गोधराकांड के बाद हुए दंगा मामलों के 3 दोषी बरी:गुजरात हाईकोर्ट ने कहा- गवाह ने इनकी पहचान कैसे की थी, यह नहीं बताया
5 days ago

गुजरात हाईकोर्ट ने सोमवार को सुनवाई के दौरान तीन लोगों को बरी कर दिया। इन्हें 2006 में आणंद सेशन कोर्ट ने 2002 के गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के मामले के लिए दोषी ठहराया था। हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष के गवाह ने इनकी पहचान कैसे की यह नहीं बताया। और न ही गवाह ने 100 से अधिक लोगों की भीड़ में देखे गए प्रत्येक आरोपी की भूमिका का उल्लेख किया। जस्टिस गीता गोपी ने यह आदेश दो अपीलों को स्वीकार करते हुए पारित किया। उक्त अपीलों में से एक सचिनभाई हसमुखभाई पटेल और अशोकभाई जशभाई पटेल द्वारा दायर और दूसरी अशोक बनारसी भरतभाई गुप्ता द्वारा दायर की गई थी। अभियुक्तों को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 149 (गैरकानूनी रूप से एकत्रित होने का साझा उद्देश्य) के लिए पांच वर्ष कारावास और धारा 147 (दंगा) के तहत अपराध के लिए छह माह के कठोर कारावास की भी सजा सुनाई गई थी। पहचान स्वीकार करते समय सावधानी बरतनी चाहिए: कोर्ट
हाईकोर्ट ने आदेश में कहा- ऐसे मामलों में जहां अभियुक्त गवाह के लिए अजनबी हो। उसकी पहचान स्वीकार करते समय निचली अदालत को बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। टेस्ट आइडेंटिफिकेशन परेड (TIP) के अभाव में अभियुक्त की कटघरे में पहचान हमेशा संदिग्ध रहेगी। अभियोगी इन 3 इन लोगों को कैसे जानता था, यह नहीं बताया गया। न ही गवाह ने इन अभियुक्तों की सही भूमिका के बारे में बताया कि उसने किस तरह 100-200 लोगों की भीड़ में इन्हें देखा था। गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के कोच में आग लगा दी गई थी
27 फरवरी 2002 में गुजरात के गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 डिब्बे में आग लगा दी गई थी। ट्रेन में अयोध्या से लौट रहे 59 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई थी। गुजरात सरकार ने इस मामले में 11 दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने के हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। पूरे गुजरात में फैल गए थे सांप्रदायिक दंगे
गोधरा कांड के बाद गुजरात दंगों में एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए गोधरा कांड के बाद गुजरात दंगों में एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। इनमें 790 मुसलमान और 254 हिंदू थे। गोधरा कांड के एक दिन बाद 28 फरवरी को अहमदाबाद की गुलबर्ग हाउसिंग सोसाइटी में बेकाबू भीड़ ने 69 लोगों की हत्या कर दी थी। मरने वालों में उसी सोसाइटी में रहने वाले कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी भी शामिल थे। इन दंगों से राज्य में हालात इस कदर बिगड़ गए कि स्थिति काबू में करने के लिए तीसरे दिन सेना उतारनी पड़ी थी।
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