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    कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर में चूहों के कारण परिक्रमा पथ धंसा:अधिकारी बोले- हम धर्मसंकट में फंसे, पाप के डर से मार नहीं पा रहे

    16 hours ago

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    हरियाणा के कुरुक्षेत्र में स्थित प्रसिद्ध ब्रह्मसरोवर पर चूहों ने डेरा जमा लिया है। विशेष रूप से VIP घाट के लगभग 300 मीटर के दायरे में चूहों ने 100 से अधिक गहरे बिल बना लिए हैं। इन सुरंगनुमा बिलों के कारण ब्रह्मसरोवर का परिक्रमा पथ धंसने लगा है और पत्थर उखड़ने लगे हैं। क्षेत्रफल के अनुसार, ब्रह्मसरोवर देश का सबसे बड़ा धार्मिक सरोवर है, जिसकी देखरेख कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड (KDB) करता है। KDB के मानद सचिव रहे उपेंद्र सिंघल बताते हैं कि वे चूहों की इतनी बड़ी आबादी से परेशान हैं। चूहों को मारने से पाप लगने के डर से वे धर्मसंकट में हैं। इसलिए, KDB अब विशेषज्ञों और सिंचाई विभाग से सलाह ले रहा है, ताकि कोई ऐसा तरीका निकाला जा सके जिससे चूहों को कोई नुकसान न हो और ब्रह्मसरोवर के घाट भी सुरक्षित रहें। चूहों के बिल बनने की 2 बड़ी वजहें... चूहों की वजह से ब्रह्मसरोवर पर 4 खतरे... श्रद्धालु बोले- ये देश की धरोहर, ध्यान देना जरूरी पानीपत के समालखा से आए विनोद कुमार ने कहा कि ब्रह्मसरोवर पर विदेशों से भी पर्यटक और श्रद्धालु आते हैं। ब्रह्मसरोवर की मेन सड़क के पास घाट पर चूहों ने बिल बना लिए हैं। ब्रह्मसरोवर पर ध्यान देने की जरूरत है। ये कुरुक्षेत्र की नहीं बल्कि देश की धरोहर है। अमित शर्मा ने बताया कि चूहों के कारण कोई बीमारी फैल सकती है। KDB को पक्का प्रबंध करना चाहिए। कुछ लोग ब्रह्मसरोवर में मछलियों को आटा डालते हैं, उनको भी रोका जाना चाहिए। प्रोफेसर ने चूहों को लेकर 2 उपाय बताए कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी के जूलॉजी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर परमेश कुमार कहते हैं, "ये होम रैट ही हैं। इनको पकड़ने के लिए पहला तरीका पिंजरा लगाना है। इसमें काफी मेहनत करनी होगी। चूहों को नई चीज से फोबिया होता है। इसलिए हर रोज उसमें फ्रेश ब्रेड या कुछ खाना डालना होगा। पकड़ने के बाद दूर छोड़ने का संकट है। अब जानिए ब्रह्मसरोवर का देशभर में क्या महत्व... जगन्नाथ मंदिर व विट्ठल रुक्मिणी मंदिर में भी आई ऐसी दुविधा ओडिशा के पुरी में जगन्नाथ मंदिर में महाप्रसाद के लिए रखे अनाज को चूहे नुकसान पहुंचाते थे। समस्या से निपटने के लिए अल्ट्रासोनिक डिवाइस लगाया गया, जिसमें से ध्वनि तरंगें निकलती थीं। लेकिन फिर यह बात उठी कि इन तरंगों से भगवान को शयन में दिक्कत आती है। इसके बाद चूहों को पकड़ने के लिए विशेष पिंजरे लगाने और बिल्ली पालने पर भी विचार किया गया। आखिर में मंदिर की रसोई को अधिक साफ-सुथरा और चूहे-प्रतिरोधी बनाया गया। महाराष्ट्र के पंढरपुर में विट्ठल रुक्मिणी मंदिर में भी चूहों से समस्या आई। यहां रात के समय चूहे मंदिर परिसर में घूमते थे और फूलों की माला, प्रसाद आदि को नुकसान पहुंचाते थे। इस समस्या से निपटने के लिए पहले मानव रहित अल्ट्रासोनिक रिपेलर लगाए गए। साथ ही प्राकृतिक उपायों के तहत कपूर और नीम की पत्तियां रखी गईं। राजस्थान के एक मंदिर में चूहे पूजे जा रहे राजस्थान के बीकानेर से करीब 30 किलोमीटर दूर करणी माता मंदिर स्थित है। करणी माता को दुर्गा का अवतार माना जाता है। इस मंदिर में करीब 25,000 चूहे हैं, जिन्हें स्थानीय भाषा में काबा कहते हैं। मंदिर में चूहों को पूजा जाता है, और इन्हें मारना पाप माना जाता है। श्रद्धालु इनके बीच नंगे पैर चलते हैं। अगर कोई चूहा किसी श्रद्धालु के ऊपर चढ़ जाए या पैरों पर दौड़े तो इसे शुभ संकेत माना जाता है। खासकर, यदि सफेद चूहा दिखाई दे जाए तो यह बहुत ही शुभ और दुर्लभ माना जाता है। स्थानीय कथा के अनुसार, करणी माता ने अपने एक मृतक परिजन को पुनर्जीवित करने के लिए यमराज से आग्रह किया था। जब यमराज ने इनकार कर दिया, तो करणी माता ने अपने चमत्कार से उन्हें चूहों के रूप में पुनर्जन्म दे दिया। माना जाता है कि ये सभी चूहे उनके मंदिर में वास करते हैं।
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