पत्रकार हत्याकांड में सगे भाई एनकाउंटर में ढेर:मां मुस्लिम, पिता हिंदू; दोनों के दो-दो सरनेम...तिवारी और खान
3 days ago

सीतापुर में पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई हत्याकांड के दो शूटरों को STF ने एनकाउंटर में मार गिराया है। SP अंकुर अग्रवाल ने बताया- STF और पुलिस को शूटरों के मूवमेंट की सूचना मिली। गुरुवार तड़के पिसावा इलाके में टीम चेकिंग कर रही थी। इसी दौरान दोनों शूटर बाइक से आए। टीम ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन शूटरों ने फायरिंग कर दी। जवाबी कार्रवाई में दोनों को गोली लग गई। उन्हें तुरंत जिला अस्पताल ले जाया गया। वहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। बदमाशों की पहचान मिश्रिख थाने के अटवा गांव निवासी राजू तिवारी उर्फ रिजवान खान और संजय तिवारी उर्फ अकील खान के रूप में हुई। दोनों सगे भाई थे। इनकी मां मुस्लिम, जबकि पिता हिंदू है। पुलिस रिकॉर्ड में भी बदमाशों के नाम में तिवारी और खान दोनों सरनेम लिखा हुआ है। दोनों शूटर पर एक-एक लाख का इनाम था। पुलिस सूत्रों का कहना है कि इनके पास दो आधार कार्ड थे। दोनों अलग-अलग यानी एक हिंदू और दूसरा मुस्लिम नाम से था। एनकाउंटर पर पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई की पत्नी रश्मि ने कहा- हम इस एनकाउंटर से बिल्कुल संतुष्ट नहीं हैं। पुलिस ने आज जो वाहवाही लूटी है, वह हमारे दर्द और न्याय की मांग को दबाने जैसा है। शुरू से लेकर अंत तक सिर्फ खानापूर्ति की गई। हमें अब तक न्याय नहीं मिला। पुजारी ने दी थी शूटर भाइयों को 4 लाख की सुपारी
इसी साल, 8 मार्च को दोनों भाइयों ने हाईवे पर पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई की बाइक रोककर उसे गोलियों से छलनी कर दिया था। यह हत्या पूरे प्रदेश में सुर्खियों में आ गई थी। हत्या की साजिश कारेदेव बाबा मंदिर के पुजारी शिवानंद बाबा उर्फ विकास राठौर ने रची थी। राघवेंद्र ने पुजारी को मंदिर परिसर में किसी के साथ आपत्तिजनक हालत में देख लिया था। पुजारी को डर था कि राघवेंद्र यह बात बाहर न बता दे, इसलिए दोनों शूटरों को 4 लाख रुपए की सुपारी देकर पत्रकार की हत्या करवा दी थी। पुलिस इस केस में अब तक मुख्य साजिशकर्ता पुजारी शिवानंद बाबा समेत तीन आरोपियों को जेल भेज चुकी है। राजू और संजय के खिलाफ हत्या, लूट और डकैती जैसे गंभीर अपराधों में 24 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। राजू ने 2006 में लखीमपुर में दरोगा परवेज अली की हत्या की थी, जबकि संजय ने 2011 में सीतापुर में देवी सहाय शुक्ल की गोली मारकर हत्या कर दी थी। एनकाउंटर स्पॉट की तस्वीरें- राजू और संजय के मां-बाप ने की थी लव मैरिज राजू और संजय की मां का नाम नज्जो और पिता का नाम कृष्ण गोपाल त्रिपाठी है। दोनों ने प्रेम विवाह किया था। कृष्ण गोपाल त्रिपाठी की पहली पत्नी का नाम विमला था, जिनसे उन्हें दो बेटे- अशोक त्रिपाठी और संजय त्रिपाठी हुए। नज्जो से उन्हें दो बेटे- राजू और संजय हुए। कृष्ण गोपाल त्रिपाठी की पहली पत्नी विमला की 17 साल पहले मौत हो गई थी। इसके दो साल बाद कृष्ण गोपाल की भी मौत हो गई। नज्जो की भी कुछ साल पहले मृत्यु हो चुकी है। अटवा निवासी कौशल्या ने बताया- मैंने 25 साल पहले यह मकान कृष्ण गोपाल से खरीदा था। नज्जो यहीं पर रहती थी, उसका संबंध कृष्ण गोपाल त्रिपाठी से था। कृष्ण गोपाल यहीं आकर रहने लगे थे। मकान बेचने के बाद वे लोग यहां से चले गए। उसके बाद से उनका कोई अता-पता नहीं। पत्रकार की पत्नी बोलीं- मेरे सामने एनकाउंटर करने को कहा था पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई की पत्नी रश्मि ने कहा- जब तक पति का अंतिम संस्कार नहीं हुआ, हमें सिर्फ आश्वासन ही दिए जाते रहे। शुरू में नेता-मंत्री सब आए और न्याय दिलाने की बात की, लेकिन बाद में कोई यह पूछने भी नहीं आया कि हमारे साथ क्या हुआ? हमारे परिवार की क्या हालत है? बच्चों का क्या हुआ? किसी को कोई मतलब ही नहीं रहा। एसपी जगदीश ने जो खुलासा किया, वह पूरी तरह से मनगढ़ंत और झूठी कहानी थी। उन्होंने वही बताया जो उनके मन में आया। हमने शुरू से ही मांग की कि इस पूरे मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए। आखिर सीबीआई जांच क्यों नहीं करवाई जा रही है? क्या दिक्कत है? जब सीबीआई जांच होगी, तब असली चेहरे सामने आएंगे, वे चेहरे जो अब तक बचते रहे हैं। हमारी बात सुनने वाला कोई नहीं है। जो लोग हमारे समर्थन में थे, उन्हें इतना प्रताड़ित किया गया कि अब वे हमारे घर आने की हिम्मत नहीं कर पाते। अब यह एनकाउंटर कर दिया गया, वह भी बिना हमें कोई सूचना दिए। ऐसा नहीं होना चाहिए था। हमें तो कहा गया था कि जब दोषी पकड़े जाएंगे, तब एनकाउंटर वहीं किया जाएगा, जहां मेरे पति की हत्या की गई थी, वो भी मेरी आंखों के सामने। लेकिन, ऐसा कुछ नहीं हुआ। अब पत्रकार हत्याकांड के बारे में जानिए- हाईवे पर हमलावरों ने पत्रकार पर बरसाई थीं गोलियां पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई महोली कस्बे के रहने वाले थे। वे एक राष्ट्रीय अखबार में महोली तहसील के पत्रकार थे। 8 मार्च को लखनऊ-दिल्ली नेशनल हाईवे पर हेमपुर रेलवे क्रासिंग के पास बने ओवर ब्रिज पर बाइक सवार हमलावरों ने राघवेंद्र पर ताबड़तोड़ फायरिंग की। तीन गोली उनके कंधे और सीने में लगी। वारदात को अंजाम देने के बाद हमलावर बाइक से फरार हो गए थे। स्थानीय लोगों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने घायल राघवेंद्र को जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था। इसके बाद परिजनों ने हाईवे पर शव रखकर प्रदर्शन किया था। इस दौरान पत्रकार के परिवार वालों और पुलिस में झड़प हो गई थी। भीड़ और पुलिस में जमकर धक्का-मुक्की हुई। इस दौरान भीड़ में से किसी ने इंस्पेक्टर अनूप शुक्ला का कॉलर भी पकड़ लिया था।
33 दिन बाद पुलिस ने घटना का खुलासा किया था पुलिस की शुरुआती जांच धान खरीद में घोटाले की खबरों पर टिकी। पत्रकार राघवेंद्र ने धान खरीद में गड़बड़ी को छापा था। कर्मचारियों पर एक्शन भी हुए थे। पुलिस ने 4 हजार से अधिक नंबरों को सर्विलांस रखा। 100 से अधिक संदिग्धों से पूछताछ की गई। पता चला कि पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई महोली कस्बे में अपने परिवार के साथ रहते थे। उनका कारेदेव मंदिर पर आना-जाना था। पिछले 5-6 महीनों से राघवेंद्र का मंदिर पर आना-जाना काफी बढ़ गया था। मंदिर के मुख्य पुजारी रमाकांत मिश्रा हैं, वह महोली के कारीपाकर के रहने वाले हैं। इसी मंदिर में शिवानंद बाबा नाम का व्यक्ति भी 5 साल से रह रहा था। उसका असली नाम विकास राठौर उर्फ विकास मिश्रा है। वह रामकोट के अहाता कप्तान का रहने वाला है। पुलिस ने CCTV खंगाले। फुटेज में दो लोग कारेदेव बाबा मंदिर और राघवेंद्र के घर के आसपास और महोली कस्बे में संदिग्ध रूप से घूमते नजर आए। इन पर शक पुख्ता होते ही गहनता से जांच की गई। पुलिस ने शूटरों के स्केच भी बनवाए। पूछताछ के लिए शिवानंद बाबा, उनके करीबी निर्मल सिंह और असलम गाजी को हिरासत में लेकर कड़ाई से पूछताछ की गई। इसके बाद तीनों ने जुर्म कबूल कर लिया था। वारदात के 33 दिन बाद पुलिस ने हत्याकांड का खुलासा किया था। पुजारी ने हत्या करवाने की बात कबूली थी
आरोपी पुजारी शिवानन्द बाबा ने पुलिस को बताया था- मंदिर में आने जाने के दौरान पत्रकार राघवेंद्र से हमारी दोस्ती हुई। करीब दो महीने पहले राघवेंद्र बाजपेई ने हमें आपत्तिजनक हालत में देखकर फोटो खींच ली थी। पत्रकार ने इस चीज को दबाने के लिए 20 लाख रुपए की मांग की थी। हमने कुछ पैसे देकर मामले को खत्म करने की बात कही तो वह नहीं माने। जिसके बाद हमने अपने मंदिर में आने वाले साथी असलम गाजी और निर्मल सिंह के साथ शूटरों को 4 लाख की सुपारी दी। इसके बाद रेकी कर शूटरों ने राघवेंद्र की हत्या कर दी। यूपी में 8 सालों में 239 अपराधी मारे गए यूपी में पिछले 8 सालों में 14,973 मुठभेड़ हुई। इसमें 239 अपराधी एनकाउंटर में मारे गए। 30,694 अपराधियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। 9,467 अपराधियों के पैरों में गोली लगी। मेरठ जोन में सबसे ज्यादा कार्रवाई हुई, जहां 7,969 अपराधी गिरफ्तार और 2,911 घायल हुए। आगरा जोन में 5,529 गिरफ्तार और 741 घायल, बरेली जोन में 4,383 गिरफ्तार और 921 घायल हुए। वाराणसी जोन में 2,029 अपराधी अरेस्ट और 620 घायल हुए। ---------------------- एनकाउंटर से जुड़ी हुई ये खबर भी पढ़ें- प्रयागराज में कुख्यात बदमाश एनकाउंटर में मारा गया प्रयागराज में यूपी एसटीएफ बुधवार रात झारखंड के कुख्यात गैंगस्टर छोटू धनबादिया उर्फ आशीष रंजन को ढेर कर दिया। ये मुठभेड़ शंकरगढ़ क्षेत्र में हुई। इस दौरान छोटू धनबादिया ने पुलिस पर एके 47 से फायरिंग की, जिसके पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई की। पढ़ें पूरी खबर
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