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    वक्फ एक्ट- सुप्रीम कोर्ट में आज फिर सुनवाई:केंद्र पक्ष रखेगा; कल सिब्बल ने कहा था- मस्जिद में चढ़ावा नहीं आता, CJI बोले- आता है

    2 months ago

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    वक्फ संशोधन एक्ट की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को लगातार दूसरे दिन सुनवाई होगी। आज केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता दलीलें पेश करेंगे। 20 मई को CJI बीआर गवई, जस्टिस एजी मसीह और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच के सामने केंद्र ने पहले उठे मुद्दों तक सुनवाई सीमित रखने का अनुरोध किया था। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, सुनवाई उन तीन मुद्दों पर हो, जिन पर जवाब दाखिल किए हैं। याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल, एएम सिंघवी और राजीव धवन पेश हुए। सिब्बल ने कहा, सरकार धार्मिक संस्थाओं की फंडिंग नहीं कर सकती। मस्जिद में मंदिरों की तरह 1000-2000 करोड़ चढ़ावे में नहीं होते। इस पर CJI ने कहा, मैं मंदिर भी गया हूं, दरगाह और चर्च भी गया हूं। हर किसी के पास चढ़ावे का पैसा है। हालांकि सिब्बल ने कहा, दरगाह दूसरी बात है, मैं मस्जिदों की बात कर रहा हूं। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष से कहा- राहत के लिए मजबूत दलीलें लाइए बेंच ने कहा था कि मुस्लिम पक्ष को अंतरिम राहत पाने के लिए मामले को मजबूत और दलीलों को स्पष्ट करना चाहिए। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि कोई संपत्ति ASI (आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) के संरक्षण में है तो वह वक्फ संपत्ति नहीं हो सकती। कोर्ट का सवाल था- क्या ASI की संपत्ति में प्रार्थना नहीं हो सकती, वक्फ प्रापर्टी ASI के दायरे में आने से धर्म पालन का हक छिन जाता है। इस पर याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल ने बताया था कि नए कानून के तहत अगर कोई संपत्ति ASI संरक्षित है तो वह वक्फ संपत्ति नहीं हो सकती। वक्फ रद्द हो जाए तो फिर वह वक्फ संपत्ति नहीं। ये संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है। इसी दलील पर CJI ने मुस्लिम पक्ष को हिदायत दी थी- "स्पष्ट मामला न हो तो कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकता। हर कानून के पक्ष में संवैधानिकता की धारणा होती है। हम अंतरिम राहत दे सकें, इसके लिए आपकी दलीलें बहुत मजबूत और स्पष्ट होनी चाहिए वरना, संवैधानिकता की धारणा बनी रहेगी।" नए वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट सिर्फ 5 मुख्य याचिकाओं पर ही सुनवाई कर रहा है। इसमें AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी की याचिका शामिल है। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को बहस के लिए 7 घंटे का वक्त तय किया है। मंगलवार को 3 घंटे तक याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनने के बाद बेंच ने मामला आज तक के लिए स्थगित कर दिया था। 20 मई की सुनवाई की बड़ी बातें... सरकार का पक्ष याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुप्रीम कोर्ट के सवाल 16 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को तीन निर्देश दिए थे... पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था- अंतरिम राहत देने पर विचार करेंगे इससे पहले कोर्ट ने इस मुद्दे पर 15 मई को सुनवाई की थी। तब CJI बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह ने केंद्र और याचिकाकर्ता को 19 मई तक हलफनामा पेश करने को कहा था। हालांकि, इसको लेकर जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है। दोनों पक्षों के वकीलों ने कहा था कि याचिकाओं के मुद्दों पर नजर डालने के लिए जजों को कुछ और वक्त की जरूरत हो सकती है। केंद्र ने भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट जब तक मामले को सुन रहा है, तब तक कानून के अहम प्रावधान लागू नहीं होंगे, यथास्थिति बनी रहेगी। केंद्र ने 25 अप्रैल को दायर किया था 1300 पेज का हलफनामा केंद्र ने 25 अप्रैल को दायर हलफनामे में कहा था कि कानून पूरी तरह संवैधानिक है। यह संसद से पास हुआ है, इसलिए इस पर रोक नहीं लगाई जानी चाहिए। 1332 पन्नों के हलफनामे में सरकार ने दावा किया 2013 के बाद से वक्फ संपत्तियों में 20 लाख एकड़ से ज्यादा का इजाफा हुआ। इस वजह से कई बार निजी और सरकारी जमीनों पर विवाद हुआ। वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने सरकार के आंकड़ों को गलत बताया और कोर्ट से झूठा हलफनामा देने वाले वाले अधिकारी पर कार्रवाई की मांग की। सॉलिसिटर जनरल बोले- लाखों सुझावों के बाद संशोधित कानून बना 17 अप्रैल की सुनवाई में SG मेहता ने कहा था कि संसद से ‘उचित विचार-विमर्श के साथ’ पारित कानून पर सरकार का पक्ष सुने बिना रोक नहीं लगाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा था कि लाखों सुझावों के बाद नया कानून बना है। ऐसे कई उदाहरण हैं, जिनमें गांवों को वक्फ ने हड़प लिया। कई निजी संपत्तियों को वक्फ में ले लिया गया। इस पर बेंच ने कहा कि हम अंतिम रूप से निर्णय नहीं ले रहे हैं। याचिका में 3 बड़ी बातें... 16 अप्रैल: पहले दिन की सुनवाई की 3 बड़ी बातें... 1. वक्फ बोर्ड बनाने की प्रक्रिया: कानून के खिलाफ दलील दे रहे कपिल सिब्बल ने कहा,'हम उस प्रावधान को चुनौती देते हैं, जिसमें कहा गया है कि केवल मुसलमान ही वक्फ बना सकते हैं। सरकार कैसे कह सकती है कि केवल वे लोग ही वक्फ बना सकते हैं जो पिछले 5 सालों से इस्लाम को मान रहे हैं? इतना ही नहीं, राज्य कैसे तय कर सकता है कि मैं मुसलमान हूं या नहीं और इसलिए वक्फ बनाने के योग्य हूं?' 2. पुरानी वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन पर: सिब्बल ने कहा- यह इतना आसान नहीं है। वक्फ सैकड़ों साल पहले बनाया गया है। अब ये 300 साल पुरानी संपत्ति की वक्फ डीड मांगेंगे। यहां समस्या है। इस पर SG ने कहा- वक्फ का रजिस्ट्रेशन 1995 के कानून में भी था। सिब्बल साहब कह रहे हैं कि मुतवल्ली को जेल जाना पड़ेगा। अगर वक्फ का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ तो वह जेल जाएगा। यह 1995 से है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'अंग्रेजों से पहले वक्फ रजिस्ट्रेशन नहीं होता था। कई मस्जिदें 13वीं, 14वीं सदी की है। इनके पास रजिस्ट्रेशन या सेल डीड नहीं होगी। ऐसी संपत्तियों को कैसे रजिस्टर करेंगे। उनके पास क्या दस्तावेज होंगे? वक्फ बाई यूजर मान्य किया गया है, अगर आप इसे खत्म करते हैं तो समस्या होगी।' 3. बोर्ड मेंबर्स में गैर-मुस्लिम: सिब्बल ने कहा, 'केवल मुस्लिम ही बोर्ड का हिस्सा हो सकते थे। अब हिंदू भी इसका हिस्सा होंगे। यह अधिकारों का हनन है। आर्टिकल 26 कहता है कि नागरिक धार्मिक और समाजसेवा के लिए संस्था की स्थापना कर सकते हैं। इस मसले पर CJI और SG के बीच तीखी बहस हुई। कोर्ट ने पूछा कि क्या सरकार हिंदू धार्मिक बोर्ड में मुस्लिमों को शामिल करेगी? SG ने कहा कि वक्फ परिषद में पदेन सदस्यों के अलावा दो से ज्यादा गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे। इस पर बेंच ने कहा, ‘नए एक्ट में वक्फ परिषद के 22 सदस्यों में से आठ मुस्लिम होंगे। इसमें दो ऐसे जज हो सकते हैं, जो मुस्लिम न हों। ऐसे में बहुमत गैर मुस्लिमों का होगा। इससे संस्था का धार्मिक चरित्र कैसे बचेगा?’ क्यों हो रहा कानून का विरोध... पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों में हिंसा हुई ----------------------------- मामले से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें... वक्फ कानून में 14 बड़े बदलाव, महिलाओं और गैर-मुस्लिमों की वक्फ बोर्ड में एंट्री होगी भारत में रेलवे और रक्षा मंत्रालय के बाद सबसे ज्यादा जमीन वक्फ बोर्ड के पास है। करीब 9.4 लाख एकड़। इतनी जमीन में दिल्ली जैसे 3 शहर बस जाएं। इसी वक्फ बोर्ड से जुड़े एक्ट में बदलाव के लिए केंद्र सरकार आज संसद में बिल पेश करेगी। विपक्ष के नेता और मुसलमानों का एक बड़ा तबका इसके विरोध में हैं। पूरी खबर पढ़ें...
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