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    बांके बिहारी कॉरिडोर को लेकर SC का कड़ा रुख:पूछा- दो पक्षों की लड़ाई में राज्य क्यों कूदा, ये कानून का ब्रेक डाउन जैसा

    2 months ago

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    बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख दिखाया। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा- दो निजी पक्षों की लड़ाई में राज्य क्यों कूदा? ये कानून का ब्रेक डाउन जैसा लगता है। कोर्ट कॉरिडोर के निर्माण और इसमें मंदिर फंड के इस्तेमाल के आदेश से जुड़े मामले में मंदिर सेवायत की याचिका पर विचार करने को तैयार हो गया है। अब अगली सुनवाई 29 जुलाई को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से मंदिर कॉरिडोर को लेकर 26 मई के अध्यादेश की कॉपी और प्रोजेक्ट की रूपरेखा का हलफनामा मांगा है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता मंदिर सेवायत ने कहा- कॉरिडोर को लेकर फैसला देते समय सुप्रीम कोर्ट ने उनका पक्ष नहीं सुना। कोर्ट ने राज्य सरकार को नए अध्यादेश के मुताबिक काम करने की इजाजत दे दी है। कोर्ट ने 15 मई को थी कॉरिडोर को स्वीकृति बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर को लेकर 15 मई को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकृति दी थी। सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने अपने आदेश में कहा था कि कॉरिडोर के लिए जमीन ली जाए, वह मंदिर के कोष से ली जा सकती है। लेकिन, वह जमीन बांके बिहारी जी के नाम से ली जाएगी। इस फैसले के विरोध में मंदिर के पुजारी ने मुख्य न्यायाधीश की अदालत में पुनर्विचार याचिका दाखिल की। इस पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल ने बहस की। सेवायत देवेंद्र गोस्वामी की तरफ से दाखिल पुनर्विचार याचिका पर कोर्ट संख्या-5 में सुनवाई हुई। याची का कहना है कि उनको सुने बिना कोर्ट ने एकतरफा आदेश दे दिया था। जबकि इस मामले में उनका भी पक्ष सुना जाना था। एक दिन पहले बांके बिहारी मंदिर का यूपी सरकार ने ट्रस्ट बनाया बांके बिहारी मंदिर के लिए यूपी सरकार ने ट्रस्ट बना दिया है। प्रमुख सचिव अतुल श्रीवास्तव ने यह आदेश जारी किया। इस ट्रस्ट के काम भी तय किए गए हैं। अब ट्रस्ट के पदाधिकारी ही तय करेंगे कि पूजा व्यवस्था कैसी होगी? त्योहारों पर मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था कैसी रहेगी? इस ट्रस्ट का कामकाज देखने के लिए मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) को तैनात किया गया है। ट्रस्ट में 18 सदस्य होंगे। अधिसूचना के अनुसार, बोर्ड में 4 तरह के सदस्य होंगे। पदेन सदस्य के रूप में 7 अधिकारी होंगे। वहीं 11 अन्य सदस्य प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल किए जाएंगे। ट्रस्ट में वैष्णव परंपरा, संप्रदाय या पीठों से संबंधित 6 लोग शामिल होंगे। 3 सदस्य शिक्षाविद्, उद्यमी, समाजसेवी होंगे। मंदिर के गोस्वामी परंपरा से 2 सदस्य होंगे। सूत्रों का कहना है कि एक-दो दिन में योगी सरकार श्री बांके बिहारी जी मंदिर न्यास के सीईओ पद पर किसी वरिष्ठ अधिकारी की नियुक्ति कर सकती है। 500 करोड़ के बांके बिहारी कॉरिडोर को SC की मिल चुकी है मंजूरी 15 मई को बांके बिहारी मंदिर के खजाने से कॉरिडोर बनाए जाने का रास्ता साफ हो गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कॉरिडोर बनाने की मंजूरी दे दी थी। इसके बाद अब 5 एकड़ में भव्य कॉरिडोर बनाया जाएगा। कोर्ट ने यूपी सरकार को मंदिर के 500 करोड़ रुपए से कॉरिडोर के लिए मंदिर के पास 5 एकड़ जमीन अधिगृहीत करने की इजाजत दी थी। साथ ही शर्त लगाई थी कि अधिगृहीत भूमि भगवान के नाम पर पंजीकृत होगी। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को भी संशोधित किया था। हाईकोर्ट ने मंदिर के आसपास की भूमि को सरकारी धन का उपयोग करके खरीदने पर रोक लगा दी थी। बांके बिहारी कॉरिडोर को लेकर हाईकोर्ट के आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट में ईश्वर चंद्र शर्मा ने याचिका दाखिल की थी। इसमें दो मुद्दे रखे गए थे। पहला- रिसीवर को लेकर, दूसरा- कॉरिडोर निर्माण को लेकर। इन दोनों मुद्दों पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया। मंदिर के खजाने से खरीदी जाएगी कॉरिडोर के लिए जमीन बांके बिहारी कॉरिडोर बनाने के लिए प्रदेश सरकार मंदिर के खजाने की राशि से कॉरिडोर के लिए जमीन खरीदना चाहती थी। लेकिन, इसका मंदिर के गोस्वामियों ने विरोध किया और मामला हाईकोर्ट पहुंच गया था। हाइकोर्ट ने मंदिर के खजाने की राशि के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी। इसके बाद याचिकाकर्ता ईश्वर चंद्र शर्मा सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और कॉरिडोर को लेकर याचिका दाखिल की थी। इसके बाद 15 मई को सुप्रीम कोर्ट ने दिए आदेश में कहा था कि मंदिर के खजाने से कॉरिडोर की जमीन खरीदने के लिए पैसा लिया जा सकेगा। 500 करोड़ रुपए से बनेगा कॉरिडोर बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर बनाने के लिए 500 करोड़ रुपए खर्च होगा। यह खर्च भूमि अधिग्रहण के लिए किया जाएगा। बांके बिहारी मंदिर के खजाने में करीब 450 करोड़ रुपए हैं। इसी धनराशि से कॉरिडोर के लिए जमीन खरीदी जाएगी। इस जमीन को अधिगृहीत करने में जिनके मकान और दुकान आएंगे, उन्हें मुआवजा दिया जाएगा। अब बड़ा सवाल, आखिर यूपी सरकार कॉरिडोर बनाना क्यों चाहती है... साल 2022 में जन्माष्टमी पर बांके बिहारी मंदिर में मंगला आरती के दौरान भीड़ के चलते दम घुटने से 2 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। 8 से ज्यादा श्रद्धालु घायल हो गए थे। इसके बाद प्रदेश सरकार ने 2 सदस्यीय कमेटी बनाई थी। हादसे की जांच के साथ श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा देने के बारे में रिपोर्ट मांगी। पूर्व DGP सुलखान सिंह की अध्यक्षता में कमेटी बनी, जिसने रिपोर्ट में श्रद्धालुओं की भीड़ देखते हुए कॉरिडोर बनाने की बात कही थी। ................... यह भी पढ़ें : 500 साल पुरानी कुंज गलियों पर संकट, बांके बिहारी कॉरिडोर पर पुजारी बोले- ठाकुरजी के पैसों पर सरकार की नजर मथुरा-वृंदावन में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जद में आने वाले 3500 लोग परेशान हैं। 600 करोड़ के प्रोजेक्ट को लेकर कमिश्नर और DM ने कैबिनेट मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी के साथ मिलकर ब्लू प्रिंट फाइनल कर दिया गया। अब मंदिर के आसपास के 300 मकान और 100 दुकान का सर्वे शुरू हो रहा है। पढ़िए पूरी खबर...
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