शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन का पार्थिव शरीर रांची पहुंचा:विधानसभा में अंतिम दर्शन, जमशेदपुर में अंतिम संस्कार, एक दिन का राजकीय शोक
7 hours ago

झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने शुक्रवार की देर रात दिल्ली में अपोलो अस्पताल में निधन हो गया। वे 62 साल के थे। सिर में गंभीर चोट की वजह से वो दो अगस्त से ही इलाजरत थे। आज उनका पार्थिव शरीर रांची एयरपोर्ट पहुंचा। यहां से झारखंड विधानसभा ले जाया गया है। जहां उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी। इसके बाद उनके पार्थिक शरीर को जमशेदपुर ले जाया जाएगा। वहां पार्टी कार्यालय में अंतिम दर्शन को रखा जाएगा। आज ही शाम उनका अंतिम संस्कार कर दिया जाएगा। उनके निधन पर झारखंड में एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है। सीएम बोले- ऐसे छोड़ कर नहीं जाना था शिक्षा मंत्री के निधन पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दुख जताया है। उन्होंने X पर लिखा, 'ऐसे छोड़ कर नहीं जाना था रामदास दा...।'
मॉर्निंग वॉक के लिए उठे थे मंत्री रामदास परिजनों के मुताबिक, वे 2 अगस्त को मॉर्निंग वॉक पर जाने के लिए सुबह 4:30 बजे उठे। बाथरूम गए, जहां यह घटना हो गई। परिवार के लोग उन्हें लेकर तत्काल टाटा मोटर्स अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद स्थिति को गंभीर बताया। उनके ब्रेन में ब्लड क्लॉट हो गया था। फिर उन्हें एयर एंबुलेंस से दिल्ली ले जाने का फैसला लिया गया। सुबह 9:30 बजे सोनारी एयरपोर्ट से एयर एंबुलेंस से उन्हें दिल्ली ले जाया गया। वहां अपोलो अस्पताल में डॉक्टरों की टीम उनका इलाज कर रही थी। जेएमएम के बड़े नेताओं में एक रामदास रामदास सोरेन झामुमो के बड़े नेताओं में से एक हैं। वर्तमान में घाटशिला से विधायक हैं। चंपाई सोरेन के भाजपा में शामिल होने पर हेमंत सोरेन ने अपने पिछले मंत्रिमंडल में उन्हें कोल्हान के बड़े नेता के रूप में प्रोजेक्ट करते हुए मंत्री बनाया था। 2024 के चुनावी नतीजों के बाद उन्हें दोबारा मंत्री बनाया गया। --------------------------------- इसे भी पढ़ें.... 3 बार विधायक, 2 बार कैबिनेट मंत्री रहे रामदास सोरेन:JMM छोड़ लड़े चुनाव, ग्राम प्रधान से शुरू हुआ राजनीतिक सफर; अलग राज्य की भी लड़ाई लड़ी झारखंड की सियासत में बड़ा नाम और झामुमो के कद्दावर नेता रामदास सोरेन अब इस दुनिया में नहीं रहे। 62 साल की उम्र में दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। 15 अगस्त, स्वतंत्रता दिवस के दिन उनकी मौत की खबर ने पूरे झारखंड को स्तब्ध कर दिया। कभी ग्राम प्रधान से राजनीति की शुरुआत करने वाले रामदास ने झारखंड आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी और 44 साल के संघर्ष के बाद वे तीन बार विधायक और दो बार कैबिनेट मंत्री बने। पूरी खबर यहां पढ़ें...
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