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    पहला मंदिर जहां चौबीसों घंटे शिवलिंग पर बहेगी गंगा धारा:कुरुक्षेत्र संगमेश्वर में 4000 लीटर के टैंक की एप से निगरानी, हरिद्वार से आएगा गंगाजल

    16 hours ago

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    कुरुक्षेत्र के एक हजार साल से ज्यादा पुराने संगमेश्वर महादेव मंदिर अरुणाय में अब शिवलिंग पर चौबीसों घंटे गंगाजल की धार बहेगी। सावन के आखिरी दिन शुक्रवार को यह व्यवस्था शुरू हो गई।मंदिर में आने वाले श्रद्धालु भी भगवान को गंगा जल अर्पित कर सकेंगे। इसके लिए मंदिर में मॉडर्न टैंक सिस्टम लगाया गया है। इस सिस्टम में 1500-1500 लीटर के 2 टैंक मंदिर के द्वार पर फिट किए गए हैं। इसके अलावा 1 हजार लीटर की कैपेसिटी वाला टैंक अलग रखा गया है। इस टैंक से शिवलिंग पर लगे कलश को जोड़ा गया है। टैंक से कलश में गंगा जल पहुंचेगा और वहां से शिवलिंग पर गंगा जल की धार बनी रहेगी। इन टैंकों में जल की कैपेसिटी को नापने के लिए भी सिस्टम लगा है। जैसे ही टैंक में जल कम होगा, सिस्टम तुरंत अलर्ट भेज देगा। उसके बाद हरिद्वार में हर की पौड़ी से गंजा जल की सप्लाई पहुंचेगी। एप से रखी जाएगी नजर गंगा जल के टैंक में गेज सिस्टम लगा है। इस सिस्टम पर मोबाइल एप के जरिए नजर रखी जाएगी। इस एप से टैंक और उसमें मौजूद गंगा जल की सारी जानकारी मैसेज के जरिए ऑटोमैटिक मिलती रहेगी। एप से जल की शुद्धता के बारे में भी पता किया जा सकेगा। एप टैंक में 100 लीटर जल रहने पर अलर्ट देगी। करनाल के श्रद्धालु ने बनाई व्यवस्था मंदिर सेवादल के प्रबंधक भूषण गौतम ने बताया कि करनाल के रहने वाले श्रद्धालु की ओर से पूरा सिस्टम लगाया गया है। श्रद्धालु ने अपना नाम गुप्त रखने की इच्छा जाहिर की है। सिस्टम लगाने के साथ उन्होंने गंगा जल मंदिर तक पहुंचाने की व्यवस्था का भरोसा भी दिया है। मंदिर प्रबंधन सिर्फ उनको टैंक में 200 लीटर जल रहने पर मैसेज देगा। हर की पौड़ी हरिद्वार से लाया गया जल उन्होंने कहा कि हर की पौड़ी हरिद्वार से गंगा जल लाकर टैंकों में डाला गया है। गंगा जल लाने के लिए अलग से गाड़ी का प्रबंध भी श्रद्धालु की तरफ से किया गया है। हरिद्वार से जल लाने में ज्यादा समय भी नहीं लगता है। कल सुबह उनकी गाड़ी हरिद्वार से जल लेकर आई थी और शाम को जल भरकर लौट आई। निशुल्क मिलेगा गंगा जल प्रबंधक भूषण गौतम ने कहा कि मंदिर में कोई भी श्रद्धालु आकर गंगा जल से शिवलिंग का अभिषेक कर सकेगा। इसलिए टैंक को मंदिर के द्वार पर लगाया गया है। ये व्यवस्था निशुल्क रहेगी। अगर कोई श्रद्धालु मंदिर से गंगा जल अपने साथ लेकर जाना चाहे, तो प्रबंधन की ओर से कोई आपत्ति नहीं है। श्री पंच और सचिव महंत ने किया उद्घाटन मंदिर के सचिव एवं प्रबंधक महंत विश्वनाथ गिरी ने बताया कि शुक्रवार को श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी और श्री पंच ने इस टैंक सिस्टम का उद्घाटन किया। उसके बाद से श्रद्धालुओं ने गंगा जल से शिवलिंग का अभिषेक शुरू कर दिया। जानिए संगमेश्वर महादेव मंदिर की कहानी प्रबंधक भूषण गौतम के मुताबिक, संगमेश्वर महादेव स्वयंभू शिवलिंग हैं। पुराने समय में महात्मा गणेश गिरि को घास के बीच एक दीमक का ढेर दिखाई दिया। उन्होंने अपने चिमटे से इस ढेर को कुरेदा तो उनका चिमटा किसी ठोस चीज से टकराया। उन्होंने मिट्टी को हटाकर देखा तो उन्हें वहां बड़ा सुंदर और तेजस्वी शिवलिंग दिखाई दिया। शिवजी की प्रेरणा से बनाया मंदिर: उन्होंने शिवलिंग को किसी साफ स्थान पर स्थापित करने के लिए उखाड़ना चाहा, मगर शिवलिंग का अंतिम छोर नहीं मिला। वे थक-हारकर रात को सो गए। रात को स्वप्न में उनको शिवलिंग वाली जगह पर मंदिर के निर्माण की प्रेरणा हुई। वे सुबह उस स्थान पर पहुंचे तो शिवलिंग पर नाग लिपटा हुआ था। भगवान शिव की प्रेरणा से मंदिर का निर्माण कराया गया। तभी से मंदिर का जीर्णोद्धार का काम भी चल रहा है। दूध से नहीं निकलता मक्खन: मंदिर में एक और चमत्कार देखने को मिलता है। यहां दूध को बिलोकर उससे मक्खन नहीं निकाला जाता है। अगर कोई कोशिश करता है, तो दूध खराब हो जाता है। साथ ही, मंदिर परिसर में चारपाई या खाट का भी इस्तेमाल नहीं किया जाता है। मान्यता है कि किसी का बुखार ठीक नहीं हो रहा हो, तो दो दिन मंदिर के भंडारे में भोजन करने से उसका बुखार उतर जाता है। 3 नदियों के संगम से बना संगमेश्वर: संगमेश्वर धाम अरुणा, वरुणा और सरस्वती नदी के संगम से बना है। महाभारत, वामन, गरुड़, स्कंद और पद्म पुराण में वर्णित कथाओं में इसका प्रमाण मिलता है। भगवान शंकर से प्रेरित होकर 88 हजार ऋषियों ने यज्ञ के जरिए अरुणा, वरुणा और सरस्वती नदी का संगम कराया था। इन नदियों के संगम से भोलेनाथ ‘संगमेश्वर महादेव’ के नाम से विश्व विख्यात हुए। हर त्रयोदशी को लगता है मेला: यहां हर महीने की त्रयोदशी पर मेला लगता है, जिसमें हरियाणा समेत पंजाब के श्रद्धालु आते हैं। इसके अलावा महाशिवरात्रि और श्रावण मास में बड़ा मेला लगता है। दो दिन चलने वाले इस मेले में 5 लाख से ज्यादा श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। महीने में 20 हजार से ज्यादा श्रद्धालु मंदिर में जल चढ़ाने और मन्नत मांगने आते हैं।
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