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    बरेली में आला हजरत के उर्स में बवाल-मारपीट:लोग बोले- पुलिस ने हिंदुओं को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा; इलाके में तनाव

    5 hours ago

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    बरेली में आला हजरत के 107वें उर्स में चादरपोशी जुलूस के दौरान दो समुदाय आमने-सामने आ गए। आरोप है कि नई परंपरा बताकर कुछ लोगों ने जुलूस का विरोध किया। इस पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। जैसे ही इसकी जानकारी हिंदू संगठनों को हुई तो तमाम लोग मौके पर पहुंच गए। लोगों का कहना है कि क्षेत्र के खजूरिया जुल्फिकार गांव में आला हजरत के उर्स पर चादरों का जुलूस निकाला जा रहा था। हिंदुओं ने इसे नई परंपरा बताकर विरोध किया। कहा, जुलूस आगे नहीं निकलने देंगे। इस पर जुलूस में शामिल लोगों ने हमला कर दिया। हंगामा बढ़ने पर पुलिस ने भी लोगों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। हिंदू संगठनों का दावा है कि मारपीट और पुलिस के लाठीचार्ज से करीब 12 लोगों के चोटें आई हैं। राजू सागर नाम के युवक का सिर भी फट गया। दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। मामला इज्जतनगर थाना क्षेत्र का है। घटना के बाद से इलाके में तनाव है। पुलिस बल तैनात किया गया है। यहां आला हजरत का उर्स सोमवार को शुरू हुआ है। तीन दिनों तक चलने वाले उर्स-ए-रजवी में देश के अलावा विदेश से करीब 2 लाख जायरीन पहुंचे हैं। 2 तस्वीरें देखिए... VHP के जिलाध्यक्ष बोले- पुलिस हिंदुओं का उत्पीड़न कर रही है विश्व हिंदू परिषद के जिला अध्यक्ष संजय शुक्ला ने कहा, खजुरिया गांव से चादर निकालने की नई परंपरा शुरू की गई है। दो साल पहले भी निकाली थी, तो विवाद हुआ था। इस बार चालाकी करके चादर निकाली गई है। पुलिस ने मुस्लिम पक्ष को रोकने के बजाय हिंदुओं पर कार्रवाई कर दी है। उन्होंने कहा, पुलिस ने हिंदुओं का उत्पीड़न किया है। पुलिस वालो ने बेरहमी से पीटा है। उच्चाधिकारियों को दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करनी चाहिए। अगर कार्रवाई नहीं होती है तो हम लोग आंदोलन करेंगे। हिंदू महासभा के मंडल अध्यक्ष पंकज पाठक ने कहा, ये पुलिस प्रशासन की तानाशाही है। हिंदुओं पर योगी सरकार में लाठीचार्ज बहुत ही शर्मनाक घटना है। लोगों को पुलिस ने डंडों से पीटा है सिर पर चोट लगने से घायल राजू खजुरिया गांव का रहने वाला है। उसने बताया- पुलिस वालों ने डंडा मारा। इससे मेरा सिर फट गया। पुलिस ने कई लोगों को पीटा है, अब लाठीचार्ज के आरोपों से मुकर रही है। अब पढ़िए विवाद की वजह दरअसल, 2023 में मुस्लिम बच्चों ने चादर जुलूस निकाला तो हिंदू पक्ष ने इसका विरोध किया था। मामला पुलिस तक पहुंचा तो दोनों पक्षों में समझौता हो गया था। कहा गया था कि आगे से जुलूस जब भी निकलेगा तो गांव की सीमा के बाहर जाकर ही चादर खोली जाएगी। इस बार मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इज्जतनगर थाने में चादर जुलूस के लिए परमिशन मांगी। जिस पर पुलिस ने उन्हें परमीशन दे दी। सुरक्षा के लिए पुलिस बल तैनात कर दिया गया। गांव में जैसे ही चादर का जुलूस आया तो हिंदू समुदाय ने इसका विरोध कर दिया। आरोप है कि पहले मुस्लिम समुदाय के लोगों ने उनके साथ मारपीट की। फिर पुलिस ने भी दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। पुलिस बोली- प्रधानी रंजिश में ये विवाद पनपा है सीओ सिटी थर्ड पंकज श्रीवास्तव ने बताया, इस बार दोनों पक्षों में थाने में बैठकर लिखित समझौता हो गया था। उसके बावजूद कुछ शरारती तत्वों ने चादर जुलूस का विरोध किया। सीओ ने बताया कि पूर्व और वर्तमान प्रधान की आपसी रंजिश की वजह से ये विवाद पनपा है। उन्होंने बताया कि पूर्व प्रधान हीरालाल और वर्तमान प्रधान नेत्रपाल में चुनावी रंजिश चली आ रही है। फिलहाल मौके पर शांति है। लोगों को समझाकर अपने अपने घरों में भेज दिया गया है। मौके पर स्थानीय पुलिस को एहतियातन तैनात किया गया है। आला हजरत को जानिए... दादा थे स्वतंत्रा सेनानी, खुद भी अंग्रेजों के खिलाफ चलाई मुहिम आला हजरत का पूरा नाम इमाम अहमद रज़ा ख़ान है। उनका जन्म 14 जून, 1856 को बरेली शहर में हुआ था। उनके दादा मौलाना रजा अली खां महान स्वतंत्रा सेनानी थे। उनकी ही तरह आला हजरत ने भी अंग्रेजों के खिलाफ मुहिम चलाई। वह बचपन से ही मेधावी थे। अपने धार्मिक और शैक्षिक रुझान के लिए खास पहचान बनाई। महज़ 13 साल की उम्र में उन्होंने इस्लामी कानून पर फ़तवा देना शुरू कर दिया था। उनके ज्ञान और अद्भुत स्मरणशक्ति को देखकर लोग उन्हें ‘आला हजरत’ कहकर पुकारने लगे। आला हजरत ने जीवन भर इस्लाम की शिक्षा और समाज की बेहतरी के लिए काम किया। उन्होंने लगभग 1000 से अधिक किताबें लिखीं। इनमें फिक्ह, हदीस, तफसीर, गणित, खगोलशास्त्र, भौतिकी और साहित्य जैसे विषय शामिल थे। उनकी लिखी किताबें मदरसों और इस्लामी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाती हैं। आला हजरत ने जहां धार्मिक कट्टरता और अंधविश्वास का विरोध किया, वहीं समाज के पिछड़े और गरीब तबकों की मदद को अपना मिशन बनाया। उन्होंने शिक्षा को इंसानियत की सबसे बड़ी ताकत बताया और गरीब बच्चों की पढ़ाई पर जोर दिया। उनका मानना था कि इल्म ही वह रोशनी है, जो इंसान को अंधेरे से निकाल सकती है। बरेली शहर के सौदागरान इलाके में स्थित आला हजरत की दरगाह आज विश्वविख्यात है। यहां हर साल लाखों जायरीन हाजिरी देने आते हैं। उर्स के दौरान तो यह संख्या कई गुना बढ़ जाती है। ------------------
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