Search…

    Saved articles

    You have not yet added any article to your bookmarks!

    Browse articles
    Select News Languages

    GDPR Compliance

    We use cookies to ensure you get the best experience on our website. By continuing to use our site, you accept our use of cookies, Privacy Policies, and Terms of Service.

    CJI गवई बोले- सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट से बड़ा नहीं:दोनों बराबर; जज नियुक्ति में SC कॉलेजियम किसी खास नाम की सिफारिश नहीं कर सकता

    4 hours ago

    2

    0

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम सिस्टम में हाईकोर्ट से बड़ा नहीं है। दोनों संवैधानिक अदालतें हैं और इनमें से कोई भी एक-दूसरे से न तो बड़ा है, न छोटा। उन्होंने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट का कॉलेजियम हाईकोर्ट के कॉलेजियम को जज के पद के लिए खास नाम की सिफारिश नहीं कर सकता है। जस्टिस गवई आज सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) द्वारा स्वतंत्रता दिवस के 79वें समारोह में बोल रहे थे। इस मौके पर SCBA अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकीलों को भी हाईकोर्ट में जज बनाने के लिए विचार किया जाना चाहिए, भले ही उन्होंने वहां प्रैक्टिस न की हो। CJI गवई ने कहा कि जज नियुक्ति की पहली जिम्मेदारी हाईकोर्ट कॉलेजियम की होती है। सुप्रीम कोर्ट सिर्फ नाम सुझा सकता है और हाईकोर्ट से नामों पर विचार करने का अनुरोध करते हैं। हाईकोर्ट की सहमति के बाद ही वे नाम सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम तक पहुंचते हैं। गवई बोले- कोई भी मामला छोटा नहीं होता अपने संबोधन में CJI गवई ने स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को याद करते हुए कहा कि आजादी सिर्फ राजनीतिक आंदोलन नहीं था, बल्कि यह नैतिक और कानूनी संघर्ष भी था जिसमें वकीलों की बड़ी भूमिका रही। कोई भी मामला छोटा नहीं होता, जो एक के लिए मामूली लग सकता है, वह दूसरे के लिए जीवन, सम्मान या अस्तित्व का सवाल हो सकता है। गवई ने कहा कि जजों की जिम्मेदारी है कि वे कानून की ऐसी व्याख्या करें जिससे आजादी बढ़े, वंचितों के अधिकार सुरक्षित हों और कानून का राज मजबूत हो। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के कई चरणों और नायकों संथाल विद्रोह, बिरसा मुंडा, ज्योतिबा और सावित्रीबाई फुले, रवींद्रनाथ टैगोर, महात्मा गांधी और भीमराव अंबेडकर का उल्लेख किया। राष्ट्रपति और संथाल समुदाय का उदाहरण दिया उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के उदाहरण से बताया कि संथाल समुदाय, जिसने 1855 में सबसे पहले अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया, आज देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंच चुका है। उन्होंने कहा कि यह यात्रा बताती है कि भारत ने लंबा सफर तय किया है, लेकिन न्यायपूर्ण, समान और समावेशी भारत बनाने का कार्य अभी बाकी है। --------------------------- ये खबर भी पढ़ें... CJI गवई बोले-आवारा कुत्तों के मामले में दोबारा विचार करेंगे चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई ने बुधवार को दिल्ली-NCR की सड़कों से आवारा कुत्तों पर लगे प्रतिबंध पर फिर से विचार करने आश्वासन दिया। CJI ने कॉन्फ्रेंस फॉर ह्यूमन राइट्स (इंडिया) की याचिका पर सुनवाई करते हुए टिप्पणी की। पूरी खबर पढ़ें... CJI गवई का राजनीति में एंट्री से इनकार:बोले- रिटायरमेंट के बाद कोई पद नहीं लूंगा सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी.आर. गवई ने रिटायर होने के बाद पॉलिटिक्स में एंट्री लेने से इनकार किया। उन्होंने कहा- CJI के पद पर रहने के बाद व्यक्ति को कोई जिम्मेदारी नहीं लेनी चाहिए। जस्टिस गवई ने केशवानंद भारती मामले में दिए फैसले का हवाला देते हुए अपने बौद्ध धर्म, हाईकोर्ट के जजों के लिए संपत्ति घोषणा के महत्व और संविधान की सर्वोच्चता की भी बात की। पूरी खबर पढ़ें...
    Click here to Read more
    Prev Article
    मोदी ने लाल-किले से पहली बार RSS की तारीफ की:कांग्रेस बोली- उन्हें भागवत की कृपा चाहिए, ताकि 75 की उम्र के बाद भी PM रहें
    Next Article
    श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर मथुरा-वृंदावन में 10 लाख श्रद्धालु:बांके बिहारी मंदिर के बाहर लंबी लाइनें, 400 कलाकार ढोल-मंजीरा बजाते हुए निकले

    Related Politics Updates:

    Comments (0)

      Leave a Comment