर्यटक गंगोत्री में फंसे हुए हैं। इनके लिए सेना खाना और रहने की व्यवस्था मुहैया करा रही है। सेना ने बताया कि पैरा ट्रूप्स और मेडिकल टीमों को चिनूक हेलिकॉप्टर से हर्षिल ले जाया जाएगा। NDRF के रेस्क्यूकर्मियों और मेडिक्स को Mi-17 हेलिकॉप्टर से नेलॉन्ग ले जाया जाएगा। नेलॉन्ग से लौटते वक्त हेलिकॉप्टर वहां फंसे टूरिस्ट को लेकर आएंगे। उत्तरकाशी और टेकला की ओर जाने वाली सड़कों से मलबा हटाने का काम जारी है। मैप से समझिए घटनास्थल को... धराली रेस्क्यू अपडेट्स... सुबह 11 बजे तक कुल 87 लोगों को धराली हर्षिल से ITBP मातली शिफ्ट किया जा चुका है। धराली त्रासदी-150 लोग दबे होने की आशंका
धराली मलबे में दफन है। आसपास न सड़क बची, न बाजार। जहां नजर उठाओ, सिर्फ 20 फीट का मलबा और दिल चीरने वाला सन्नाटा है। जेसीबी जैसी बड़ी मशीनें 36 घंटे बाद भी नहीं पहुंच पाई हैं। आर्मी के जवान हाथों से बड़े-बड़े बोल्डरों वाले मलबे के नीचे जिंदगियां खोज रहे हैं। 150 से ज्यादा लोग दबे हो सकते हैं, क्योंकि जब सैलाब आया, उस वक्त गांव के लगभग सभी बुजुर्ग 300 मी. दूर पूर्वजों के मंदिर में सामूहिक पूजा में थे। वे बच गए। लेकिन गांव में मौजूद ज्यादातर युवा, कारोबारी और पर्यटक सैलाब की चपेट में आ गए। भास्कर टीम धराली से 60 किमी दूर भटवारी में है। यहां से आगे सड़क टूट चुकी है। प्रशासनिक और बचाव टीमें बुधवार को भी आगे नहीं बढ़ पाईं। बड़ी मशीनें और अतिरिक्त टुकड़ियां धराली नहीं पहुंच पाई हैं, क्योंकि भटवाड़ी से धराली तक 60 किमी में करीब 5 जगह सड़क टूट चुकी है। पूरा ऑपरेशन सेना को सौंप दिया गया है। गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर गंगनारी के पास पुल भी बह चुका है। सेना वैली ब्रिज बना रही है। गुरुवार को बन सकता है। फिर मदद पहुंचने लगेगी। पहाड़ पर बादल नहीं फटा था, हैगिंग ग्लेशियर पिघलकर गिरे धराली के श्रीखंड पर्वत से जो सैलाब नीचे उतरा, उसकी वजह बादल का फटना नहीं थी। बल्कि, पर्वत पर 6 हजार मीटर ऊपर मौजूद हैगिंग ग्लेशियर था। मौसम विभाग के डायरेक्टर डॉ. बिक्रम सिंह के अनुसार मंगलवार को धराली में दिनभर में सिर्फ 2.7 सेमी बारिश हुई, जो सामान्य थी। फिर भी तबाही आ गई। इसकी बड़ी वजह- श्रीखंड पर्वत पर मौजूद हैंगिंग ग्लेशियर हो सकते हैं। वरिष्ठ भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो. डॉ. एसपी सती ने बताया कि यह आपदा मौसमीय नहीं, बल्कि भूगर्भीय और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी है। ट्रांस हिमायल में लगातार तापमान बढ़ने से ऊपर मौजूद हैंगिंग ग्लेशियर पिघल रहे हैं। इधर, आपदा के 36 घंटे बीत जाने के बाद भी प्रभावित इलाकों धराली, हर्षिल और सुखी टॉप में सर्च ऑपरेशन जारी है। त्रासदी में अब तक 5 लोगों की मौत हो चुकी है, इनमें से 2 के शव बरामद किए गए हैं। गंगोत्री हाईवे और उसके आसपास फंसे केरल के 28 और महाराष्ट्र के 51 पर्यटक मिल गए हैं। इन्हें सेना ने रेस्क्यू किया है। तबाही के बाद की 5 तस्वीरें...
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