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    जयपुर में आज ड्रोन से कृत्रिम बारिश का प्रयोग:ड्रोन उड़ाने का दूसरा प्रयास भी असफल, भारी भीड़ के कारण GPS सिस्टम काम नहीं कर रहा

    1 day ago

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    जयपुर के रामगढ़ बांध इलाके में आज (मंगलवार) सरकार और प्राइवेट कंपनी के सहयोग से ड्रोन से कृत्रिम बारिश करवाई जाएगी। इसके लिए पूरी तैयारी है। भारी भीड़ इसमें बाधा बन रही है। अत्यधिक मोबाइल नेटवर्क होने की वजह से ड्रोन को उड़ाने में देरी हो रही है। ज्यादा मोबाइल नेटवर्क एक साथ होने से जीपीएस सिस्टम ठीक से काम नहीं कर रहा। ड्रोन उड़ाने का पहला प्रयास असफल रहा। ड्रोन के पंखे चलाए गए। इस दौरान ड्रोन जमीन पर ही रुक गया। इसके बाद भीड़ को हटाने के लिए पुलिस ने लाठियां भांजी। दूसरे प्रयास में भी सफलता नहीं मिली। कुछ ही दूरी पर ऊंचाई पर उड़ने के बाद ड्रोन बांध के नीचे जमीन पर झाड़ियों के बीच अटक गया। इसके बाद नीचे मौजूद लोग ड्रोन के पास पहुंचकर उसका वीडियो बनाने लगे। पुलिस ने लोगों को ड्रोन के पास से हटाया। इससे पहले ड्रोन से बारिश की सूचना पर बड़ी संख्या में लोग जयपुर के रामगढ़ बांध के आसपास जुटे हैं। भीड़ को देखकर एक्सेल वन कंपनी ने ड्रोन को पैक कर लिया है। वैज्ञानिकों ने कहा कि भीड़ के कारण अभी ड्रोन को नहीं उड़ाया जा सकता। मौके से भीड़ को हटाने में पुलिस को मशक्कत करनी पड़ी। बादलों की रेंज ऊपर बताई जा रही है एक्सेल-1 कंपनी के चीफ क्लाइमेट इंजीनियर ऑफिसर डॉ. एन साई भास्कर रेड्डी ने बताया- आज ड्रोन को 400 फीट उड़ाया जाएगा, जो की क्लाउड सीडिंग (एक प्रकार का मौसम परिवर्तन है, जिसका उद्देश्य वर्षा की मात्रा या प्रकार को बदलना होता है) में एक बड़ी परेशानी है, क्योंकि बादलों की रेंज इससे ऊपर बताई जा रही है। पहले ये प्रयोग 31 जुलाई को होना था, लेकिन भारी बारिश की चेतावनी के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था। अमेरिका और बेंगलुरु की कंपनी करेगी प्रयोग अमेरिका और बेंगलुरु की कंपनी जैनेक्स एआई कृषि विभाग के साथ मिलकर यह प्रयोग करेगी। इस प्रयोग के लिए केंद्र और राज्य सरकार के सभी विभागों से मंजूरी मिल चुकी है। कृषि विभाग, मौसम विभाग और जिला प्रशासन ने जुलाई में ही मंजूरी दे दी थी। डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन से भी अनुमति प्राप्त हो चुकी है। वैज्ञानिकों की टीम कई दिनों से जयपुर में है। वे लगातार ड्रोन से कृत्रिम बारिश का परीक्षण कर रहे हैं। अब तक देश में प्लेन से क्लाउड सीडिंग की जाती रही है। ड्रोन से छोटे इलाके के सीमित दायरे में होने वाला यह पहला प्रयोग है। 60 क्लाउड सीडिंग टेस्ट ड्राइव होंगे अमेरिका और बेंगलुरु की टेक्नोलॉजी बेस्ड कंपनी जैनेक्स एआई कंपनी सरकार के साथ मिलकर पायलट प्रोजेक्ट के तहत यह ट्रायल कर रही है। रामगढ़ में 60 क्लाउड सीडिंग की टेस्ट ड्राइव करवाई जाएगी। अब तक प्लेन से क्लाउड सीडिंग करवाई जाती रही है। देश में ड्रोन से छोटे इलाके के सीमित दायरे में होने वाला यह पहला प्रयोग है। अब तक कृत्रिम बारिश के लिए बड़ा क्षेत्र चुना जाता रहा है। पहली बार प्रिसीजन बेस्ड तकनीक से कृत्रिम बारिश देश में ड्रोन के जरिए प्रिसीजन बेस्ड तकनीक से पहली बार कृत्रिम बारिश करवाई जा रही है। जेन एक्स एआई के एमडी राकेश अग्रवाल और डायरेक्टर अजिंक्या डुम्बारे ने भास्कर डिजिटल से बातचीत में कहा- प्रिसीजन बेस्ड तकनीक से तय इलाके में कृत्रिम बारिश करवाई जाएगी। बाकी जगह कृत्रिम बारिश में बड़ा इलाका होता है और चीजें कंट्रोल में नहीं होती। रामगढ़ बांध पर इस तकनीक से पिन पॉइंट इलाके में बारिश करवाई जाएगी। बादल पर केमिकल छिड़कने से ले​कर सब कुछ एआई कंट्रोल्ड होगा। मौसम विभाग के डेटा, बादलों की नमी और जितने इलाके में बारिश करवाई जानी है, वो सब कुछ एआई कंट्रोल्ड होगा। यह कंपनी की पेटेंट तकनीक है, जो किसी दूसरे के पास नहीं है। कृत्रिम बारिश की तकनीक का डेमो, दो महीने तक चलेंगे प्रयोग मंगलवार (आज) को रामगढ़ बांध पर ड्रोन के जरिए तय इलाके में कृत्रिम बारिश करवाई जाएगी। इसके बाद 60 प्रयोग होंगे। लगातार दो महीने ट्रायल होगा। कंपनी सारे प्रयोग अपने खर्च पर करेगी। इसमें राजस्थान सरकार के साथ कंपनी प्रयोग के डेटा शेयर करेगी। दो महीने बाद कृत्रिम बारिश के प्रयोग के पूरे डेटा और रिपोर्ट सरकार से साझा की जाएगी। प्रयोग सफल हुआ तो प्रदेश के लिए होगा फायदेमंद ड्रोन से कृत्रिम बारिश का यह प्रयोग सफल हुआ तो राजस्थान के बड़े इलाके में इसका फायदा हो सकता है। राजस्थान में कई बार मानसूनी बादल होने के बावजूद कई इलाके सूखे रह जाते हैं। यह प्रयोग सफल रहा तो आगे से सीमित इलाकों में कृत्रिम बारिश करवाकर फसलों को सूखने से बचाया जा सकेगा।
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