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    राजनाथ बोले- शुभांशु शुक्ला बजरंग बली के भक्त:स्पेस में हनुमान चालीसा पढ़ी होगी; एस्ट्रोनॉट बोले- अंतरिक्ष से भारत देखना सबसे खूबसूरत नजारों में एक

    9 hours ago

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    केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को इंडियन एयरफोर्स स्पेस कॉन्फ्रेंस में भाग लिया। उन्होंने ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और उनके अन्य सहयोगियों, ग्रुप कैप्टन पी वी नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन और ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप को सम्मानित किया। इस दौरान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और वायुसेना प्रमुख एयर मार्शल एपी सिंह भी मौजूद रहे। राजनाथ सिंह ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, 'मुझे बताया गया कि आप (शुभांशु शुक्ला) भी बजरंग बली के भक्त हैं। आपने वहां (अंतरिक्ष में) कई बार हनुमान चालीसा पढ़ी होगी। हनुमान जी का एक भक्त आसमान की ऊंचाइयों को छूकर लौटा है। यह सिर्फ विज्ञान की जीत नहीं है। यह विश्वास और साहस की गूंज है।' वहीं, शुभांशु शुक्ला ने कहा, 'मेरे पास क्लिप है, जिसमें मैंने स्पेस से भारत को कैप्चर करने की कोशिश की थी। स्पेस से भारत वाकई बहुत खूबसूरत दिखता है। खासकर रात के समय हिंद महासागर के ऊपर साउथ से नॉर्थ की तरफ आते समय, जब भारत के ऊपर से गुजरते हैं तो वह जीवन में देखे जाने वाले सबसे खूबसूरत नजारों में से एक होता है।' शुभांशु शुक्ला 18 दिनों तक ISS में रहकर लौटे शुभांशु शुक्ला Axiom‑4 मिशन के तहत 18 दिनों तक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर रहने के बाद 15 जुलाई 2025 को धरती पर सुरक्षित लौटे थे। इसके बाद, 17 अगस्त को भारत पहुंचे थे। 18 अगस्त को PM मोदी ने उनसे मुलाकात की थी। यह मुलाकात करीब 20 मिनट चली थी। शुभांशु का अगला मिशन गगनयान होगा, इसकी तैयारी करेंगे शुभांशु का अगला मिशन गगनयान होगा। यह ISRO का ह्यूमन स्पेस मिशन है। इसके तहत 2027 में स्पेसक्राफ्ट से वायुसेना के तीन पायलट्स को स्पेस में भेजा जाएगा। ये पायलट 400 किमी के ऑर्बिट पर 3 दिन रहेंगे, जिसके बाद हिंद महासागर में स्पेसक्राफ्ट की लैंडिंग कराई जाएगी। मिशन की लागत करीब 20,193 करोड़ रुपए है। गगनयान मिशन के लिए अभी वायुसेना के चार पायलट्स को चुना गया है, जिनमें से एक ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला हैं। गगनयान की तैयारी के लिए ही शुभांशु Axiom-4 के तहत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन गए थे। इसकी एक सीट के लिए भारत ने 548 करोड़ रुपए चुकाए थे। गगनयान के जरिए पायलट्स को स्पेस में भेजने से पहले ISRO दो खाली टेस्ट फ्लाइट भेजेगा। तीसरी फ्लाइट में रोबोट को भेजा जाएगा। इसकी सफलता के बाद चौथी फ्लाइट में इंसान स्पेस पर जा सकेंगे। पहली टेस्ट फ्लाइट इस साल के अंत तक भेजी जा सकती है। ISRO ने ‘गगनयान मिशन’ की क्या-क्या तैयारी कर ली है और क्या बाकी है गगनयान मिशन का रॉकेट तैयार है और एस्ट्रोनॉट्स की ट्रेनिंग जारी है… 1. लॉन्च व्हीकल तैयार: इंसान को अंतरिक्ष में ले जाने लायक लॉन्च व्हीकल HLVM3 रॉकेट तैयार कर लिया गया है। इसकी सिक्योरिटी टेस्टिंग पूरी हो चुकी है। इस रॉकेट को पहले GSLV Mk III के नाम से जाना जाता था, जिसे अपग्रेड किया गया है। 2. एस्ट्रोनॉट्स सिलेक्शन और ट्रेनिंग: गगनयान मिशन के तहत 3 एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस में ले जाया जाएगा। इसके लिए एयरफोर्स के 4 पायलटों को चुना गया। भारत और रूस में इनकी ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है। इन्हें सिम्युलेटर के जरिए ट्रेनिंग दी गई है। स्पेस और मेडिकल से जुड़ी अन्य ट्रेनिंग दी जा रही हैं। 3. क्रू मॉड्यूल और सर्विस मॉड्यूल: एस्ट्रोनॉट्स के बैठने वाली जगह क्रू मॉड्यूल और पावर, प्रप्लशन, लाइफ सपोर्ट सिस्टम वाली जगह सर्विस मॉड्यूल् अपने फाइनल स्टेज में है। इसकी टेस्टिंग और इंटीग्रेशन बाकी है। 4. क्रू एस्केप सिस्टम (CES): लॉन्चिंग के दौरान किसी अनहोनी की स्थिति में क्रू मॉड्यूल को रॉकेट से तुरंत अलग करने के लिए क्रू एस्केप सिस्टम तैयार किया जा चुका है। पांच तरह के क्रू एस्केप सिस्टम सॉलिड मोटर्स बनाए गए हैं, जिनका सफल परीक्षण भी हो चुका है। 5. रिकवरी टेस्टिंग: ISRO और नेवी ने अरब सागर में स्पलैशडाउन के बाद क्रू मॉड्यूल की सुरक्षित वापसी के लिए टेस्टिंग की है। बैकअप रिकवरी के लिए ऑस्ट्रेलिया के साथ भी समझौता हुआ है। 6. मानव-रहित मिशन के लिए रोबोट: जनवरी 2020 में ISRO ने बताया कि गगनयान के मानव रहित मिशन के लिए एक ह्यूमोनोइड बनाया जा चुका है, जिसका नाम व्योममित्र है। व्योममित्र को माइक्रोग्रैविटी में एक्सपेरिमेंट्स करने और मॉड्यूल की टेस्टिंग के लिए तैयार किया गया है। 41 साल बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में गया अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा और भारतीय एजेंसी इसरो के बीच हुए एग्रीमेंट के तहत भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को एक्सियम मिशन-4 के लिए चुना गया था। शुभांशु इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर जाने वाले पहले और स्पेस में जाने वाले दूसरे भारतीय हैं। इससे 41 साल पहले राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत यूनियन के स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष यात्रा की थी। लोकसभा में अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला पर विशेष चर्चा संसद के मानसून सत्र के दौरान, लोकसभा में 18 अगस्त को एस्ट्रोनॉट शुभांशु पर चर्चा शुरू हुई। लोकसभा में स्पीकर ओम बिड़ला ने दोपहर 2 बजे अंतरिक्ष से लौटे शुभांशु शुक्ला पर विशेष चर्चा का प्रस्ताव रखा। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा- मुझे यह देखकर पीड़ा हो रही है कि जब पूरा देश अंतरिक्ष में भारत के कदम का जश्न मना रहा है, विपक्ष इस पर बोल भी नहीं पा रहा है। उन्होंने कहा- आपकी नाराजगी सरकार से हो सकती है, एस्ट्रोनॉट से कैसे हो सकती है? शुभांशु एयरफोर्स के सिपाही हैं, किसी राजनीतिक दल से ताल्लुक नहीं है। आप धरती से भी नाराज हैं, आकाश से भी नाराज हैं और आज अंतरिक्ष से भी नाराज हैं। पढ़ें पूरी खबर... ----------------------------- यह खबर भी पढ़िए... शुभांशु शुक्ला ऐसा क्या सीख रहे, जिससे 2 साल में भारतीय अंतरिक्ष जाने लगेंगे धरती से 28 घंटे का सफर कर कैप्टन शुभांशु शुक्ला इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन यानी ISS पहुंचे थे। वो एक्सियम-4 मिशन का हिस्सा रहे, जिसकी एक सीट के लिए भारत ने 548 करोड़ रुपए चुकाए। भारत ने शुभांशु पर इतनी बड़ी रकम क्यों खर्च की, उन्होंने अंतरिक्ष में 14 दिन क्या-क्या किया और ये भारत के गगनयान मिशन के लिए कितना जरूरी। पूरी खबर पढ़ें...
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