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    सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड के जांच अधिकारी की मौत:कोर्ट में पेशी के दिन निधन हुआ; NIA ने फेक पासपोर्ट बनाने वाला लॉरेंस का गुर्गा पकड़ा

    2 months ago

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    मशहूर पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला के हत्या की जांच करने वाले जांच अधिकारी रिटायर्ड सब इंस्पेक्टर की मौत हो गई है। शुक्रवार को उनकी मानसा कोर्ट में पेशी थी लेकिन इसी दिन बीमारी से उनके निधन की खबर आई। उन्हें लुधियाना के प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जिसके बाद कोर्ट ने सुनवाई की तारीख जुलाई महीने में तय कर दी। बता दें कि 29 मई 2022 को मानसा के जवाहरके में सिद्धू मूसेवाला की गोलियां मारकर हत्या कर दी गई थी। इसकी जिम्मेदारी लॉरेंस गैंग ने ली थी। उस वक्त सब इंस्पेक्टर अंग्रेज सिंह मानसा के थाना सिटी-1 के इंचार्ज थे। हालांकि जांच शुरू करने के बाद बीमार होने पर वह रिटायर हो गए थे। उनका बेटा भी पंजाब पुलिस में है। इसी बीच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने लॉरेंस गैंग के एक गुर्गे राहुल सरकार को गिरफ्तार किया है। मूसेवाला की हत्या के साजिश में शामिल गैंगस्टर लॉरेंस के भांजे सचिन थापन को इसी ने फेक पासपोर्ट बनाकर दिया था। जिसके बाद वह अजरबैजान भाग निकला। गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम के तहत दर्ज FIR में हुई गिरफ्तारी राहुल सरकार की गिरफ्तारी धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) की धारा 17, 18 और 18-बी के तहत दर्ज 2022 के मामले के संबंध में की गई है। गैरकानूनी गतिविधियों के लिए धन जुटाने सहित अन्य गतिविधियों को देखते हुए गृह मंत्रालय के निर्देश पर FIR दर्ज की गई थी। उसे शुक्रवार को ही दिल्ली की NIA कोर्ट में पेश किया गया है। दरअसल, मूसेवाला की हत्या के बाद साल 2022 में NIA ने अवैध गतिविधि रोकथाम के लिए 2 अलग-अलग FIR दर्ज की थीं। एक FIR में लॉरेंस गैंग के गुर्गों को नामजद किया गया था। दूसरी में लॉरेंस के एंटी गैंग के गुर्गों को भी नामजद किया गया था। उसी केस में अब तक लॉरेंस के दर्जनों गुर्गों को NIA रिमांड पर ले चुकी है। शुक्रवार को राहुल सरकार की गिरफ्तारी भी इसी केस में हुई है। लॉरेंस गैंग पर दर्ज की गई FIR में लॉरेंस, गोल्डी बराड़, काला जठेड़ी, अनमोल बिश्नोई, सचिन थापन सहित कई के नाम शामिल थे। अब जानिए कौन है सचिन थापन, जिसका मूसेवाला की हत्या में आया था नाम लॉरेंस का भांजा, 15 से ज्यादा मामले दर्ज पंजाब के फाजिल्का में रहने वाले सचिन थापन के खिलाफ पंजाब सहित अन्य राज्यों में करीब 15 से ज्यादा मामले दर्ज हैं। जिसमें हत्या, फिरौती, हथियारों की तस्करी सहित कई केस शामिल हैं। सचिन गैंगस्टर लॉरेंस का भांजा है और सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड में मुख्यारोपी भी बताया गया था। सचिन थापन के खिलाफ दायर की गई चार्जशीट को 155 गवाहों के आधार पर दर्ज किया गया था। जिसमें 8 सरकारी तो 147 प्राइवेट गवाह शामिल थे। पुलिस ने सचिन पर आरोप लगाए हैं कि उसने सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड के आरोपियों को बोलेरो कार उपलब्ध करवाई थी। इसके अलावा उसने गैंगस्टर बलदेव निक्कू और संजीव केकड़ा को रेकी के लिए भी तैयार किया था। फेक पासपोर्ट के कारण पकड़ा गया था सचिन सचिन थापन को करीब डेढ़ साल पहले अजरबैजान से भारत लाया गया था। मूसेवाला की हत्या से कुछ समय पहले वह लॉरेंस के भाई अनमोल बिश्नोई के साथ जाली पासपोर्ट पर विदेश भाग गया था। अनमोल और सचिन नेपाल के रास्ते दुबई गए। वहां से सचिन अजरबैजान चला गया और अनमोल कनाडा चला गया। लेकिन सचिन को फेक पासपोर्ट केस में अजरबैजान में गिरफ्तार कर लिया गया था। जिसके बाद वहां की एजेंसियों के सहयोग से उसे भारत लाया गया और सभी एजेंसियों ने उससे पूछताछ भी की। 29 मई 2022 को हुई सिद्धू मूसेवाला की हत्या शुभदीप सिंह सिद्धू उर्फ सिद्धू मूसेवाला की 29 मई 2022 को पंजाब के मानसा जिले के गांव जवाहरके में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्या की जिम्मेदारी लॉरेंस गैंग के प्रमुख साथी गोल्डी बराड़ ने ली। हत्या को अंजाम देने में गोल्डी का साथ गैंगस्टर जग्गू भगवानपुरिया ने भी दिया था। हालांकि, जग्गू और लॉरेंस गैंग के बीच अब दूरियां बन गई हैं। पंजाब सरकार के मुताबिक, इस मामले में अब तक 30 से ज्यादा आरोपियों को गिरफ्तारी हो चुकी है। 2 आरोपी मुठभेड़ में मारे गए और 5 को देश के बाहर से लाया जाना है। इसे लेकर दिल्ली पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों ने भी अपने स्तर पर कई गुर्गों को गिरफ्तार किया। केस में जांच अधिकारी की भूमिका अहम क्यों? एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने बताया कि यदि किसी केस का जांच अधिकारी मर जाए तो केस काफी हद तक कमजोर हो जाता है। इसका कारण यह है क्योंकि जांच अधिकारी ने ग्राउंड लेवल पर उस केस में काम किया होता है। उस अधिकारी को पता रहता है कि किस-किस की गवाही करवानी है। केस में कैसे पहलू मजबूत रखने हैं। उस अधिकारी ने आंखों देखा हाल अदालत को बताना होता है। जो नया अधिकारी लगाया जाता है उसे नए सिरे से केस का सारा काम देखना होता है लेकिन फिर भी पहले जैसी इन्वेस्टिगेशन नहीं कर पाता, क्योंकि उस अधिकारी की आंखों के सामने वह पूरा घटनाक्रम नहीं हुआ होता।
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