हिमाचल में हेली टैक्सी से मणिमहेश का किराया ₹3340:DGCA ने की हेलीपैड की इंस्पेक्शन; बैरिकेड्स लगाने को कहा, 16 अगस्त से यात्रा शुरू
3 days ago

उत्तर भारत की पावन एवं पवित्र मणिमहेश यात्रा के लिए हेली टैक्सी का एक साइड कि किराया 3340 रुपए देना होगा। दोनों साइड यात्रा करने के लिए 6680 रुपए किराया देना होगा। हेली टैक्सी सेवा शुरू करने के लिए आज डीजीसीए (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) की टीम भरमौर पहुंची। इस टीम ने भरमौर और गौरीकुंड स्थित हेलीपैड का निरीक्षण किया। केंद्रीय टीम ने हेलीपैड के पास प्रॉपर बैरिकेड्स लगाने और रस्सियां लगाने को कहा, ताकि हेली टैक्सी की उड़ान और लैंडिंग के वक्त कोई हेलीपैड अंदर न जा पाए। निरीक्षण के बाद केंद्रीय टीम अपनी रिपोर्ट नागरिक उड्डयन महानिदेशालय को सौंपेगी। प्रशासन ने मणिमहेश यात्रा में हेली टैक्सी सेवा 9 अगस्त से शुरू करने का फैसला लिया है और 31 अगस्त तक चलेगी। 2 कंपनियों के हैलीकॉप्टर भरमौर पहुंचे हेली टैक्सी सेवा प्रदान करने वाली 2 कंपनियों- हिमालयन हेली सर्विस और रजस एयरो स्पोर्ट्स के एक-एक हैलीकॉप्टर बुधवार को भरमौर स्थित हेलीपैड पर पहुंच गए हैं। मणिमहेश यात्रा 16 अगस्त से शुरू हो रही बता दें कि मणिमहेश यात्रा आधिकारिक तौर पर 16 अगस्त से शुरू हो रही है। इस यात्रा में देश के सैकड़ों श्रद्धालु भाग लेते हैं। ज्यादातर श्रद्धालु पैदल इस यात्रा को पूरा करते है। मगर अब हेली टैक्सी से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु मणिमहेश पहुंचते हैं। बीते साल 8 लाख श्रद्धालु पहुंचे एडीएम कुलविंदर राणा ने बताया, बीते साल करीब 8 लाख श्रद्धालु मणिमहेश यात्रा पर पहुंचे थे। यह यात्रा मौसम पर काफी निर्भर रहती है। खराब मौसम में भरमौर से मणिमहेश के लिए फ्लाइट भी नहीं उड़ पाती। भरमौर से गौरीकुंड तक उड़ता है हेलिकॉप्टर हेलिकॉप्टर भरमौर से गौरीकुंड तक उड़ता है। यहां से डेढ़ किलोमीटर पैदल या घोड़ों पर जाना पड़ता है। भरमौर से गौरीकुंड की दूरी 13 किलोमीटर है। ज्यादातर श्रद्धालु मणिमहेश के लिए पैदल पहुंचते हैं। उत्तर भारत की कठिन धार्मिक यात्रा मणिमहेश यात्रा को उत्तर भारत की कठिन धार्मिक यात्रा माना जाता है। 13 हजार फुट से ज्यादा की ऊंचाई पर स्थिति मणिमहेश पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को ऊंचे-ऊंचे पहाड़ चढ़ने पड़ते हैं। यह यात्रा अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सुंदर दृश्यों के लिए भी जानी जाती है, क्योंकि इस यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को घने जंगलों, अल्पाइन घास के मैदानों और चट्टानों के बीच से होकर गुजरना पड़ता है। इस दौरान हिमालय का मनमोहक दृश्य भी देखने को मिलता हैं। यही वजह है कि यह आध्यात्मिक यात्रा रोमांच और प्राकृतिक सुंदरता का भी आभास कराती है। मणिमहेश के कैलाश शिखर में शिव का निवास मान्यता है कि भगवान शिव मणिमहेश के कैलाश शिखर पर निवास करते हैं, जो झील से दिखाई देता है। माना जाता है कि यह यात्रा 9वीं शताब्दी में शुरू हुई थी, जब एक स्थानीय राजा, राजा साहिल वर्मन को भगवान शिव के दर्शन हुए थे, जिन्होंने मणिमहेश झील पर एक मंदिर स्थापित करने का निर्देश दिया।
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