गोटमार मेले में पत्थरबाजी से करीब 1000 लोग घायल:पांढुर्णा में किसी का सिर फूटा, किसी का पैर फ्रैक्चर; दो लोगों को नागपुर रेफर किया
20 hours ago

मध्यप्रदेश के पांढुर्णा में गोटमार मेले में परंपरा के नाम पर हुई पत्थरबाजी में करीब 1000 लोग घायल हो गए। किसी का हाथ टूट गया, किसी का पैर फ्रैक्चर हो गया। किसी को सिर पर चोट आई तो किसी को चेहरे पर। घायलों में से दो को नागपुर रेफर किया गया है। इनमें एक ज्योतिराम उईके का पैर टूट गया है, जबकि निलेश जानराव का कंधा टूटा है। प्रशासन ने स्थानीय स्तर पर घायलों के इलाज के लिए 6 अस्थायी स्वास्थ्य केंद्र बनाए हैं, इनमें 58 डॉक्टर और 200 मेडिकल स्टाफ तैनात है। सुरक्षा के लिहाज से 600 पुलिस जवान तैनात रहे। कलेक्टर अजय देव शर्मा ने धारा 144 भी लागू की। लेकिन, इसका असर नहीं दिखा। बता दें कि गोटमार परंपरा के तहत जाम नदी किनारे बसे पांढुर्णा और सावरगांव के लोगों ने एक दूसरे पर पत्थर फेंके। नदी के दोनों किनारों पर बड़ी संख्या में लोग जुटे रहे। सुबह करीब 10 बजे पत्थरबाजी शुरू हुई थी। जो रात करीब 7.30 बजे तक चलती रही। पलाश रूपी झंडा नदी में गिरते ही मोटमार खत्म हो गया। ऐसे होती है गोटमार मेले की शुरुआत
जाम नदी में चंडी माता की पूजा की जाती है। सावरगांव के लोग पलाश का पेड़ काटकर लाते हैं और नदी के बीच में लगाते हैं। इस झंडे (पेड़) को जंगल से लाने की परंपरा पीढ़ियों से सावरगांव निवासी सुरेश कावले का परिवार निभाता आया है। झंडा लगाने के बाद पांढुर्णा और सावरगांव के लोगों के बीच पत्थरबाजी होती है। सावरगांव के लोग पलाश का पेड़ और झंडा नहीं निकालने देते। वे इसे लड़की मानकर रक्षा करते हैं। पांढुर्णा के लोगों को लड़के वाला मानते हैं। पांढुर्णा के लोग पत्थरबाजी कर पलाश का पेड़ कब्जे में लेने का प्रयास करते हैं। अंत में झंडे को तोड़ लेने के बाद दोनों पक्ष मिलकर चंडी माता की पूजा कर गोटमार को खत्म करते हैं। गोटमार मेले की तस्वीरें.... 1955 से 2023 तक 13 लोगों की मौत हो गई
गोटमार परंपरा की शुरुआत को लेकर स्पष्ट जानकारी नहीं है, लेकिन सावरगांव निवासी सुरेश कावले का दावा है कि करीब 400 साल पहले शुरू हुई होगी। पत्थरबाजी में 1955 पहली मौत हुई थी। इसके बाद 2023 तक 13 लोगों की जान चली गई। इनमें तीन लोग एक ही परिवार के थे। गोटमार में कई लोगों ने हाथ-पैर, आंखें खो दीं। इसके बावजूद लोग इसे हर साल दोगुने उत्साह से खेलते हैं। हालांकि अपनों को खोने वाले परिवार इसे शोक दिवस के रूप में मनाते हैं। पांढुर्णा थाना प्रभारी अजय मरकाम के मुताबिक मौत और घायलों के मामले में अब तक किसी ने भी थाने में शिकायत नहीं की, जिससे मेले से संबंधित कोई केस दर्ज नहीं हो सका।
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