मकबरा-मंदिर विवाद के पीछे 12 बीघा जमीन:भाजपा जिलाध्यक्ष ने भीड़ इकट्ठा की; लोग बोले- 5 दिन पहले सब शांत था
23 hours ago

7 अगस्त, 2025 यानी आज से 6 दिन पहले तक फतेहपुर शहर के आबूनगर में मकबरे को लेकर कोई धार्मिक विवाद नहीं था। 7 अगस्त को मठ-मंदिर संरक्षण संघर्ष समिति नाम के एक संगठन ने डीएम को याचिका दी। इसमें कहा कि नई बस्ती रेडईया स्थित सिद्धपीठ ठाकुरजी विराजमान मंदिर के सुंदरीकरण की जरूरत है। 11 अगस्त को समिति यह काम शुरू करेगी। डीएम की तरफ से किसी तरह की कोई परमिशन नहीं दी गई। क्योंकि जहां साफ-सफाई की बात हो रही, वहां पहले से मजार और ईदगाह है। 8 अगस्त को फतेहपुर भाजपा जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल ने कहा- हिंदू आस्था के साथ खिलवाड़ नहीं करने दिया जाएगा। उसका स्वरूप फिर से वापस लेकर रहेंगे। 10 अगस्त को फेसबुक पर लाइव आकर उन्होंने कहा- पहले पूजा-अर्चना करेंगे, फिर साज सज्जा भी करवाएंगे। प्रशासन को जानकारी दे दी है। अगर किसी प्रकार की चूक होती है, तो उसकी जवाबदेही प्रशासन की होगी। इसके बाद जिस बात का डर था, वही हुआ। 11 अगस्त को जमकर हंगामा हुआ। भीड़ पुलिस बैरिकेड्स को पार करते हुए मकबरे पर पहुंच गई, तोड़फोड़ की। इस पर दूसरे वर्ग के लोग बाहर आए। दोनों तरफ से पत्थरबाजी शुरू हो गई। 6 जिलों के एसपी, पुलिस फोर्स के साथ मौके पर पहुंच गए। रात में ही मजार को बनवा दिया गया। एक संभावित दंगा फिलहाल रुक गया, लेकिन तनाव अभी भी बरकरार है। दैनिक भास्कर की टीम मौके पर पहुंची और चीजों को समझा। जानिए अब हालात क्या हैं… हंगामे के बाद ट्रिपल बैरिकेड्स, बाहरी की नो-एंट्री
फतेहपुर शहर का आबूनगर इलाका। यहां हिंदुओं के मुकाबले मुस्लिम आबादी ज्यादा है। जिले का सबसे बड़ा ईदगाह भी यहीं है। इसलिए ईद और बकरीद पर यहां नमाजियों की सबसे ज्यादा भीड़ होती है। जिस जगह ईदगाह है, उसी के पास एक मकबरा भी है। 11 अगस्त को इसी मकबरे में हंगामा हुआ था। पुलिस ने भीड़ को रोकने के लिए दो लेयर बल्लियां बांधी थीं। लेकिन, हंगामे के बाद अब एक और लेयर बल्लियां बांध दी गई है। मकबरे तक जो रास्ते जाते हैं, वहां भी बैरिकेड्स लगाकर पुलिस को बैठा दिया गया है। पुलिसकर्मी हर आने-जाने वालों से उसका नाम-पता पूछकर एंट्री दे रहे हैं। कोई बाहरी होता है, तो उसे वापस कर दिया जाता है। माहौल शांत है, लेकिन तनाव साफ नजर आता है। ये तनाव कृष्ण जन्माष्टमी तक बना रहने की उम्मीद है। इसीलिए प्रशासन यहां तक आने वाले सभी रास्तों पर मजबूत बैरिकेडिंग कर रहा है। जिन पुलिसवालों की ड्यूटी लगाई गई थी, वो अभी यहीं तैनात हैं। मंदिर का कागज दिखाइए, हम माला-फूल डालकर पूजा करवाएंगे
हम पास ही बस्ती में पहुंचे। वहां बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। उन्हीं में से एक शाहरुख कहते हैं- जिस वक्त हंगामा हो रहा था, मैं यहां नहीं था। जैसे ही हंगामे का पता चला, हम भागकर आ गए। लोग पथराव कर रहे थे। यह संविधान के हिसाब से काला दिन था। फतेहपुर के इतिहास के लिए भी काला दिन था। हम लोगों ने बाद में जब जांच-पड़ताल की तो पता चला कि हंगामा करने वाले ज्यादातर लोग बाहरी थे। जो मुखिया थे, वो दूर खड़े यह सब देख रहे थे। हमने पूछा कि कौन मुखिया था? शाहरुख कहते हैं- भाजपा जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल मुखिया थे। 5 दिन से मीडिया में यहां पर लोगों को इकट्ठा होने के लिए कह रहे थे। प्रशासन को चाहिए था कि उन्हें हाउस अरेस्ट करते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्हें तो किसी चीज का डर ही नहीं है। वह तो कह रहे कि हमसे कोई कैसे कागज मांग सकता है? तो क्या मुखलाल संविधान से ऊपर हो गए? शाहरुख के बगल खड़े राशिद कहते हैं- हम लोग जब आए तो देखा कि भीड़ लगी है। लोग तोड़फोड़ रहे हैं। करीब 500 आदमी थे। हम लोगों ने इधर से आवाज दी, तो वो लोग हमारी तरफ दौड़े। जबकि यहां पहले किसी तरह का कोई विवाद नहीं था। पहले यहां हिंदू-मुस्लिम सब आते थे। हमने मकबरे में घंटा लगा देखा था
हम दूसरी गली में पहुंचे। यह भी मकबरे से करीब 300 मीटर की दूरी पर होगी। यहां 2 घर मुस्लिमों के हैं। बाकी 7-8 घर हिंदुओं के हैं। 60 साल की शुभरतन बानो 11 अगस्त के हंगामे को लेकर कहती हैं- जो लोग आ रहे थे, वो खूब गालियां दे रहे थे। हम लोगों ने तो अपने आपको घर के अंदर बंद कर लिया था। न हम चल पाते हैं और न हमारे पति, इसलिए हम बाहर ही नहीं निकले। बाकी यहां 12 बीघा जमीन है, सारा झगड़ा उसी का है। शुभरतन बानो से हमने मकबरे के बारे में पूछा। वह कहती हैं- मकबरे के अंदर एक सोने का घंटा बांधा था। जो भी चोर यहां उसे निकालने आता, अंधा हो जाता था। जो कब्र बनी है, वह उन्हीं की है। हमने पूछा कि क्या आपने वह घंटा देखा था? वह कहती हैं- हां हमने देखा था। हालांकि घंटा कहां गया, इसके बारे में वह नहीं बता पातीं। यहीं पर हमारी मुलाकात 72 साल के मोहम्मद शरीफ से हुई। वह कहते हैं- पहले किसी ने इस पर कोई दावा नहीं किया। पहली बार नाटक हो रहा है। ऐसा क्यों हो रहा, यह मैं जानना चाहता हूं। 40 से ज्यादा घरों पर अनीश बाबा ने मुकदमा किया
हमारी मुलाकात किराना स्टोर चलाने वाली सावित्री देवी से हुई। वह कहती हैं- हम यहां 2008 में आए थे, जबकि जमीन की रजिस्ट्री 2001 की थी। उस वक्त अनीश बाबा इसी मजार में बैठकर झाड़-फूंक करते थे। जहां हमारा घर है, वहां पहले अनीश बाबा ने खंडे (ईंट का पिलर) लगवा दिए थे। लेकिन, जिससे हम लोगों ने जमीन ली थी उन्होंने वह सब गिरवा दिया था। इसके बाद यहां हम लोगों ने घर बनाया। करीब 40 घरों की जमीन का मुकदमा आज भी कोर्ट में चल रहा है। मुकदमे की बात चौंकाने वाली थी। इसलिए हमने इसके बारे में कुछ और जानकारी इकट्ठा की। पता चला कि यहां मकबरे से 200 मीटर दूर पर करीब 12 बीघा जमीन रामनरेश राजपूत की थी। उन्होंने साल 2000 में प्लॉट काट-काटकर बेचना शुरू किया। जिले के वकील और लेखपाल तक ने जमीन ली और फिर दूसरे के हाथों बेच दी। उस वक्त मकबरे की देख-रेख अनीश करते थे। उन्होंने इस जमीन को अपना बताया और कोर्ट केस कर दिया। अनीश और रामनरेश दोनों की मौत हो गई, तो केस दोनों के बेटे लड़ने लगे। इस पूरे मामले में भाजपा जिला अध्यक्ष मुखलाल पाल की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। मुखलाल ने ही मुखर होकर 8 अगस्त से भीड़ को इकट्ठा किया। 10 अगस्त को तो उन्होंने लोगों से बड़ी संख्या में इकट्ठा होने की अपील की। साथ ही कहा कि अगर किसी तरह की कोई चूक होती है तो प्रशासन की जिम्मेदारी होगी। 11 अगस्त को सुबह से ही मौके पर लोगों को फोन करके बुलाते रहे। हंगामा बढ़ा तो मुखलाल ने एसपी अनूप सिंह को फोन मिलाया। कहा- एसपी साहब, आपने कहा था न कि 7 बजे बैठक करेंगे। कहा था कि नहीं? ये कोई मुलायम सिंह की सरकार नहीं है कि आप गोली चलवा दोगे। अगर हिम्मत है तो गोली चलवाकर देखिएगा। बार-बार बोल रहा हूं। जब 7 बजे कहा था, तो क्यों नहीं बुलाया? शाम को जिलाध्यक्ष ने एक और वीडियो फेसबुक पर पोस्ट किया और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। कहा- किसी अराजक तत्व के बहकावे में न आएं। पप्पू चौहान बोले- हम हिंदू, हिंदू राष्ट्र बनाएंगे
प्रशासन ने शाम को 10 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। इसमें जिलाध्यक्ष का नाम कहीं नहीं रखा गया। एफआईआर वाली लिस्ट में एक नाम पप्पू चौहान का है। पप्पू सपा के नेता हैं। लेकिन, इस घटना में शामिल होने के बाद सपा ने उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के चलते पार्टी से बाहर कर दिया। हमने पप्पू से बात की। पता चला कि वह लखनऊ में हैं। वह कहते हैं- हम तो सनातनी हैं। हिंदू के नाम पर एफआईआर होनी थी, तो हो गई। हमने कहा कि सरकार तो आपकी है। वह कहते हैं नहीं, हम सनातनी हैं। हम हिंदुत्व के हैं, सरकार हमारी नहीं है। हम तो सनातन के नाम पर काम कर रहे हैं। पूजा-अर्चना करना कहां मना है? हमारे किसी भी आदमी ने कोई बदतमीजी नहीं की। हमने कहा कि क्या आप लोग जन्माष्टमी के दिन भी प्रदर्शन करेंगे? पप्पू कहते हैं- अगर वहां पूजा होती रही होगी, तो हम पूजा करेंगे। हम मंदिर के नाम पर पूजा करेंगे। हम हिंदू राष्ट्र की मांग करते हैं, उसके लिए काम कर रहे हैं। आगे भी काम करते रहेंगे। पप्पू ने 12 अगस्त की शाम को एक वीडियो भी जारी किया। उसमें उन्होंने कहा- सपा सिर्फ मुस्लिमों की पार्टी है। मैं हिंदू हूं और सनातन के लिए लड़ता रहूंगा। सपा से इस्तीफा देता हूं। जहां तोड़फोड़ हुई, प्रशासन ने उसे रातों-रात सही करवाया
11 अगस्त को भीड़ 2 बार मकबरे के पास पहुंची। पहली बार तो संख्या कम रही। नारेबाजी के बाद वापस चले गए। लेकिन कुछ देर बाद ही दोगुनी संख्या में लोग पहुंचे और बवाल कर दिया। मकबरे में पूजा-पाठ करने लगे। दोनों तरफ जो दो मजारें बनी थीं, उन्हें तोड़ दिया। प्रशासन ने किसी तरह से स्थिति को कंट्रोल किया। रात में मुस्लिम संगठनों ने आपत्ति जताई, तो प्रशासन ने रात 1 बजे राजमिस्त्री और मजदूर बुलवाकर टूटे हुए हिस्सों को फिर से बनवा दिया। मकबरे के मुख्य दरवाजे पर ताला जड़ दिया। बाहर 3 लेयर की ऐसी बैरिकेडिंग की कि कोई अंदर नहीं जा सके। मौके पर ही कई थानों की फोर्स को लगा दिया गया। फिलहाल स्थिति कंट्रोल में है, लेकिन मौके पर तनाव है। प्रशासन हरसंभव कोशिश कर रहा कि अब किसी भी तरह की कोई अप्रिय घटना न हो। जिन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज है, अभी उनमें से किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। प्रशासन का कहना है कि हम जल्द ही उन्हें गिरफ्तार करेंगे। ------------------------- ये खबर भी पढ़ें... फतेहपुर में मकबरा या मंदिर...13 साल बाद विवाद:हिंदू पक्ष बोला- दीवारों पर त्रिशूल क्यों, मुतवल्ली का जवाब- अकबर के पोते ने बनवाया फतेहपुर के जिस मकबरे को लेकर 11 अगस्त को बवाल हुआ, उसकी चिंगारी 13 साल से धधक रही थी। यही चिंगारी अब हंगामे और बवाल के रूप में सामने आई है। अभिलेखों में भले ही मकबरे की जमीन राष्ट्रीय संपत्ति मकबरा नगी के नाम से दर्ज है। लेकिन, हिंदू पक्ष इस अभिलेख को मानने को तैयार नहीं है। तर्क दिया जा रहा है कि अगर ये मकबरा था तो इसकी दीवारों पर त्रिशूल क्यों बना है? हिंदू धर्म के चिह्न क्यों बने हैं? पढ़ें पूरी खबर
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