अब NEET-PG में मेडिकल संस्थानों को फीस डिटेल्स देना होगा:सुप्रीम कोर्ट का आदेश, सीट ब्लॉकिंग पर पेनाल्टी लगेगी; स्टूडेंट्स दो राउंड ही काउंसिलिंग कर सकेंगे
2 months ago

NEET-PG में ट्रांसपेरेंसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस आर माधवन ने सुनवाई की। कोर्ट ने NEET PG काउंसलिंग को लेकर निर्देश जारी किए। इसमें सीट ब्लॉकिंग पर पेनाल्टी लगाना समेत कई प्री-काउंसलिंग फीस डिस्क्लोस करना शामिल है। NEET PG काउंसलिंग से पहले जारी होंगी फीस डिटेल्स सुप्रीम कोर्ट के निर्देश-
1. ऑल इंडिया कोटा (AIQ) और स्टेट काउंसलिंग का एक नेशनली सिक्रोंनाइज्ड काउंसलिंग कैलेंडर जारी हो।
2. सभी प्राइवेट और डीम्ड यूनिवर्सिटी काउंसलिंग से पहले ट्यूशन, हॉस्टल समेत पूरी फीस डिटेल्स जारी करें।
3. नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) के आधीन एक सेंट्रलाइज्ड फीस रेगुलेशन फ्रेमवर्क तैयार किया जाए।
4. राउंड 2 काउंसलिंग के बाद एडमिशन पाए स्टूडेंट्स को बेहतर सीट के लिए अपग्रेडेशन का ऑप्शन मिले।
5. एग्जाम में ट्रांसपेरेंसी बनाने के लिए कैंडिडेट्स के स्कोर, आंसर की और नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूला जारी हो।
6. सीट ब्लॉकिंग करने वालों का सिक्योरिटी डिपोजिट जब्त करें या उन्हें अगले NEET से डिस्क्वालिफाई कर दें।
7. मल्टीपल सीट होल्डिंग रोकने के लिए Aadhaar बेस्ड सीट ट्रैकिंग का इस्तेमाल किया जाए।
8. सभी स्टेट्स के लिए एक एलिजिबिलिटी, सीट विड्रॉल आदि नियमों का यूनिफॉर्म काउंसलिंग कंडक्ट कोड बनाएं।
9. NMC के आधीन एक थर्ड पार्टी ओवरसाइट मैकेनिज्म तैयार हो जो काउंसलिंग डाटा का एनुअल ऑडिट करे। सुप्रीम कोर्ट में आज हुई सुनवाई NEET PG एग्जाम में नॉर्मलाइजेशन से जुड़ी याचिकाओं पर SC में आज सुनवाई हुई। इससे पहले जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस ऐ जी मसीह की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि ये 2024 की परीक्षा से संबंधित है। ऐसे में अब इस पर सुनवाई की जरूरत नहीं है। मगर याचिकाकर्ताओं का कहना है कि NEET PG 2025 एग्जाम में भी स्टूडेंट्स के बीच नॉर्मलाइजेशन एक बड़ा कंसर्न है। सितंबर 2024 में दायर हुई थी याचिका NEET PG 2024 परीक्षा के एस्पिरेंट्स ने सितंबर 2024 में परीक्षा में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए याचिका दायर की थी। स्टूडेंट्स की मांग थी कि परीक्षा आयोजित करने वाली एजेंसी NBEMS एग्जाम के क्वेश्चन पेपर और स्टूडेंट्स की आंसर भी जारी करे। इससे कैंडिडेट्स को अपने रिजल्ट का सही आकलन करने और बेहतर तैयारी करने में मदद होगी। स्टूडेंट्स की दूसरी मांग थी कि एग्जाम एक ही शिफ्ट में हो। दो शिफ्ट में एग्जाम होने से रिजल्ट नॉर्मलाइजेशन के बाद जारी होता है जो कि फेयर नहीं है। आखिर क्या है नॉर्मलाइजेशन कई बार जब किसी एग्जाम के लिए अप्लाई करने वाले कैंडिडेट्स की संख्या ज्यादा हो जाती है तो एग्जाम कई शिफ्टों में आयोजित कराया जाता है। कई बार एग्जाम कई दिन तक चलता है। ऐसे में हर शिफ्ट में क्वेश्चन पेपर का अलग सेट स्टूडेंट्स को दिया जाता है। ऐसे में किसी स्टूडेंट को मुश्किल और किसी स्टूडेंट को आसान क्वेश्चन पेपर मिलता है। यहां सवाल उठता है कि आसान और मुश्किल कैसे तय किया जाता है। इसे ऐसे समझते हैं… किसी एग्जाम में क्वेश्चन पेपर के तीन सेट- A, B, C बांटे गए। इसमें अलग-अलग सेट सॉल्व करने वाले स्टूडेंट्स का एवरेज स्कोर कैलुकलेट किया जाएगा। मान लीजिए सेट A सॉल्व करने वालों कैंडिडेट्स का एवरेज स्कोर 70 मार्क्स है। सेट B वालों का स्कोर 75 मार्क्स है और सेट C सॉल्व करने वालों का एवरेज स्कोर 80 मार्क्स है। ऐसे में सेट C सबसे आसान और सेट A सबसे मुश्किल माना जाएगा। आसान सेट वाले कैंडिडेट्स का नॉर्मलाइजेशन के चलते कुछ मार्क्स गंवाने पड़ेंगे और मुश्किल सेट वालों को एक्स्ट्रा मार्क्स मिलेंगे। इसके अलावा स्टूडेंट्स ने 2 शिफ्ट में परीक्षा आयोजित करने का भी विरोध किया है। स्टूडेंट्स का कहना है कि एक से ज्यादा शिफ्ट में परीक्षा होने से क्वेश्चन पेपर का डिफिकल्टी लेवल अलग-अलग होता है। इससे फेयर इवैल्युएशन नहीं हो पाता। 52,000 सीटों के लिए परीक्षा देश भर में लगभग 52,000 पोस्ट ग्रेजुएशन सीटों के लिए हर साल लगभग दो लाख MBBS ग्रेजुएट NEET PG देते हैं। पिछले साल पहली बार NEET PG एक शिफ्ट फॉर्मेट के बजाय दो शिफ्ट में आयोजित की गई थी। ये 11 अगस्त को हुई थी - पहली शिफ्ट सुबह 9 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक और दूसरी शिफ्ट दोपहर 3:30 बजे से शाम 7 बजे तक थी।
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