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    अंबानी के वाइल्डलाइफ रेस्क्यू रिहैबिलिटेशन सेंटर वनतारा की जांच होगी:सुप्रीम कोर्ट ने SIT बनाई, हथिनी की शिफ्टिंग से शुरू हुआ था विवाद

    19 hours ago

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    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गुजरात के जामनगर में वनतारा वाइल्डलाइफ रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर की जांच के लिए 4 सदस्यीय स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) गठित की। इस सेंटर को रिलायंस फाउंडेशन चलाता है। अदालत ने कहा कि SIT 12 सितंबर तक रिपोर्ट देगी। इसके बाद 15 सितंबर को फिर सुनवाई होगी। इसके आधार पर आगे फैसला लिया जाएगा। जस्टिस पंकज मित्तल और पीबी वराले की बेंच ने मामले की सुनवाई की। कहा- SIT को 12 सितंबर 2025 तक रिपोर्ट सौंपनी होगी। SIT पशु कल्याण, आयात-निर्यात कानून, वाइल्डलाइफ तस्करी, पानी और कार्बन क्रेडिट के दुरुपयोग जैसे मुद्दों की भी जांच करेगी। SIT की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस जे. चेलमेश्वर करेंगे। टीम में जस्टिस राघवेंद्र चौहान (पूर्व चीफ जस्टिस, उत्तराखंड व तेलंगाना HC), पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर हेमंत नागराले और कस्टम्स अधिकारी अनिश गुप्ता शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश 2 पब्लिक इंटरेस्ट पिटीशन (PIL) पर दिया। एक वकील सीआर जया सुकीन और दूसरी याचिका देव शर्मा ने जुलाई में कोल्हापुर के मंदिर से हाथी ‘माधुरी’ को वनतारा में ले जाने के विवाद के बाद दायर की थी। हथिनी को कई लोग महादेवी भी बुलाते हैं। SIT 5 पॉइंट्स पर जांच करेगी कोर्ट ने कहा कि SIT की जांच केवल सत्य और तथ्य जानने के लिए है, ताकि अदालत सही जानकारी के आधार पर फैसला ले सके। इस आदेश का मतलब यह नहीं कि वनतारा या कोई सरकारी संस्था गलत कर रही है। वनतारा ने कहा- SIT को पूरा सहयोग देंगे वनतारा ने अपने बयान में कहा, “हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं। वनतारा पारदर्शिता, संवेदनशीलता और कानून के पूर्ण अनुपालन के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा मिशन पशुओं का बचाव, पुनर्वास और देखभाल ही है। हम SIT को पूरा सहयोग देंगे और सच्चाई के साथ काम जारी रखेंगे।” पहले समझिए मामला क्या है 16 जुलाई को बॉम्बे हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि हथिनी माधुरी को वनतारा में शिफ्ट किया जाए। यह आदेश PETA इंडिया की ओर से हथिनी की सेहत, गठिया और मानसिक तनाव को लेकर जताई गई चिंताओं के बाद दिया गया था। इससे पहले दिसंबर 2024 में, बॉम्बे हाईकोर्ट ने हथिनी के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए उसे गुजरात के वनतारा पशु अभयारण्य में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था। फिर 29 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने भी इस आदेश को बरकरार रखा था। यह मामला 2023 से चल रहा है। माधुरी को वनतारा शिफ्ट किए जाने पर कोल्हापुर में जुलाई के आखिरी हफ्ते में विरोध प्रदर्शन हुए। लोगों ने उसको वापस लाने के लिए हस्ताक्षर किए। धार्मिक परंपराओं और भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया। 14 अगस्त: कोर्ट ने याचिका में वनतारा को पक्षकार बनाने को कहा माधुरी को वापस लाने वाली याचिका पर पहली सुनवाई 14 अगस्त को हुई थी। इस दौरान जस्टिस पंकज मित्तल और पीबी वराले की पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील सीआर जया सुकीन से कहा था कि वह वनतारा पर आरोप लगा रहे हैं। जबकि उसे याचिका में पक्षकार के रूप में शामिल ही नहीं किया गया है। अदालत ने उन्हें वनतारा को पक्षकार बनाने और फिर मामले में लौटने को कहा, साथ ही मामले की सुनवाई की तारीख 25 अगस्त तय की। इससे पहले CJI बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ 11 अगस्त को हथिनी को वनतारा भेजने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई को सहमत हुई थी। जैन मठ में 32 साल से रह रही थी कोल्हापुर के नांदणी गांव के जैन भट्टारक पट्टाचार्य महास्वामी संस्थान मठ में माधुरी नाम की हथिनी को 1992 में लाया गया था। इस जैन मठ में 700 सालों से ये परंपरा है कि यहां हाथी पाला जाता है। यह धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा है। यहां माधुरी हथिनी को तब लाया गया था, जब वह सिर्फ 4 साल की थी। वह यहां 32 सालों से रह रही थी।
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