पंजाब में आई भीषण बाढ़ का पानी अब धीरे-धीरे उतर रहा है। बाढ़ प्रभावित गांवों में जिंदगी भी धीरे-धीरे सामान्य हो रही है। जो लोग पलायन कर गए थे या सुरक्षित स्थान पर चले गए थे, वे अब अपने-अपने घरों को लौट रहे हैं। मगर, बाढ़ से बने हालात देखकर इन लोगों को घर लौटने की संतुष्टि कम, भविष्य की चिंता ज्यादा सता रही है। जाते वक्त जिन घरों को वे अच्छी खासी हालात में छोड़ गए थे, वे अब रहने लायक नहीं बचे। अमृतसर के गांव अजनाला में 1 करोड़ के घर की मालकिन सुखजिंदर कौर अब तंबू लगाकर रहने को मजबूर है। सुखजिंदर बताती हैं- मैं कितने दिन अपने किसी रिश्तेदार के घर रुकती, आखिर मुझे लौटना ही था। अब मैं अपने बिखरे सपनों के घर के पास ही तंबू में रह रही हूं, जहां से हर वक्त क्षतिग्रस्त हो चुके मकान को देखती रहती हूं। बाढ़ के बाद यहां की जमीनों में रेत और कीचड़ जमा है, जिससे खेती करना संभव नहीं लग रहा है। किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें है कि कैसे परिवार का गुजारा चलेगा। आर्थिक हालत मांग कर खाने वालों के जैसी हो गई है। ये कहानी सिर्फ अमृतसर के अजनाला, घोनेवाल, माछीवाल तक ही सीमित नहीं है। हर गांव में जहां बाढ़ के पानी ने कहर बरपाया, आज लोग अपने लिए लड़ रहे हैं, ताकि परिवार को छत दे सकें। दैनिक भास्कर एप की टीम ने इन्हीं बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा किया। लोग अपनी जिंदगी को पटरी पर लाने की जद्दोजहद में जुटे हैं। सड़क से लेकर घर और स्कूल से लेकर खेतों तक हालात विकट हैं। प्रभावित लोग बताते हैं कि सरकार की ओर से जो मदद मिल रही है, वह नाकाफी है। ग्रामीणों की इसी व्यथा को बताती पूरी रिपोर्ट पढ़िए... अमृतसर क्षेत्र के गांवों में बाढ़ के बाद के PHOTOS.... महिला बोली- 11 साल में बनी थी कोठी, सब तहस नहस हुआ
सुखजिंदर कौर ने कहा कि उसके 2 बेटे हैं। एक इटली में रहता है और दूसरा गांव में ही काम करता है। साल 2014 में उन्होंने एक बड़ी कोठी बनवाने का काम शुरू किया था, जो कई सालों की मेहनत और इंतजार के बाद 2025 में जाकर पूरी तरह तैयार हुई। मगर, अफसोस कोठी तैयार होने के कुछ ही समय बाद आई भयंकर बाढ़ ने सब कुछ तहस-नहस कर दिया। इटली में रहने वाला बेटा पूरे 9 साल बाद अपने घर लौटने वाला था। लेकिन उसके आने से पहले ही यह बड़ा हादसा हो गया। उसकी वापसी की खुशी अब एक गहरे दुख में बदल गई। घर रहने लायक नहीं, धान तबाह, दिहाड़ी भी नहीं मिल रही... गांव घोनेवाल के जरनैल सिंह ने बताया कि तबाही के दिन रात सोते समय पानी आ गया था। तभी घोनेवाल गांव के धुस्सी बांध टूटने शुरू हुए। एक के बाद एक 5 बांध टूट गए। फसलों के साथ पशु भी बह गए और कुछ लोगों की जान भी चली गई। ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में बच्चों, बुजुर्गों और औरतों को निकालकर ऊंचाई पर ठहराया गया। कई घंटों तक खड़े-खड़े पानी में बचाव दल का इंतजार करना पड़ा था। सुरजीत कौर बोली- “घर कच्चा था। बाड़ का पानी आया तो घर के बर्तन, अनाज, राशन सब मिट्टी में दब गया।” जिनका घर सुरक्षित था, वे भी छतों पर कई दिन रुके। इसके बाद जिला प्रशासन की मदद से स्कूल या ऊंची सड़कों पर अस्थाई शरण मिली। गांवों के लोग सगे-रिश्तेदारों के यहां पहुंच गए। किसान जरनैल सिंह ने बताया कि अजनाला सहित अमृतसर क्षेत्र में हजारों हेक्टेयर में धान, गन्ना, सब्जियां नष्ट हो गईं। खेतों में अब रेत इकट्ठी हो चुकी है। खेतों से रेत निकालने के लिए सरकार ने अनुमति दी है, लेकिन उसमें अभी समय लगेगा। उन्होंने कहा कि अभी भी कई घरों-गलियों में कीचड़, गंदगी और दुर्गंध है। घरों के फर्नीचर, कपड़े, अनाज सब खराब हो गया। कई जगहों पर बिजली, पीने का पानी और शौचालय अब भी चालू नहीं हुए हैं। माछीवाल गांव के रहने वाले अब्दुल ने कहा कि 6 महीने पहले ही उन्होंने घर बनवाया था। मगर बाढ़ के पानी से सब तबाह हो गया। घर का सारा सामान खराब हो गया है। एक बाढ़ ने उनकी कई सालों की मेहनत को खत्म कर दिया है। इसी गांव की रहने वाली सुमन ने अपने घर की हालत दिखाई, जो बद से बदतर हो चुकी है। उसने कहा कि रहने को घर भी नहीं है। किसी के घर में रहकर गुजारा कर रहे हैं। बुजुर्ग सरोज ने भावुक होकर कहा न तो मेरा पति है और न ही कोई बच्चा। अकेले ही जैसे-तैसे गुजारा कर रही हूं। जिस घर में रह रही थी, अब वो घर रहने लायक नहीं बचा है। बाढ़ ने सब कुछ तबाह कर दिया है। हरमन प्रीत सिंह ने कहा कि स्कूलों का भवन, फर्नीचर और किताबें भी पानी में खराब हो चुकी हैं। स्कूल खुल चुके हैं। लेकिन बच्चे अपने घरों से आते नहीं। बच्चों की पढ़ाई ठप हो गई है। जो लोग दिहाड़ी करते थे, वे सभी बेरोजगार हैं। अब धान की कटाई शुरू होनी थी और उन्हें रोजगार मिलना था। लेकिन अब कोई आस नहीं बची। सरकार की ओर से बाढ़ प्रभावितों के लिए उठाए गए कदम... DC साक्षी साहनी ने कहा- प्रशासन हर स्तर पर बाढ़ प्रभावित परिवारों की मदद के लिए प्रतिबद्ध है और इस तरह के कार्यक्रमों से उनका जीवन सामान्य करने में मदद मिलेगी। पूरे पंजाब में बाढ़ से ऐसे बन गए थे हालात.... पंजाब के 2555 से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में
अमृतसर में कुल 196 गांव बाढ़ से प्रभावित हुए। बरनाला में 121, बठिंडा में 21 और फरीदकोट में 15 गांव पानी में डूबे। फाजिल्का में 111, फिरोजपुर में 108, गुरदासपुर में सबसे अधिक 343 गांव प्रभावित हुए। होशियारपुर में 350, जालंधर में 93, कपूरथला में 149 और लुधियाना में 131 गांव बाढ़ की मार झेल रहे हैं। मालेरकोटला में 12, मानसा में 129, मोगा में 78, पठानकोट में 88 गांव प्रभावित हुए। इसके अलावा पटियाला में 140, रूपनगर में 107, संगरूर में 144, एसएएस नगर (मोहाली) में 15, एसबीएस नगर (नवांशहर) में 28, श्री मुक्तसर साहिब में 106 और तरनतारन में 70 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। प्रभावित फसलों का क्षेत्रफल (हेक्टेयर में)
अमृतसर में लगभग 27,154 हेक्टेयर, बठिंडा में 586.79, फाजिल्का में 26,335.7, फिरोजपुर में 17,257.4 और गुरदासपुर में 40,169 हेक्टेयर कृषि भूमि बाढ़ से प्रभावित हुई। होशियारपुर में 8,322, जालंधर में 4,800, कपूरथला में 17,574.283 और लुधियाना में 189 हेक्टेयर क्षेत्रफल बाढ़ की चपेट में आया। मानसा में 12,294.62, मोगा में 2,240, पठानकोट में 2,442 और पटियाला में 17,690 हेक्टेयर प्रभावित है। रूपनगर में 1,135, संगरूर में 6,560, एसएएस नगर में 2,000, एसबीएस नगर में 188.31 और तरनतारन में 12,828 हेक्टेयर में फसल बाढ़ से बर्बाद हो गई। कुल मिलाकर 1,99,926.2 हेक्टेयर क्षेत्रफल प्रभावित हुआ।
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