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    500 साल पुरानी कुंज गलियों पर संकट:बांके बिहारी कॉरिडोर पर पुजारी बोले- ठाकुरजी के पैसों पर सरकार की नजर

    2 months ago

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    हम यूपी सरकार को योजना लागू करने की अनुमति देते हैं। बांके बिहारी जी ट्रस्ट के पास फंड है। राज्य सरकार को जमीन अधिग्रहण करने के लिए मंदिर के फंड का उपयोग करने की अनुमति है। - सुप्रीम कोर्ट मथुरा-वृंदावन में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जद में आने वाले 3500 लोग परेशान हैं। 600 करोड़ के प्रोजेक्ट को लेकर कमिश्नर और DM ने कैबिनेट मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी के साथ मिलकर ब्लू प्रिंट फाइनल कर दिया गया। अब मंदिर के आसपास के 300 मकान और 100 दुकान का सर्वे शुरू हो रहा है। प्रशासन इनकी वेल्युएशन करके नोटिस जारी करने की तैयारी में है। मुआवजा देकर इन मकानों को अपने कब्जे में लेगा। इसके बाद ध्वस्तीकरण होगा। इसमें करीब 5 महीने का समय लग सकता है। क्या ये प्रोजेक्ट तय समय में पूरा होगा? लोगों की नाराजगी क्यों है? ये जानने के लिए दैनिक भास्कर ग्राउंड जीरो पर पहुंचा। हमें 2 तरह के लोग मिले। पहले- जिन्होंने बांके बिहारी कॉरिडोर को मथुरा की जरूरत बताया। दूसरे- जिन्होंने कहा कि ये प्रोजेक्ट शासन की मनमानी है। कॉरिडोर बनने से यहां की संस्कृति और विरासत खत्म हो जाएगी। पढ़िए पूरी रिपोर्ट... पढ़िए वृंदावन के लोगों की बात तीर्थ पुरोहित ने कहा- कॉरिडोर तो बनकर ही रहेगा बांके बिहारी पुलिस चौकी के पास चाय पी रहे तीर्थ पुरोहित राजकुमार गौतम से हमारी मुलाकात हुई। हमने पूछा- क्या लगता है, कॉरिडोर बन जाएगा? वह कहते हैं- कॉरिडोर रुकने वाला नहीं। कोई कितना भी हल्ला मचा ले। जो भी काम होते हैं, उनमें कुछ लोग पक्ष में होते हैं, कुछ विरोध करते हैं। ज्यादा से ज्यादा 40 हजार लोग विरोध में हैं, लेकिन कॉरिडोर के बनने से 4 करोड़ वोट भी बढ़ते दिख रहे हैं। इसलिए BJP वालों को भी दिक्कत नहीं होगी। रहा सवाल कुंज गलियों का, तो किसी ने उन्हें छोड़ा ही कहां है? कहीं पेड़ लगा दिए हैं, कहीं चबूतरे बनवा दिए हैं। कॉरिडोर से वृंदावन होगा प्रभावित हमने बांके बिहारी मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष नीरज गौतम से कॉरिडोर को लेकर बात की। वह कहते हैं- लोगों को लग रहा है कि कॉरिडोर बनने से सिर्फ व्यापार प्रभावित नहीं होगा, पूरे वृंदावन पर असर पड़ेगा। कॉरिडोर बनता है, तो पूरे ब्रज और वृंदावन का सर्वनाश हो जाएगा। बांके बिहारी के दर्शन को ब्रजवासी तरस जाएंगे, व्यापारियों को तो छोड़ ही दो। वृंदावन का जो असली स्वरूप है, वह भविष्य में देखने को नहीं मिलेगा। व्यापारी गोविंद ने कहा- हम विधिक राय ले रहे जब हमारी टीम बांके बिहारी मंदिर के मुख्य रास्ते पर आगे बढ़ी तो प्रसाद की दुकान चलाने वाले दुकानदार गोविंद खंडेलवाल से मुलाकात हुई। व्यापारी गोविंद खंडेलवाल का कहना है- सर्वोच्च न्यायालय ने जो निर्णय दिया है, उसका व्यापारी लोग अवलोकन कर रहे है। हम विधिक राय भी लेंगे। जो संभव होगा, वह किया जाएगा। रोहतक से आए टूरिस्ट बोले- दुकानदारों के लिए सोचना होगा यहीं दुकान के पास में खड़े एक श्रद्धालु मिले। पूछने पर पता चला कि रोहतक से आए हैं। उनका नाम संजय अरोड़ा है। वह कहते हैं- मैं वृंदावन आता रहता हूं। कई सालों से यह सब देख रहा हूं। कॉरिडोर का शब्द तो अच्छा है, लेकिन इन दुकानदारों का क्या होगा? इनके बारे में भी सोचना होगा। वह कहते हैं- कॉरिडोर को लेकर विरोध हो रहा है। मुझे लगता है कि सबको साथ बैठकर रास्ता निकालना होगा। यहां अगर काशी की तरह कॉरिडोर बनाया जाए, तो बेहतर होगा। आगे बढ़ने से पहले पोल में हिस्सा लेकर राय दें- अब पढ़िए सेवायतों की बात पुजारी बोले- ठाकुरजी के पैसों से विकास मत करिए व्यापारियों और लोगों की बात को समझते हुए हमारी टीम बांके बिहारी मंदिर पहुंची। यहां पुजारी मोहन गोस्वामी से सवाल पूछे। उन्होंने कहा- कोर्ट के फैसले में ये सही है कि मंदिर के पैसे मंदिर के लिए जमीन ली जाएगी। जमीन भी मंदिर के नाम होगी। यानी बांके बिहारी खुद जमीन खरीद रहे हैं। लेकिन विकास कार्य, जैसे सड़क-पार्क को बनाने में यहां का पैसा नहीं लगना चाहिए। सेवायत बोले- हमारी यही इच्छा, गलियां न तोड़ी जाएं बांके बिहारी मंदिर के सेवायत ज्ञानेंद्र गोस्वामी ने बताया- हम लोगों की इच्छा है कि कुंज गलियों को न तोड़ा जाए। यहां की प्राचीनता खत्म हो जाएगी। रिसीवर को लेकर कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा- अगर मंदिर के पैसे से बिहारीजी के लिए जमीन ली जा रही है, तो कोई बात नहीं। लेकिन, इसके अलावा जो भी डेवलमेंट किया जाए, उसके लिए सरकार को पैसा खर्च करना चाहिए। उसके लिए ठाकुरजी का पैसा नहीं लेना चाहिए। ब्रजमोहन ने कहा- यहां से हटाया, तो यमुनाजी पर भजन करेंगे बांके बिहारी मंदिर के आसपास गलियों में घूमने के दौरान हमको एक जगह लड्डू गोपाल और उनके आगे रखी नोटों की गड्डियां दिखाई दीं। यहां भजन करते हुए ब्रजमोहन अलबेला मिले। ब्रजमोहन ने बताया- मैं 75 साल का हूं और मेरी 4 पीढ़ियां यहां रहती आ रही हैं। अलबेला ने बताया कि यह लोग आजीविका को खत्म कर रहे हैं। अगर ये कुंज गलियां ही नहीं होंगी, तो लोग सड़कों पर भीख मांगेंगे या यमुना किनारे भजन करेंगे। वृंदावन का स्वरूप बिगाड़ने वालों के नाम पर कठोर अपराध लगेगा। संत का सुझाव- दुकान-मकान टूटें, उन्हें नए बनाकर दिए जाएं बांके बिहारी कॉरिडोर को लेकर वृंदावन के प्रमुख संत महंत फूलडोल बिहारी दास ने कहा- देखिए वक्त बदल रहा है। वृंदावन में लोगों की भीड़ बढ़ गई है। अब हालात पहले जैसे नहीं रहे। ऐसे में कॉरिडोर बनने से वृंदावन का विकास होगा। राज्य सरकार भी यही चाहती है कि वृंदावन का विकास हो। मैं बस इतना कहना चाहूंगा कि कॉरिडोर निर्माण में जिन लोगों की दुकान टूटेगी, उन्हें कॉरिडोर में ही दुकान मिल जाए। जिनके मकान टूट रहे हैं, उन्हें करीब ही कॉलोनी बनाकर मकान दे दिए जाएं। साथ ही अगर जरूरी हो तो मुआवजा भी दे दिया जाए। इससे विरोध काफी हद तक खत्म हो जाएगा। निर्मोही अखाड़ा के रास मंडल आश्रम के महंत लाडली शरण महाराज ने बताया कि समय के अनुसार परिवर्तन होता है। पर्यटकों की संख्या में इजाफा हो रहा है। आज ब्रजवासी अपने लाडले के नित्य दर्शन नहीं कर पा रहे। उनको लाइन में लगना पड़ता है। बांके बिहारी का नाम ही तो विश्व प्रसिद्ध है। कॉरिडोर के निर्णय को मान्य करते हैं। अब जानिए सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा बांके बिहारी कॉरिडोर के लिए इन रास्तों को किया जाना है चौड़ा अब कुंज गलियों को जानते हैं, इनका आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व क्या है... 'धन्यम् वृंदावनम् तेन, भक्ति नृत्यति यत्र च' यह श्लोक श्रीमद्भागवत का है। मतलब- वो वृंदावन धाम धन्य है, जहां हर ओर साक्षात भक्ति महारानी नृत्य करती हैं। वृंदावन शब्द संस्कृत का है। इसका अर्थ…वनों का समूह भी होता है। लेकिन, आज का वृंदावन गलियों का समूह है। इन गलियों के वर्तमान प्रमाणिक प्रमाण 500 साल पुराने हैं। लेकिन, गलियों का इतिहास करीब 5255 साल (भगवान कृष्ण के जन्म से) पुराना है। इनके तमाम नाम भी हैं। ये वही गलियां हैं, जहां भगवान खेलते थे, रास रचाते थे, माखन चुराते थे। वृंदावन के हर घर में ठाकुर जी विराजते हैं, सप्त-देवालय भी यहीं है वृंदावन में करीब साढ़े 5 हजार मंदिर हैं। प्रमुख मंदिरों में कुंज गलियों में घूमते हुए आसानी से दर्शन कर सकते हैं। यहां हर घर में ठाकुरजी विराजते हैं। इनमें सप्त-देवालय (7 मंदिर) गोविंद देव, गोपीनाथ, मदन मोहन मंदिर, राधा दामोदर मंदिर, राधाश्याम सुंदर मंदिर, गोकुलानंद मंदिर, राधारमण मंदिर शामिल हैं। इन मंदिरों की स्थापना वृंदावन में चैतन्य महाप्रभु के शिष्यों ने की थी। हरित्रयी संप्रदाय के बांके बिहारी, राधा वल्लभ, किशोर वन, युगल किशोर मंदिर, अष्ट सखी मंदिर, कात्यायनी मंदिर, रंगजी मंदिर, इस्कॉन टेंपल, प्रेम मंदिर, माता वैष्णो मंदिर शामिल हैं। वृंदावन कॉरिडोर से नुकसान क्या हैं? ज्ञानेंद्र गोस्वामी कहते हैं- कॉरिडोर बनाने से यहां के प्राचीन तत्व समाप्त हो जाएंगे। यहां सेल्फी प्वाइंट बनाने से कोई फायदा नहीं है। टूरिस्ट सिर्फ आएं और फोटो खिंचवाकर चले जाएं। मैंने अयोध्या, उज्जैन, काशी जाकर देखा, वहां कॉरिडोर बनने के बाद भी मंदिर में प्रवेश की जगह उतनी ही है। जब प्रवेश उतना ही होना है, तो भक्त फिर आसानी से जा सकते हैं। जिस किसी की वजह से यहां हादसा हुआ था, उसमें से किसी को तो सजा हुई नहीं, बस कॉरिडोर थोप दिया गया। क्या जांच हुई, उसे ओपन नहीं किया गया। वृंदावन कॉरिडोर में 300 मंदिर और घर आ रहे हैं बांके बिहारीजी के बारे में जानते हैं- ------------------------ यह खबर भी पढ़ें : 500 करोड़ के बांके बिहारी कॉरिडोर को SC की मंजूरी, पैसा मंदिर के खजाने से लिया जाएगा, भगवान के नाम पर होगी जमीन बांके बिहारी मंदिर के खजाने से कॉरिडोर बनाए जाने का रास्ता साफ हो गया है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कॉरिडोर बनाने की मंजूरी दे दी। अब 5 एकड़ में भव्य कॉरिडोर बनाया जाएगा। कोर्ट ने यूपी सरकार को मंदिर के 500 करोड़ रुपए से कॉरिडोर के लिए मंदिर के पास 5 एकड़ जमीन अधिगृहीत करने की इजाजत दी। साथ ही शर्त लगाई कि अधिगृहीत भूमि भगवान के नाम पर पंजीकृत होगी। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को भी संशोधित किया। हाईकोर्ट ने मंदिर के आसपास की भूमि को सरकारी धन का उपयोग करके खरीदने पर रोक लगा दी थी। पढ़िए पूरी खबर...
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