पंजाब में फर्जी एनकाउंटर केस में 32 साल बाद सजा:रिटायर्ड SSP समेत 5 को उम्रकैद; 7 युवकों की हत्या की थी
2 days ago

पंजाब के तरनतारन में 1993 में हुए फर्जी एनकाउंटर केस में सोमवार को CBI की स्पेशल अदालत ने सजा सुनाई। कोर्ट ने रिटायर्ड SSP भूपेंद्रजीत सिंह, रिटायर्ड डीएसपी दविंदर सिंह समेत 5 पुलिस अफसरों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इन सभी पर हत्या और आपराधिक साजिश यानी IPC की धारा 302 और 120-B के तहत मुकदमा चला। पहले इस केस में 10 पुलिसकर्मियों को आरोपी बनाया गया था, लेकिन ट्रायल के दौरान 5 की मौत हो गई। 1993 में 7 युवकों को मुठभेड़ में मरा दिखाया
मामला 1993 का है, जिसमें 7 युवकों को 2 अलग-अलग मुठभेड़ में मरा हुआ दिखाया गया था। जबकि इनमें 4 स्पेशल पुलिस ऑफिसर (SPO) के पद पर तैनात थे। दोषियों ने युवकों को 27 जून 1993 को उनके घरों से उठाकर कई दिनों तक अवैध हिरासत में रखा और उन पर अत्याचार किए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर CBI को सौंपा केस
28 जुलाई 1993 को तत्कालीन डीएसपी भूपेंद्रजीत सिंह के नेतृत्व में फर्जी मुठभेड़ को अंजाम दिया गया। तरनतारन में थाना वैरोवाल व थाना सहराली में दो अलग-अलग फर्जी पुलिस मुठभेड़ की FIR दर्ज की गईं। 7 युवकों को फेक एनकाउंटर में मार दिया। सुप्रीम कोर्ट के 12 दिसंबर 1996 के आदेश के बाद यह केस सीबीआई को सौंपा गया। CBI जांच में हुआ खुलासा
2 जुलाई 1993 को पंजाब पुलिस ने दावा किया था कि तीन युवक शिंदर सिंह, देसा सिंह और सुखदेव सिंह सरकारी हथियारों के साथ फरार हो गए। इसके 10 दिन बाद यानी 12 जुलाई को तत्कालीन डीएसपी भूपेंदरजीत सिंह और इंस्पेक्टर गुरदेव सिंह के नेतृत्व में पुलिस ने एक मुठभेड़ की कहानी बनाई। पुलिस का दावा- रास्ते में हमला किया
पुलिस ने कहा कि डकैती के एक मामले में वसूली के लिए मंगल सिंह नामक व्यक्ति को घड़का गांव ले जाया जा रहा था, तभी रास्ते में आतंकवादियों ने हमला कर दिया। पुलिस के मुताबिक, दोनों तरफ से हुई गोलीबारी में मंगल सिंह, देसा सिंह, शिंदर सिंह और बलकार सिंह मारे गए। लेकिन जब मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई। दो पॉइंट्स के आधार पर समझ आया कि मुठभेड़ फर्जी थी- लावारिस बता कर दिया अंतिम संस्कार
इतना ही नहीं युवकों की पहचान मौजूद होने के बावजूद उनके शवों को लावारिस बताकर अंतिम संस्कार कर दिया गया था। CBI ने 3 साल की जांच के बाद मृतक शिंदर सिंह की पत्नी नरिंदर कौर की शिकायत के आधार पर 1999 में मामला दर्ज किया। मृतकों के परिवारों की 2 बड़ी बातें
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