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    असम में 18+उम्र वालों का नया आधार कार्ड नहीं बनेगा:CM हिमंत ने कहा- अवैध प्रवासियों को नागरिकता से रोकने के लिए फैसला लिया

    4 hours ago

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    असम में 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों का नया आधार कार्ड नहीं बनेगा। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा- असम कैबिनेट ने अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता से रोकने के लिए यह फैसला लिया है। CM हिमंत ने बताया कि राज्य में 18 साल से अधिक उम्र के जिन लोगों के पास अभी तक आधार कार्ड नहीं है, उन्हें आवेदन के लिए एक महीने का समय दिया जाएगा। अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और चाय जनजाति के 18+ आयु वाले एक साल तक आधार कार्ड बनवा सकेंगे। मुख्यमंत्री हिमंत की 2 बड़ी बातें... अक्टूबर 2024: असम में अप्रवासियों को नागरिकता देने वाला कानून वैध सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर में सिटिजनशिप एक्ट की धारा 6A की वैधता को बरकरार रखा था। सिटिजनशिप एक्ट की धारा 6A को 1985 में असम समझौते के दौरान जोड़ा गया था। इस कानून के तहत जो बांग्लादेशी अप्रवासी 1 जनवरी 1966 से 25 मार्च 1971 तक असम आए हैं वो भारतीय नागरिक के तौर पर खुद को रजिस्टर करा सकते हैं। हालांकि 25 मार्च 1971 के बाद असम आने वाले विदेशी भारतीय नागरिकता के लायक नहीं हैं। CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की कॉन्स्टिट्यूशन बेंच ने इस पर फैसला सुनाया था। फैसले पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ सहित चार जजों ने सहमति जताई है। वहीं जस्टिस जेबी पारदीवाला ने असहमति जताई। पूरी खबर पढ़ें... क्या कहती है सिटिजनशिप एक्ट की धारा 6A सिटीजनशिप एक्ट 1955 की धारा 6A, भारतीय मूल के विदेशी प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्राप्त करने की अनुमति देती है। जो 1 जनवरी, 1966 के बाद लेकिन 25 मार्च, 1971 से पहले असम आए थे। यह प्रावधान 1985 में असम समझौते के बाद डाला गया था, जो भारत सरकार और असम आंदोलन के नेताओं के बीच हुआ समझौता था। ये नेता बांग्लादेश से असम में प्रवेश करने वाले अवैध प्रवासियों को हटाने का विरोध कर रहे थे। जब बांग्लादेश मुक्ति युद्ध समाप्त हुआ था।असम के कुछ स्वदेशी समूहों ने इस प्रावधान को चुनौती दी, उनका तर्क था कि यह बांग्लादेश से विदेशी प्रवासियों की अवैध घुसपैठ को वैध बनाता है। 2012 में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था, 12 साल बाद फैसला 2012 में गुवाहाटी के नागरिक समाज संगठन, असम संयुक्त महासंघ ने धारा 6ए को चुनौती दी थी। इसमें कहा था- धारा 6ए भेदभावपूर्ण, मनमानी और अवैध है। क्योंकि इसमें असम और शेष भारत में प्रवेश करने वाले अवैध प्रवासियों को नियमित करने के लिए अलग-अलग कट-ऑफ तिथियां प्रदान की गई हैं। कई बारे मामले में नई बेंच बनाई गई। बाद में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने मामले की सुनवाई 5 दिसंबर को शुरू की। 12 दिसंबर, 2023 को समाप्त हुई। कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। -------------------------------- ये खबर भी पढ़ें... ‘कागज दिखाए, फिर भी पूछ रहे, बांग्लादेश से कब आए’:दिल्ली छोड़कर जा रहे बंगाल-असम के लोग, बोले- हम घुसपैठिए नहीं हिंदुस्तानी ‘हमारा परिवार बंगाल से दिल्ली काम करने के लिए आया, लेकिन यहां हमें परेशान किया जा रहा है। हम बंगाली बोलते हैं और मुस्लिम भी हैं। भाषा और धर्म के आधार पर हमें टारगेट किया जा रहा है। हमें बांग्लादेशी बताकर बेदखल क्यों किया जा रहा है। हम तो अपने देश में ही सुरक्षित नहीं हैं।‘ पूरी खबर पढ़ें...
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