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    कश्मीर में भागलपुर का जवान शहीद,आज आएगा पार्थिव शरीर:दोस्त बोले- बूढ़े मां-बाप सदमा नहीं सह पाएंगे, इसलिए नहीं बताया; एक महीने पहले हुआ था ट्रांसफर

    5 hours ago

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    जम्मू-कश्मीर में भागलपुर का जवान शहीद हो गया। बारामुला जिले के उरी सेक्टर के टिका पोस्ट में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान अंकित यादव (35) शहीद हो गए। मंगलवार की रात अचानक आतंकियों की ओर से फायरिंग होने लगी। सेना ने भी जवाबी कार्रवाई की, इस दौरान आतंकियों की गोली अंकित को लग गई, जिसमें वे गंभीर रूप से घायल हो गए। जख्मी हालत में पहले AIP-06 और फिर देवी पोस्ट लाया गया। बटालियन के RMO (रेजिमेंटल मेडिकल ऑफिसर) ने ढाई घंटे तक उनका इलाज किया। इलाज के दौरान बुधवार सुबह 6:15 बजे दम तोड़ दिया। सेना के अधिकारियों ने उनकी शहादत की सूचना बुधवार सुबह 10 बजे बड़े भाई निरंजन यादव को दी। शहीद जवान रंगरा प्रखंड के चापर गांव के रहने वाले थे। उनका पार्थिव शरीर आज गांव पहुंचेगा। घर में बूढ़ी मां सविता देवी और पिता लक्ष्मी यादव हैं। जवान के दोस्त ने बताया, अंकित यादव के माता-पिता बूढ़े हो चुके हैं। वो बेटे के जाने का सदमा नहीं सह पाएंगे, इसलिए उन्हें और अंकित की पत्नी को शहादत की खबर नहीं दी गई है। गांव में भरा बाढ़ का पानी शहीद के गांव में बाढ़ का पानी भरा है। यहां तक कि घर में भी पानी घुसा हुआ है। इस वजह से गांव के बाहर टेंट लगाया है। जहां पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। अंकित सेना में हवलदार के पद पर तैनात थे और बारामुला जिले के उरी सेक्टर में टिका पोस्ट में उनकी पोस्टिंग थी। एक महीने पहले कश्मीर में हुआ ट्रांसफर शहीद जवान के बड़े भाई निरंजन यादव ने बताया, 'अंकित 2009 में सेना में भर्ती हुए थे। बचपन से ही उनका सपना था कि वे सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करें। भाई के शहीद होने पर दुख तो है, लेकिन यह हमारे परिवार और जिले के लिए गर्व की बात है।' भाई ने कहा, 'छोटे भाई की शहादत पर मुझे गर्व है। एक माह पहले अंकित छुट्टी पर घर आए थे और 15 दिन पहले ही ड्यूटी पर लौटे थे। एक महीने पहले मेरठ से ट्रांसफर होकर कश्मीर गए थे।' 2017 में हुई थी शहीद अंकित की शादी शहीद अंकित यादव की शादी वर्ष 2017 में कटिहार जिले के काढ़ा गोला की रहने वाली रूबी कुमारी से हुई थी। उनके दो बेटे हैं- उत्कर्ष (4) और उपांश (2)। पत्नी बच्चों के साथ कटिहार में रहती हैं। उनकी शहादत की सूचना मिलने पर दोपहर बाद रूबी के भाई कटिहार से उन्हें अपने घर ले गए हैं। अभी पत्नी को अंकित की शहादत की जानकारी नहीं है। बड़े भाई भी आर्मी में थे अंकित चार भाइयों में सबसे छोटे थे। पिता लक्ष्मी यादव किसान हैं। माता सविता देवी गृहिणी हैं। सबसे बड़े भाई निरंजन सेना में JCO के पद से रिटायर हुए हैं। फिलहाल झारखंड के सैप में नियुक्त हैं। निरंजन ने बताया कि वह घर के लिए रवाना हो चुके हैं। मंझले भाई मिथिलेश यादव RPF में एसआई हैं और पटना के बख्तियारपुर में तैनात हैं। तीसरे भाई मुकेश यादव आर्मी से रिटायर्ड हैं। रिटायर होने के बाद मुकेश यादव पूर्णिया में शिक्षक की नौकरी कर रहे हैं। भाई निरंजन ने बताया, 'शहीद अंकित का पार्थिव शरीर गुरुवार तक गांव पहुंचने की उम्मीद है। अन्य दोनों भाई भी घर के लिए निकल चुके हैं।' ग्रामीणों ने बताया, 'अंकित मिलनसार इंसान थे। गांव के लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए इंतजार कर रहे हैं।' बाढ़ के बीच होगा अंतिम संस्कार ग्रामीणों के अनुसार, अंकित न केवल एक बहादुर सैनिक थे बल्कि एक सरल और मिलनसार व्यक्ति भी थे। उनकी शहादत पर न सिर्फ गांव बल्कि पूरे नवगछिया अनुमंडल और भागलपुर जिले को गौरव है। वर्तमान में पूरा क्षेत्र बाढ़ की चपेट में है। एक तरफ लोग अपने वीर सपूत की अंतिम विदाई की तैयारी में है, दूसरी ओर बाढ़ से निपटने में जुटे हैं। प्रशासन पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहा है। ग्रामीण वीर जवान के पार्थिव शरीर का इंतजार कर रहे हैं, ताकि अंतिम दर्शन कर पाए। ------------------------------- ये खबर भी पढ़ें... 'तिरंगे को सैल्यूट कर समझूंगा बेटे को सैल्यूट किया':'ऑपरेशन सिंदूर' में शहीद सुनील के पिता बोले- छोटे पोते को भी फौजी बनाऊंगा 'कल 15 अगस्त है। तिरंगे को सैल्यूट कर के सोचूंगा कि अपने शहीद बेटे को सैल्यूट कर रहा हूं। मुझे गर्व है कि मेरा बेटा ऑपरेशन सिंदूर में देश के काम आया।' 'छोटा बेटा भी फौज में है और देश की सेवा में जुटा है। मैं अपने छोटे पोते को भी फौजी बनाऊंगा।' ऑपरेशन सिंदूर में शहीद हवलदार सुनील सिंह के पिता ने बेटे को याद करते हुए ये बातें भास्कर से कहीं। स्वतंत्रता दिवस पर हमने शहीद हवलदार के परिवार से बात कर उनका हाल जाना। पूरी खबर पढ़ें...
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