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    शुभांशु शुक्ला बोले- स्पेस मिशन में डर लगता है:लेकिन आपके पीछे भरोसेमंद टीम, जिसे आप जिंदगी सौंप देते हैं

    12 hours ago

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    इंडियन एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला ने कहा कि एक्सियम मिशन के तहत हम इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में दो हफ्ते रहे। मैं मिशन पायलट था, मैं कमांडर था मैं सिस्टम को कमांड कर रहा था। ISS में दो हफ्ते के दौरान हमने कई एक्सपेरिमेंट किए। कुछ तस्वीरें लीं। इसके लिए हमने कई ट्रेनिंग ली। यह एक अलग ही अनुभव था। दिल्ली में मीडिया सेंटर में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए शुभांशु ने कहा- अगर हम कहें कि डर कभी नहीं लगता, ये कहना गलत होगा। डर सबको लगता है लेकिन हमारे पीछे एक भरोसेमंद टीम होती है जिसे हम अपनी जिंदगी सौंप देते हैं। शुभांशु शुक्ला की प्रेस कॉन्फ्रेंस, 2 बड़ी बातें... शुभांशु शुक्ला से 5 सवाल-जवाब... सवाल: आपने जो एक्सपेरिमेंट्स किए हैं जिनके बारे में आपने पहले भी बताया है। उन पर क्या प्रोग्रेस है। जवाब: हमने जो एक्सपेरिमेंट किए हैं, उन पर काम जारी है। डेटा एनालिसिस और रिजल्ट के बिना कुछ नहीं कहा जा सकता। कुछ महीनों में सब सामने आ जाएगा। सवाल: आपको गगनयान मिशन की ट्रेनिंग दी गई, यह एक्सियम मिशन से कितनी अलग है। जवाब: हमने रूस, भारत और अमेरिका में ट्रेनिंग ली है। इनका ट्रेनिंग सेटअप भले अलग हो लेकिन लक्ष्य एक है। हां सभी का तरीका अलग है। सवाल: एक्सियम मिशन से क्या सीखा जो गगनयान मिशन में काम आएगा। जवाब: देखिए ह्यूमन स्पेस मिशन में इंसान की जिंदगी जुड़ी होती है। हमें ट्रेनिंग दी जाती है किताबों पढ़ते हैं लेकिन हकीकत कुछ अलग होती है। इस मिशन से हमने सीखा कि किताबों से अलग वो जिंदगी कितनी अलग होती है। सवाल: जब रॉकेट उड़ा तो आपके दिमाग में सबसे पहले क्या आया जवाब: मैं बहुत एक्साइटेड था हालांकि ये मिशन रिस्की होते हैं। आपको इसके बारे में पता होता है। आम जिंदगी में भी कहीं न कहीं रिस्क होता ही है। इसलिए मैंने इसे मैनेज किया। इस पर जितेंद्र सिंह ने भी जवाब देते हुए कहा कि, आंकड़ों पर नजर डालें तो रोड एक्सीडेंट की तुलना में स्पेस मिशन फेल्योर की संख्या काफी कम है। सवाल: आपने कहा कि बहुत अविश्वनीय अनुभव था, यह अनुभव गगनयान में काम आएगा। कठिन समय में किसे याद करते हैं। जवाब: हम ट्रेनिंग के दौरान सोचते हैं कि मिशन कैसा होगा। जब लॉन्चिंग की बारी आती है तो उस फीलिंग को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। शुभांशु का अगला मिशन गगनयान होगा, इसकी तैयारी करेंगे शुभांशु ने गगनयान मिशन के बारे में भी बात की। गगनयान मिशन ISRO का ह्यूमन स्पेस मिशन है। इसके तहत 2027 में स्पेसक्राफ्ट से वायुसेना के तीन पायलट्स को स्पेस में भेजा जाएगा। ये पायलट 400 किमी के ऑर्बिट पर 3 दिन रहेंगे, जिसके बाद हिंद महासागर में स्पेसक्राफ्ट की लैंडिंग कराई जाएगी। मिशन की लागत करीब 20,193 करोड़ रुपए है। गगनयान मिशन के लिए अभी वायुसेना के चार पायलट्स को चुना गया है, जिनमें से एक ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला हैं। शुभांशु इसीलिए एक्सियम मिशन के तहत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन गए थे। गगनयान के जरिए पायलट्स को स्पेस में भेजने से पहले इसरो दो खाली टेस्ट फ्लाइट भेजेगा। तीसरी फ्लाइट में रोबोट को भेजा जाएगा। इसकी सफलता के बाद चौथी फ्लाइट में इंसान स्पेस पर जा सकेंगे। पहली टेस्ट फ्लाइट इस साल के अंत तक भेजी जा सकती है। गगनयान मिशन से भारत को क्या हासिल होगा गगनयान मिशन से भारत को कई तरह से फायदा होगा… ISRO ने ‘गगनयान मिशन’ की क्या-क्या तैयारी कर ली है और क्या बाकी है गगनयान मिशन का रॉकेट तैयार है और एस्ट्रोनॉट्स की ट्रेनिंग जारी है… 1. लॉन्च व्हीकल तैयार: इंसान को अंतरिक्ष में ले जाने लायक लॉन्च व्हीकल HLVM3 रॉकेट तैयार कर लिया गया है। इसकी सिक्योरिटी टेस्टिंग पूरी हो चुकी है। इस रॉकेट को पहले GSLV Mk III के नाम से जाना जाता था, जिसे अपग्रेड किया गया है। 2. एस्ट्रोनॉट्स सिलेक्शन और ट्रेनिंग: गगनयान मिशन के तहत 3 एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस में ले जाया जाएगा। इसके लिए एयरफोर्स के 4 पायलटों को चुना गया। भारत और रूस में इनकी ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है। इन्हें सिम्युलेटर के जरिए ट्रेनिंग दी गई है। स्पेस और मेडिकल से जुड़ी अन्य ट्रेनिंग दी जा रही हैं। 3. क्रू मॉड्यूल और सर्विस मॉड्यूल: एस्ट्रोनॉट्स के बैठने वाली जगह क्रू मॉड्यूल और पावर, प्रप्लशन, लाइफ सपोर्ट सिस्टम वाली जगह सर्विस मॉड्यूल् अपने फाइनल स्टेज में है। इसकी टेस्टिंग और इंटीग्रेशन बाकी है। 4. क्रू एस्केप सिस्टम (CES): लॉन्चिंग के दौरान किसी अनहोनी की स्थिति में क्रू मॉड्यूल को रॉकेट से तुरंत अलग करने के लिए क्रू एस्केप सिस्टम तैयार किया जा चुका है। पांच तरह के क्रू एस्केप सिस्टम सॉलिड मोटर्स बनाए गए हैं, जिनका सफल परीक्षण भी हो चुका है। 5. रिकवरी टेस्टिंग: ISRO और नेवी ने अरब सागर में स्पलैशडाउन के बाद क्रू मॉड्यूल की सुरक्षित वापसी के लिए टेस्टिंग की है। बैकअप रिकवरी के लिए ऑस्ट्रेलिया के साथ भी समझौता हुआ है। 6. मानव-रहित मिशन के लिए रोबोट: जनवरी 2020 में ISRO ने बताया कि गगनयान के मानव रहित मिशन के लिए एक ह्यूमोनोइड बनाया जा चुका है, जिसका नाम व्योममित्र है। व्योममित्र को माइक्रोग्रैविटी में एक्सपेरिमेंट्स करने और मॉड्यूल की टेस्टिंग के लिए तैयार किया गया है। लेकिन अभी 3 हजार टेस्ट बाकी… -------------------- ये खबर भी पढ़ें... शुभांशु शुक्ला ऐसा क्या सीख रहे, जिससे 2 साल में भारतीय अंतरिक्ष जाने लगेंगे धरती से 28 घंटे का सफर कर कैप्टन शुभांशु शुक्ला इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन यानी ISS पहुंचे थे। वो एक्सियम-4 मिशन का हिस्सा रहे, जिसकी एक सीट के लिए भारत ने 548 करोड़ रुपए चुकाए। भारत ने शुभांशु पर इतनी बड़ी रकम क्यों खर्च की, उन्होंने अंतरिक्ष में 14 दिन क्या-क्या किया और ये भारत के गगनयान मिशन के लिए कितना जरूरी। पूरी खबर पढ़ें...
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