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    पंजाब में 5 साल बाद भाजपा गांवों में करेगी एंट्री:लैंड पूलिंग पॉलिसी के विरोध में निकालेगी यात्रा; किसान आंदोलन से बनी थी दूरी

    2 days ago

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    पंजाब में तीन कृषि कानूनों की वजह से 2020 में बीजेपी से राज्य के किसानों में नाराजगी पैदा हुई थी। इस वजह से उसका शिरोमणि अकाली दल से गठबंधन भी टूट गया था। भले ही इसके बाद हुए चुनावों में बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ा, लेकिन सीटों में फायदा नहीं हुआ। लेकिन पांच साल बाद अब बीजेपी, पंजाब सरकार की लैंड पूलिंग पॉलिसी के विरोध में उठ रही आवाज के सहारे गांवों में अपनी एंट्री करने जा रही है। बीजेपी ने किसानों को साधने के लिए "जमीन बचाओ, किसान बचाओ" यात्रा शुरू करने का फैसला लिया है। यह यात्रा 17 अगस्त को पटियाला से शुरू होकर 7 सितंबर तक चलेगी और सभी 23 जिलों होकर पठानकोट समाप्त होगी। कृषि कानून वापस लेने के बाद ही दो सीटें मिली भले ही दिल्ली में हुए किसान आंदोलन के बाद केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को 19 नवंबर 2021 को वापस लेने का ऐलान किया, लेकिन इसके बाद भी लोगों के दिलों में बीजेपी को जगह नहीं मिली। विधानसभा चुनाव 2022 में बीजेपी ने शिरोमणि अकाली दल से अलग होकर लड़ा। लेकिन उस समय के स्टेट प्रधान अश्वनी शर्मा, पठानकोट और मुकेरियां से जंगी लाल महाजन के अलावा कोई भी उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत पाया। जबकि उनके साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली पंजाब लोक कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल संयुक्त का भी कोई उम्मीदवार अपना खाता नहीं खोल पाया। शंभू बॉर्डर आंदोलन ने लोकसभा चुनाव में पहुंचाया नुकसान इसके बाद जब साल 2024 के लोकसभा चुनाव आए, तो बीजेपी ने कई बड़े चेहरों को पार्टी में शामिल किया। लुधियाना से पूर्व मुख्यमंत्री और सीनियर कांग्रेस नेता बेअंत सिंह के पोते रवनीत बिट्टू को लुधियाना से चुनावी मैदान में उतारा गया, तो पटियाला से कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी महारानी परनीत कौर चुनावी मैदान में थीं। लेकिन उस समय फसलों की एमएसपी को लेकर संयुक्त मोर्चा गैर राजनीतिक की तरफ से पंजाब- हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर संघर्ष चल रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बड़ी रैलियां भी कीं, लेकिन पार्टी 13 लोकसभा सीटों में से एक भी नहीं जीत पाई। पंजाब की तीसरी बढ़ी पार्टी बनी बीजेपी बीजेपी ने 2024 का लोकसभा चुनाव अपने नए प्रधान और पूर्व कांग्रेस नेता सुनील जाखड़ की अगुआई में लड़ा था। भले ही इस चुनाव में पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई, लेकिन वोट प्रतिशत के हिसाब से पार्टी तीसरे नंबर पर पहुंच गई, जो कि भाजपा नेताओं के लिए जान फूंकने जैसा एक कदम था। इस दौरान कांग्रेस ने सात सीटें जीतीं और पार्टी को 26.30 प्रतिशत वोट मिले। इसी तरह आम आदमी पार्टी को तीन सीटें मिलीं और उसका वोट प्रतिशत 26 प्रतिशत रहा। भाजपा कोई सीट नहीं जीत पाई, लेकिन वोट प्रतिशत 18.56 प्रतिशत था, जिससे पार्टी तीसरे नंबर पर पहुंच गई। पार्टी को राज्य में 25 लाख 877 वोट पड़े। जबकि अकाली दल को एक सीट के साथ 13.42 प्रतिशत वोट मिले। 13 सीटों में से 3 पर दूसरे स्थान पर रही भाजपा भाजपा प्रदेश की 13 सीटों में से 3 पर दूसरे स्थान पर रही है। लुधियाना से भाजपा कैंडिडेट रवनीत बिट्‌टू दूसरे स्थान पर रहे। उन्हें 3 लाख 1 हजार 282 वोट मिले। जालंधर से सुशील कुमार रिंकू 2 लाख 14 हजार 60 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे। वहीं गुरदासपुर में दिनेश कुमार बब्बू ने दूसरा स्थान हासिल किया। उन्हें 2 लाख 81 हजार 182 वोट मिले। पार्टी ने इस बार नहीं की कोई चूक इस बार जैसे ही लैंड पूलिंग पॉलिसी का आगाज हुआ, तो भाजपा ने इस मौके को तुरंत लपक लिया। 18 जुलाई को चंडीगढ़ किसान भवन में किसानों द्वारा बुलाई गई ऑल पार्टी मीटिंग में बीजेपी के नेता शामिल हुए। साथ ही कहा कि वह हर स्तर पर किसानों का साथ देने के लिए तैयार है। जबकि इस मीटिंग में आम आदमी पार्टी ने दूरी बनाकर रखी थी।
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