सबसे पहले भगवान महाकाल को बंधी राखी:सवा लाख लड्डुओं का लगा भोग; 60 डिब्बे देसी घी और 40 क्विंटल बेसन से 4 दिन में हुए तैयार
8 hours ago

विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में महाकाल को राखी बंधने के साथ ही रक्षाबंधन पर्व की शुरुआत हो गई। अमर पुजारी के परिवार की महिलाओं द्वारा तैयार की गई खास राखी उन्हें अर्पित की गई है। महाकाल को जो राखी बांधी गई है उसमें मखमल का कपड़ा, रेशमी धागा और मोती का उपयोग हुआ है। राखी पर भगवान गणेश जी विराजित हैं। शनिवार को सबसे पहले तड़के 3 बजे भस्म आरती के लिए पट खोले गए। इसके बाद पंचामृत से अभिषेक किया गया। भस्म आरती के दौरान ही उन्हें विशेष श्रृंगार के साथ राखी अर्पित की गई। रक्षा बंधन पर बाबा महाकाल का विशेष श्रृंगार, तस्वीरों में देखें... 4 दिन में तैयार किए सवा लाख लड्डू
भगवान महाकाल को राखी बांधने बाद भस्मारती के दौरान ही सवा लाख लड्डुओं का महाभोग लगाया गया। इस महाभोग की तैयारी पिछले चार दिनों से चल रही है। मंगलवार से ही मंदिर में पुजारी कक्ष के पीछे भट्टी पूजन के साथ लड्डू बनाना शुरू हो गया था। लड्डू निर्माण करने वाले हलवाई ओम प्रकाश शर्मा ने बताया कि वे पिछले 12 वर्षों से रक्षाबंधन पर्व पर महाकाल के लिए लड्डू बना रहे हैं। महाकाल के दरबार से होती है त्योहार की शुरुआत
पंडित अमर पुजारी ने बताया कि हर त्योहार की शुरुआत भगवान महाकाल के दरबार से होती है। इसी क्रम में सबसे पहले राजाधिराज भगवान श्री महाकालेश्वर को राखी बांधी गई। वर्षों से चली आ रही परंपरा का निर्वहन भस्म आरती के दौरान भगवान महाकाल को राखी बांधकर किया जाता है। नंदी हॉल और गर्भगृह में फूलों से आकर्षक सजावट की जाती है। इसके बाद सवा लाख लड्डुओं का महाभोग बाबा को अर्पित किया जाता है। रक्षाबंधन पर्व पर महाकाल मंदिर में दर्शन करने आने वाले भक्तों को लड्डू प्रसाद वितरित किया जाता है। ऐसे अद्भुत योग शताब्दियों में एक बार
इस साल 9 अगस्त को देशभर में रक्षाबंधन खास संयोग के साथ मनेगा। भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक का ये पर्व इस बार श्रवण नक्षत्र, सौभाग्य योग, करण, मकर राशि में चंद्रमा और पूर्णिमा तिथि में मनाया जाएगा। ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, ऐसा योग 297 साल बाद बना है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डिब्बेवाला ने कहा- ग्रहों की वर्तमान स्थिति 1728 में बने दुर्लभ संयोग को दोहरा रही है। रक्षाबंधन पर 8 ग्रह उन्हीं राशियों में रहेंगे, जिनमें 1728 में थे। इनमें सूर्य कर्क, चंद्र मकर, मंगल कन्या, बुध कर्क, गुरु और शुक्र मिथुन, राहु कुंभ और केतु सिंह राशि में रहेंगे। ऐसे अद्भुत योग शताब्दियों में एक बार ही बनते हैं, जिससे इस बार का रक्षाबंधन और भी पुण्य फलदायी माना जा रहा है। भद्रा काल से मुक्त रहेगा रक्षाबंधन
रक्षाबंधन पर शनिवार को दोपहर 2:43 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। यह किसी भी काम को सफल बनाने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस बार ये भी खास है कि रक्षाबंधन भद्रा काल से मुक्त रहेगा। मुहूर्त और चौघड़िए के अनुसार रक्षा सूत्र या राखी बांधी जा सकेगी। इस दृष्टि से सुबह से दोपहर 2:40 तक शुभ मुहूर्त में रक्षाबंधन का पर्व मनाया जा सकेगा।
Click here to
Read more