Search…

    Saved articles

    You have not yet added any article to your bookmarks!

    Browse articles
    Select News Languages

    GDPR Compliance

    We use cookies to ensure you get the best experience on our website. By continuing to use our site, you accept our use of cookies, Privacy Policies, and Terms of Service.

    भारत-चीन में तनाव के बाद अब रिश्ते सुधर रहे:लगातार हाई लेवल मीटिंग से आर्थिक संबंध मजबूत हुए, पूर्व डीजीपी भास्कर ज्योति महंता का कॉलम

    15 hours ago

    1

    0

    भारत-चीन के बीच लंबे समय से बढ़ते तनाव और हिमालयी क्षेत्रों में सैन्य गतिरोध के बाद अब दोनों देशों के रिश्तों में चौकस और व्यावहारिक बदलाव दिखाई दे रहा है। अक्टूबर 2024 में हुए बॉर्डर पेट्रोलिंग समझौते ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम रखा। इसके तहत सैनिकों की पीछे हटने की प्रक्रिया और बफर जोन बनाकर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर स्थिरता लौटाई गई। जबकि पूर्ण सीमा समाधान अब भी दूर है, यह कदम उच्च स्तरीय राजनीतिक संवाद के लिए रास्ता खोलता है। रिटायर्ड डीजीपी भास्कर ज्योति महंता ने भारत-चीन संबंधों को लेकर लेख में इन विषयों पर अपनी बात रखी है। बता दें कि चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने मंगलवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी और NSA अजित डोभाल से मुलाकात की। आर्थिक रिश्तों में मजबूती रणनीतिक मतभेद के बावजूद, भारत और चीन के आर्थिक संबंध मजबूत हो रहे हैं। वित्तीय वर्ष 2024 में चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया। हालांकि, व्यापार घाटा बढ़ता जा रहा है। चीन ने हाल ही में यूरिया जैसे प्रमुख उत्पादों के निर्यात पर प्रतिबंधों में ढील दी है, जिससे भारत को फायदा मिला। वैश्विक राजनीति और अमेरिकी संरक्षणवाद भी दोनों देशों को साझेदारी की ओर प्रेरित कर रहे हैं।' कूटनीतिक पहल और उच्चस्तरीय वार्ता NSA अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी की बैठक उच्चस्तरीय संवाद की मिसाल है। डोभाल ने कहा, "सीमाएं शांत हैं," जिससे यह संकेत मिला कि अब दोनों पक्ष सैन्य टकराव के बजाय कूटनीति को प्राथमिकता देंगे। विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात, साथ ही और वांग यी और प्रधानमंत्री मोदी की बातचीत से भी दोनों देशों की गंभीरता स्पष्ट हुई। भारत की अपेक्षाएं और हकीकत भारत चाहता है कि सीमा विवाद स्थायी समाधान पाए, व्यापार घाटा घटे और पड़ोसी देशों में चीन की रणनीति सीमित हो। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि पूर्ण समाधान अभी दूर है। व्यापारिक मोर्चे पर भी चीन अपनी आर्थिक श्रेष्ठता बनाए रखने की कोशिश करेगा। भारत को सीमित लाभ, जैसे कुछ उत्पादों के लिए बेहतर बाजार पहुंच और तकनीकी प्रतिस्पर्धा पर ध्यान देना होगा। रणनीतिक संतुलन और भविष्य अब भारत-चीन संबंध सावधानीपूर्ण संतुलन पर आधारित हैं। आर्थिक सहयोग और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के बीच तालमेल बनाए रखना चुनौतीपूर्ण है। उद्देश्य यह है कि मतभेद विवाद में और प्रतिस्पर्धा संघर्ष में न बदलें, साथ ही दीर्घकालिक रणनीतिक हितों की रक्षा हो। भारतीय महासागर क्षेत्र में प्रभाव बढ़ाना और पड़ोसी देशों के साथ सहयोग मजबूत करना भारत की रणनीति का अहम हिस्सा होगा। ------------------------------------- भारत-चीन संबंधों को लेकर ये खबर भी पढ़े... भारत-चीन सीमा विवाद हल करने के लिए एक्सपर्ट कमेटी बनाएंगे:चीन रेयर अर्थ मेटल देने को भी तैयार; मोदी-डोभाल से मिले चीनी विदेश मंत्री भारत और चीन ने सीमा विवाद हल करने के लिए एक्सपर्ट कमेटी बनाने का फैसला किया है। यह कमेटी जल्द से जल्द बॉर्डर निर्धारण के लिए हल ढूंढेगी। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने मंगलवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी और NSA अजित डोभाल से मुलाकात की, जिसके बाद यह फैसला लिया गया। पूरी खबर पढ़ें...
    Click here to Read more
    Prev Article
    साय-मंत्रिमंडल में 3 नए मंत्री...राजेश, खुशवंत, गजेंद्र ने ली शपथ:इनमें 2 पूर्व कांग्रेसी, राजभवन के बाहर ढोल-नगाड़ों की थाप पर समर्थक थिरके, आतिशबाजी की
    Next Article
    किन्नर-कैलाश यात्रा स्थगित, एक श्रद्धालु की मौत:कुल्लू में बादल फटा, 3 दुकानें बहीं; लैंडस्लाइड से मंत्रियों के आवास को खतरा

    Related Politics Updates:

    Comments (0)

      Leave a Comment