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    कनाडा में रिपब्लिक ऑफ खालिस्तान एंबेसी पर विवाद बढ़ा:1.50 लाख डॉलर से बनी बिल्डिंग में अलगाववादी प्रचार, रेडियो प्रमुख ने PM कार्नी को भेजा पत्र

    4 days ago

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    कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत के सरे शहर स्थित गुरु नानक सिख गुरुद्वारा कॉम्प्लेक्स में 'रिपब्लिक ऑफ खालिस्तान' के नाम से एंबेसी ऑफ खालिस्तान का बोर्ड लगाए जाने से नया विवाद खड़ा हो गया है। इस कदम ने न सिर्फ स्थानीय राजनीति, बल्कि भारत-कनाडा संबंधों में भी हलचल मचा दी है। इस पर कड़ा एतराज जताते हुए कनाडा के रेडियो स्टेशन प्रमुख मनिंदर गिल ने कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी और ब्रिटिश कोलंबिया के प्रांतीय नेताओं को एक सख्त पत्र भेजा है। पत्र में उन्होंने तत्काल जांच और सख्त कार्रवाई की मांग की है। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए इसे लेकर भारतीय पक्ष की भी नजर बनी हुई है। अभी तक कनाडा सरकार की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। सरकारी फंड से बनी इमारत पर खालिस्तान का बोर्ड मनिंदर गिल ने अपने पत्र में कहा- यह इमारत मूल रूप से एक सामुदायिक केंद्र के रूप में बनाई गई थी, जिसके लिए ब्रिटिश कोलंबिया सरकार ने 150,000 कनाडाई डॉलर दिए गए थे। भारतीय रुपए में ये 95 लाख रुपए बनते हैं। इस इमारत में हाल ही में इसी सरकारी सहायता से लगभग 1.5 लाख डॉलर की लागत से एक लिफ्ट भी लगाई गई थी। यह बिल्डिंग चैरिटी के तौर पर रजिस्टर्ड है और इसका उद्देश्य न केवल सिख समुदाय बल्कि दुनियाभर के अन्य समुदायों के लिए भी सुविधाएं उपलब्ध कराना था। अब इस इमारत के बाहर रिपब्लिक ऑफ खालिस्तान और एंबेसी ऑफ खालिस्तान के बोर्ड लगाए गए हैं। गिल का कहना है कि इस तरह का कदम न केवल प्रांतीय अनुदान का दुरुपयोग है बल्कि यह कनाडा सरकार की छवि पर भी सवाल उठाता है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि करदाताओं के पैसों से बनी सामुदायिक संरचना को आतंकवादी या अलगाववादी एजेंडा फैलाने के लिए इस्तेमाल करना अस्वीकार्य है। गिल की सरकार से सख्त मांग गिल ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि इस इमारत का इस्तेमाल खुलेआम खालिस्तानी प्रचार के लिए किया जा रहा है, जो कि कनाडा जैसे लोकतांत्रिक और बहुसांस्कृतिक देश के लिए गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने यह भी कहा कि यह एक रजिस्टर्ड कनाडाई चैरिटी है, जो अब एक सहयोगी देश यानी भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ काम कर रही है। गिल ने यह भी जोड़ा कि उन्होंने पहले भी कनाडा की पिछली सरकारों को इस बिल्डिंग में हो रही गतिविधियों को लेकर कई बार पत्र लिखे थे, लेकिन तब कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। अब जबकि ‘एंबेसी ऑफ खालिस्तान’ का बोर्ड सार्वजनिक रूप से लगा दिया गया है, सरकार को तुरंत इस पर जवाब देना होगा। भारत विरोधी एजेंडा चला रही कुछ अलगाववादी संस्थाएं यह मामला केवल कनाडा तक सीमित नहीं है। भारत और कनाडा के बीच खालिस्तान समर्थक गतिविधियां लंबे समय से एक संवेदनशील मुद्दा रही हैं। भारत लगातार यह कहता रहा है कि कनाडा में मौजूद कुछ चरमपंथी संगठन, जैसे कि ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ (SFJ), खालिस्तान रेफरेंडम जैसी गैर-आधिकारिक वोटिंग के जरिए भारत विरोधी एजेंडा चला रहे हैं। 2022 से अब तक सरे में कई बार इस तरह के रेफरेंडम आयोजित किए जा चुके हैं, जिनमें हजारों लोगों ने हिस्सा लिया है। इन घटनाओं से नई दिल्ली में गहरी चिंता है, क्योंकि इससे न केवल भारत विरोधी माहौल बनता है बल्कि यह देश की संप्रभुता और आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा भी पैदा कर सकता है।
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