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    जस्टिस वर्मा कैश कांड- FIR की मांग वाली याचिका खारिज:सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मामला राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री के पास, पहले उनसे गुहार लगाएं

    2 months ago

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    कैश मामले में घिरे इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ FIR की मांग वाली याचिका बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि, ये मामला प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के पास है। आप पहले जाकर उनसे गुहार लगाएं। फिर हमारे पास आएं। CJI बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। FIR की मांग वाली याचिका एडवोकेट मैथ्यूज नेडुमपारा ने लगाई थी। दरअसल, जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित घर में 14 मार्च की रात आग लगी थी। उनके घर के स्टोर रूम से 500-500 रुपए के जले नोटों के बंडलों से भरे बोरे मिले थे। CJI ने PM-राष्ट्रपति को रिपोर्ट सौंपी भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने तीन सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेज दी है। सुप्रीम कोर्ट की प्रेस रिलीज के मुताबिक, 3 मई 2025 को तैयार की गई इस रिपोर्ट के साथ जस्टिस वर्मा का 6 मई का जवाब भी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजा गया है। 22 मार्च को इस मामले में सीजेआई ने जांच समिति बनाई थी, जिसमें पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागु, हिमाचल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जस्टिस अनु शिवरामण शामिल थीं। कमेटी ने 3 मई को रिपोर्ट तैयार की और 4 मई को CJI को सौंपी थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ट्रांसफर के विरोध में 23 मार्च को जस्टिस यशवंत वर्मा को वापस इलाहाबाद भेजने की बात का इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने विरोध किया था। बार ने जनरल हाउस मीटिंग बुलाई थी, जिसमें जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की मांग का प्रस्ताव पारित किया गया था। साथ ही मामले की जांच ED और CBI से कराने की मांग का भी प्रस्ताव पारित किया गया था। प्रस्ताव की कॉपी सुप्रीम कोर्ट CJI को भी भेजी गई थी। 23 मार्च को ही जस्टिस वर्मा से दिल्ली हाईकोर्ट ने कार्यभार वापस ले लिया था। एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने 27 मार्च को CJI संजीव खन्ना और कॉलेजियम के सदस्यों से मिलकर ट्रांसफर पर पुनर्विचार करने की मांग की थी। जस्टिस यशवंत वर्मा इलाहाबाद हाईकोर्ट में ही बतौर जज नियुक्त हुए थे। इसके बाद अक्टूबर 2021 में उनका दिल्ली हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया था। जज बनने से पहले वह इलाहाबाद हाईकोर्ट में राज्य सरकार के चीफ स्टैंडिंग काउंसिल भी रहे हैं। 28 मार्च- जांच कमेटी के सामने जस्टिस वर्मा की पेशी हुई थी 28 मार्च को जांच कमेटी के सामने जस्टिस वर्मा की पेशी हुई थी। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अनु शिवरामन मौजूद रहे थे। जस्टिस वर्मा से उनके घर में आग लगने और कैश के बारे में पूछताछ की गई थी। 2018 में भी 97.85 करोड़ रुपए के घोटाले में नाम जुड़ा था इससे पहले 2018 में गाजियाबाद की सिम्भावली शुगर मिल में गड़बड़ी के मामले में जस्टिस वर्मा के खिलाफ CBI ने FIR दर्ज की थी। NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स ने मिल में गड़बड़ी की शिकायत की थी। शिकायत में कहा था कि शुगर मिल ने किसानों के लिए जारी किए गए 97.85 करोड़ रुपए के लोन का गलत इस्तेमाल किया है। जस्टिस वर्मा तब कंपनी के नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर थे। इस मामले में CBI ने जांच शुरू की थी। हालांकि जांच धीमी होती चली गई। फरवरी 2024 में एक अदालत ने CBI को बंद पड़ी जांच दोबारा शुरू करने का आदेश दिया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को पलट दिया और CBI ने जांच बंद कर दी। .................................... सुप्रीम कोर्ट से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में 15 मई को सुनवाई: केंद्र का हलफनामा- 12 साल में वक्फ संपत्ति 20 लाख एकड़ बढ़ी वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई टल गई है। अगली सुनवाई 15 मई को होगी। इससे पहले 17 अप्रैल को कोर्ट ने केंद्र को जवाब देने के लिए सात दिन का समय दिया था। साथ ही अगली सुनवाई तक वक्फ बोर्ड में नई नियुक्तियों पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र का जवाब आने तक वक्फ घोषित संपत्ति पर यथास्थिति बनाए रखने को कहा था। पूरी खबर पढ़ें...
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