सुप्रीम कोर्ट बोला- NEET PG एग्जाम एक शिफ्ट में हो:कहा- तारीख बदल सकती है, सेंटर्स भी बढ़ सकते हैं; 15 जून को होनी थी परीक्षा
2 months ago

NEET PG परीक्षा एक ही शिफ्ट में आयोजित की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को यह आदेश दिया। छात्रों ने 2 शिफ्ट में परीक्षा के खिलाफ याचिका दाखिल की थी। उनका कहना था कि 2 शिफ्ट में एग्जाम से क्वेश्चन पेपर के डिफिकल्टी लेवल में फर्क होता है, जो फेयर इवैल्युएशन नहीं है। परीक्षा में हासिल किए गए नंबर्स में भी फर्क आ जाता है। NEET PG एग्जाम 15 जून को होना है जिसके लिए एडमिट कार्ड 2 जून को जारी होंगे। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मामले की जल्द सुनवाई की है। NEET PG परीक्षा पर सुप्रीम कोर्ट के 3 निर्देश 1. एग्जाम सेंटर्स की संख्या बढ़ा सकते हैं। 2. परीक्षा की तारीख आगे बढ़ाई जा सकती है। 3. परीक्षाएं पूरी पारदर्शिता से कराने को कहा। कोर्ट रूम LIVE... याचिकाकर्ता के वकील - NEET UG का एग्जाम भी एक ही शिफ्ट में होता है, जबकि इसमें स्टूडेंट्स की संख्या बहुत ज्यादा है। NBEMS - अगर वाकई कोई समस्या है, तो और स्टूडेंट्स ने शिकायत क्यों नहीं की? सुप्रीम कोर्ट बेंच (NBEMS से)- आपको ऑनलाइन एग्जाम लेने की क्या जरूरत है? ये साधारण MCQ टाइप एग्जाम है। NBEMS - पेपर का फॉर्मेट नेशनल मेडिकल कमीशन के कंसल्टेशन से तैयार किया गया है। 2.5 लाख में से कुछ ही स्टूडेंट्स ने शिकायत की है। अगर परीक्षा एक ही शिफ्ट में कराएंगे तो इसमें परेशानी हो सकती है। एग्जाम तय शेड्यूल पर नहीं हो पाएगा। याचिकाकर्ता के वकील - TCS जैसे संस्थान परीक्षा कराने के लिए सेंटर उपलब्ध करा सकते हैं। NBEMS - इससे केवल कैंडिडेट्स का ही नुकसान होगा। क्योंकि फिर हम समय पर सेशन शुरू नहीं कर पाएंगे। एग्जाम 15 जुलाई को होना है। सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। इस समय पर अगर एग्जाम पर स्टे लगता है तो पूरा सेशन लेट होगा। दोनों सेशन के क्वेश्चन पेपर का डिफिकल्ट लेवल एक ही रखा गया है। इसके बाद नॉर्मलाइजेशन भी होता है। ऐसे में अगर डिफिकल्टी लेवल में थोड़ा फर्क भी हुआ, तो स्कोर नॉर्मलाइज हो जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट बेंच - डिफिकल्टी लेवल एक कैसे हो सकता है? ये दो अलग-अलग क्वेश्चन पेपर हैं। डिफिकल्टी लेवल कभी एक नहीं हो सकता। NBEMS - हम किसी भी स्टूडेंट्स के साथ अन्याय नहीं कर रहे हैं। इस एग्जाम के लिए भी हमारे पास लिमिटेड सेंटर्स हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर, वाई-फाई, अच्छे कम्प्यूटर, सिक्योरिटी वगैरह सबका ध्यान रखा गया है। सभी परेशानियों को ध्यान में रखकर ये बेस्ट सॉल्यूशन निकाला गया है। सुप्रीम कोर्ट बेंच - अंडरग्रेजुएट (NEET UG) एग्जाम में तो स्टूडेंट्स की संख्या कहीं ज्यादा होती है? आप 2 शिफ्ट में एग्जाम क्यों करा रहे हैं? NBEMS - ये एक ऑनलाइन एग्जाम है। 2024 में NEET UG को गड़बड़ियों की वजह से कैंसिल करना पड़ा था। ऑनलाइन एग्जाम के लिए सीमित सेंटर्स होते हैं। ऐसे सभी बड़े एग्जाम्स जिसमें स्टूडेंट्स ज्यादा होते हैं, वो ऐसे ही कंडक्ट कराया जाता है। याचिकाकर्ता के वकील - इस एग्जाम से ही स्टूडेंट्स अपनी स्ट्रीम चुनते हैं। एक-एक नंबर से स्ट्रीम बदल सकती है। रेडियोलॉजी, गाइनोकोलॉजी जैसे स्ट्रीम का डिसीजन एक-एक मार्क से होता है। एक नंबर भी कम हुआ तो पसंद का कॉलेज नहीं मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट - NEET PG परीक्षा एक ही शिफ्ट में आयोजित की जाए। इसके लिए एग्जाम सेंटर्स की गिनती बढ़ाई जा सकती है।संबंधित अधिकारी इस बात का ध्यान रखें कि एग्जाम में पूरी ट्रांसपेरेंसी हो। 22 मई को कोर्ट ने जारी किए थे ट्रांसपेरेंसी के निर्देश एग्जाम में ट्रांसपेरेंसी की मांग वाली याचिका पर ही सुप्रीम कोर्ट ने 22 मई को सुनवाई की थी। इस सुनवाई में सभी प्राइवेट और डीम्ड मेडिकल यूनिवर्सिटीज को अपनी फीस डिटेल्स जारी करने का निर्देश दिया था। नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ कोर्ट गए स्टूडेंट्स NEET PG 2024 परीक्षा के एस्पिरेंट्स ने सितंबर 2024 में परीक्षा में पारदर्शिता के लिए याचिकाएं दायर की थीं। स्टूडेंट्स की मांग थी कि परीक्षा आयोजित करने वाली एजेंसी NBEMS एग्जाम के क्वेश्चन पेपर और स्टूडेंट्स की आंसर भी जारी करे। इससे कैंडिडेट्स को अपने रिजल्ट का सही आकलन करने और बेहतर तैयारी करने में मदद होगी। स्टूडेंट्स की दूसरी मांग थी कि एग्जाम एक ही शिफ्ट में हो। दो शिफ्ट में एग्जाम होने से रिजल्ट नॉर्मलाइजेशन के बाद जारी होता है जो कि फेयर नहीं है। आखिर क्या है नॉर्मलाइजेशन कई बार जब किसी एग्जाम के लिए अप्लाई करने वाले कैंडिडेट्स की संख्या ज्यादा हो जाती है तो एग्जाम कई शिफ्टों में आयोजित कराया जाता है। कई बार एग्जाम कई दिन तक चलता है। ऐसे में हर शिफ्ट में क्वेश्चन पेपर का अलग सेट स्टूडेंट्स को दिया जाता है। ऐसे में किसी स्टूडेंट को मुश्किल और किसी स्टूडेंट को आसान क्वेश्चन पेपर मिलता है। यहां सवाल उठता है कि आसान और मुश्किल कैसे तय किया जाता है। इसे ऐसे समझते हैं… किसी एग्जाम में क्वेश्चन पेपर के तीन सेट- A, B, C बांटे गए। इसमें अलग-अलग सेट सॉल्व करने वाले स्टूडेंट्स का एवरेज स्कोर कैलकुलेट किया जाएगा। मान लीजिए सेट A सॉल्व करने वाले कैंडिडेट्स का एवरेज स्कोर 70 मार्क्स है। सेट B वालों का स्कोर 75 मार्क्स है और सेट C सॉल्व करने वालों का एवरेज स्कोर 80 मार्क्स है। ऐसे में सेट C सबसे आसान और सेट A सबसे मुश्किल माना जाएगा। आसान सेट वाले कैंडिडेट्स काे नॉर्मलाइजेशन के चलते कुछ मार्क्स गंवाने पड़ेंगे और मुश्किल सेट वालों को एक्स्ट्रा मार्क्स मिलेंगे। इसके अलावा स्टूडेंट्स ने 2 शिफ्ट में परीक्षा आयोजित करने का भी विरोध किया है। स्टूडेंट्स का कहना है कि एक से ज्यादा शिफ्ट में परीक्षा होने से क्वेश्चन पेपर का डिफिकल्टी लेवल अलग-अलग होता है। इससे फेयर इवैल्युएशन नहीं हो पाता है। 52,000 सीटों के लिए परीक्षा देश भर में लगभग 52,000 पोस्ट ग्रेजुएशन सीटों के लिए हर साल लगभग दो लाख MBBS ग्रेजुएट NEET PG देते हैं। पिछले साल पहली बार NEET PG एक शिफ्ट फॉर्मेट के बजाय दो शिफ्ट में आयोजित की गई थी। 11 अगस्त को पहली शिफ्ट सुबह 9 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक और दूसरी शिफ्ट दोपहर 3:30 बजे से शाम 7 बजे तक हुई थी। ---------------- ये खबरें भी पढ़ें... 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