दिल्ली में 10 साल के बच्चे ने फांसी लगाई:मौत से पहले सात घंटे खेला फ्री फायर गेम और चार घंटे यूट्यूब देखा
8 hours ago

दिल्ली के नांगलोई इलाके में 10 साल के बच्चे ने 31 जुलाई को आत्महत्या कर ली थी। पुलिस ने रविवार को बताया कि बच्चा एमसीडी स्कूल में पढ़ता था और मोबाइल गेम्स का आदी था। वह अपने माता-पिता के साथ अंबिका विहार कॉलोनी में रहता था। दोनों माता-पिता नौकरी करते हैं। पुलिस के मुताबिक, बच्चा करीब 10-11 घंटे तक मोबाइल पर एक्टिव था। उसने लगातार सात घंटे तक फ्री फायर गेम खेला और करीब चार घंटे यूट्यूब देखा। 31 जुलाई को भारी बारिश के कारण बच्चा स्कूल नहीं गया था और माता-पिता उसे घर पर छोड़कर काम पर चले गए थे। शाम को जब वे लौटे तो उन्होंने बेटे का शव लोहे की पाइप से लटका पाया। पुलिस अब यह जांच कर रही है कि क्या माता-पिता की डांट, स्कूल का दबाव या गेम में हार की वजह से बच्चे ने इतना बड़ा कदम उठाया। हालांकि, बच्चे के शरीर पर कोई चोट के निशान नहीं मिले हैं। पिता का आरोप, बेटे की हुई हत्या पिता का कहना है कि उनके बेटे की किसी ने हत्या की है और इसे आत्महत्या का रूप दिया है। उनके मुताबिक करीब 10 फीट की ऊंचाई पर फंदा था। बच्चा वहां तक पहुंच ही नहीं सकता था। इंदौर में 7वीं के छात्र का सुसाइड, फ्री फायर गेम में 2800 रुपए हार गया था इससे पहले 31 जुलाई को ही इंदौर में 13 साल के छात्र ने फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया था। पुलिस की शुरुआती जांच में पता चला है कि छात्र ऑनलाइन फ्री फायर गेम में 2800 रुपए हार गया था। उसे डर था कि परिजन को पता चलेगा तो वे नाराज होंगे। तनाव में आकर उसने जान दे दी। पुलिस के मुताबिक, मृतक छात्र का नाम अंकलन जैन (13) है और वह एमआईजी क्षेत्र के अनुराग नगर में रहता था। सबसे पहले दादा ने उसे फंदे पर लटका देखा। परिजन तुरंत बेटे को नीचे उतारकर डीएनएस अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने पुलिस को सूचना दी। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए एमवाय अस्पताल ले जाया गया। यहां परिजनों ने बेटे के नेत्र दान कर दिए। मां का डेबिट कार्ड गेम से लिंक किया
टीआई सीबी सिंह ने बताया कि अंकलन के पास बिना सिम वाला मोबाइल था, जो वाई-फाई से जुड़ा था। उसने गेमिंग आईडी से अपनी मां का डेबिट कार्ड लिंक कर रखा था, जिससे रुपए ट्रांजेक्ट हुए थे। हारने के बाद अंकलन ने मां अपूर्वा को यह जानकारी दी थी, उसे डर था परिजन इस बात को लेकर डांटेगे। इसके बाद उसने इस तरह का कदम उठा लिया। स्मार्टफोन बच्चों के लिए डेंजरस है, पेरेंट्स इन बातों का ध्यान रखें... पेरेंट्स बच्चों को दें डिजिटल संस्कार, करें डिजिटल डिटॉक्स ---------------------------------
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