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    वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में लगातार दूसरे दिन सुनवाई:केंद्र बोला- सरकारी जमीन पर किसी का हक नहीं, 100 साल पुरानी समस्या खत्म करने की कोशिश

    2 months ago

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    वक्फ संशोधन एक्ट की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को लगातार दूसरे दिन सुनवाई हो रही है। केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि हम एक बहुत पुरानी समस्या को खत्म कर रहे हैं, जिसकी शुरुआत 1923 में देखी गई थी। उन्होंने कहा है कि सरकारी जमीन पर किसी का कोई हक नहीं हो सकता, चाहे वो 'वक्फ बाय यूजर' के आधार पर ही क्यों न हो। अगर कोई जमीन सरकारी है, तो सरकार को पूरा अधिकार है कि वह उसे वापस ले ले, भले ही उसे वक्फ घोषित कर दिया गया हो। केंद्र ने यह भी कहा कि वक्फ एक धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था है और यह कानून सिर्फ इसके प्रशासन और प्रबंधन को सुधारने के लिए लाया गया है, इससे धार्मिक स्वतंत्रता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इससे पहले 20 मई को CJI बीआर गवई, जस्टिस एजी मसीह और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच के सामने केंद्र ने पहले उठे मुद्दों तक सुनवाई सीमित रखने का अनुरोध किया था। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था, सुनवाई उन तीन मुद्दों पर हो, जिन पर जवाब दाखिल किए हैं। नए वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट सिर्फ 5 मुख्य याचिकाओं पर ही सुनवाई कर रहा है। इसमें AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी की याचिका शामिल है। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को बहस के लिए 7 घंटे का वक्त तय किया है। मंगलवार को 3 घंटे तक याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनने के बाद बेंच ने मामला आज तक के लिए स्थगित कर दिया था। केंद्र की दलील- हमने बिना सोचे-समझे बिल नहीं बनाया सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह ऐसा मामला नहीं है जहां मंत्रालय ने एक बिल बनाया और बिना सोच-विचार के वोटिंग कर दी गई हो। कुछ याचिकाकर्ता पूरे मुस्लिम समुदाय की ओर से नहीं बोल सकते। आपके पास जो याचिकाएं आई हैं, वे ऐसे लोगों ने दायर की हैं जो सीधे इस कानून से प्रभावित नहीं हैं। उन्होंने आगे कहा कि किसी ने यह नहीं कहा कि संसद को यह कानून बनाने का अधिकार नहीं था। JPC की 96 बैठकें हुईं और हमें 97 लाख लोगों से सुझाव मिले, जिस पर बहुत सोच-समझकर काम किया गया। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष से कहा- राहत के लिए मजबूत दलीलें लाइए कल हुई सुनवाई में बेंच ने कहा था कि मुस्लिम पक्ष को अंतरिम राहत पाने के लिए मामले को मजबूत और दलीलों को स्पष्ट करना चाहिए। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि कोई संपत्ति ASI (आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) के संरक्षण में है तो वह वक्फ संपत्ति नहीं हो सकती। कोर्ट का सवाल था- क्या ASI की संपत्ति में प्रार्थना नहीं हो सकती, वक्फ प्रापर्टी ASI के दायरे में आने से धर्म पालन का हक छिन जाता है। इस पर याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल ने बताया था कि नए कानून के तहत अगर कोई संपत्ति ASI संरक्षित है तो वह वक्फ संपत्ति नहीं हो सकती। वक्फ रद्द हो जाए तो फिर वह वक्फ संपत्ति नहीं। ये संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है। इसी दलील पर CJI ने मुस्लिम पक्ष को हिदायत दी थी- "स्पष्ट मामला न हो तो कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकता। हर कानून के पक्ष में संवैधानिकता की धारणा होती है। हम अंतरिम राहत दे सकें, इसके लिए आपकी दलीलें बहुत मजबूत और स्पष्ट होनी चाहिए वरना, संवैधानिकता की धारणा बनी रहेगी।" 20 मई की सुनवाई की बड़ी बातें... सरकार का पक्ष याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुप्रीम कोर्ट के सवाल सुप्रीम कोर्ट में पिछली सुनवाई... 15 मई: कोर्ट ने कहा था- अंतरिम राहत देने पर विचार करेंगे 15 मई की सुनवाई में तब CJI बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह ने केंद्र और याचिकाकर्ता को 19 मई तक हलफनामा पेश करने को कहा था। दोनों पक्षों के वकीलों ने कहा था कि याचिकाओं के मुद्दों पर नजर डालने के लिए जजों को कुछ और वक्त की जरूरत हो सकती है। केंद्र ने भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट जब तक मामले को सुन रहा है, तब तक कानून के अहम प्रावधान लागू नहीं होंगे, यथास्थिति बनी रहेगी। 25 अप्रैल: केंद्र ने दायर किया था 1300 पेज का हलफनामा केंद्र ने 25 अप्रैल को दायर हलफनामे में कहा था कि कानून पूरी तरह संवैधानिक है। यह संसद से पास हुआ है, इसलिए इस पर रोक नहीं लगाई जानी चाहिए। 1332 पन्नों के हलफनामे में सरकार ने दावा किया 2013 के बाद से वक्फ संपत्तियों में 20 लाख एकड़ से ज्यादा का इजाफा हुआ। इस वजह से कई बार निजी और सरकारी जमीनों पर विवाद हुआ। 17 अप्रैल: सॉलिसिटर जनरल बोले- लाखों सुझावों के बाद कानून बना 17 अप्रैल की सुनवाई में SG मेहता ने कहा था कि संसद से ‘उचित विचार-विमर्श के साथ’ पारित कानून पर सरकार का पक्ष सुने बिना रोक नहीं लगाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा था कि लाखों सुझावों के बाद नया कानून बना है। ऐसे कई उदाहरण हैं, जिनमें गांवों को वक्फ ने हड़प लिया। कई निजी संपत्तियों को वक्फ में ले लिया गया। इस पर बेंच ने कहा कि हम अंतिम रूप से निर्णय नहीं ले रहे हैं। 16 अप्रैल: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को तीन निर्देश दिए थे कानून के खिलाफ दलील दे रहे कपिल सिब्बल ने कहा,'हम उस प्रावधान को चुनौती देते हैं, जिसमें कहा गया है कि केवल मुसलमान ही वक्फ बना सकते हैं। सरकार कैसे कह सकती है कि केवल वे लोग ही वक्फ बना सकते हैं जो पिछले 5 सालों से इस्लाम को मान रहे हैं? इतना ही नहीं, राज्य कैसे तय कर सकता है कि मैं मुसलमान हूं या नहीं और इसलिए वक्फ बनाने के योग्य हूं?' क्यों हो रहा कानून का विरोध... ----------------------------- मामले से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें... वक्फ कानून में 14 बड़े बदलाव, महिलाओं और गैर-मुस्लिमों की वक्फ बोर्ड में एंट्री होगी भारत में रेलवे और रक्षा मंत्रालय के बाद सबसे ज्यादा जमीन वक्फ बोर्ड के पास है। करीब 9.4 लाख एकड़। इतनी जमीन में दिल्ली जैसे 3 शहर बस जाएं। इसी वक्फ बोर्ड से जुड़े एक्ट में बदलाव के लिए केंद्र सरकार आज संसद में बिल पेश करेगी। विपक्ष के नेता और मुसलमानों का एक बड़ा तबका इसके विरोध में हैं। पूरी खबर पढ़ें...
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