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    सिंधु जल संधि- पाकिस्तान ने भारत को 4 लेटर भेजे:पानी देने की गुहार लगाई; एक चिठ्ठी ऑपरेशन सिंदूर के बाद भी भेजी

    2 months ago

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    सिंधु जल संधि बहाल करने को लेकर पाकिस्तान ने अब तक भारत को चार लेटर भेजे हैं। NDTV ने सोर्स के हवाले से लिखा कि, इन चार लेटर में से एक पत्र ऑपरेशन सिंदूर के बाद भेजा गया है। सूत्रों ने बताया कि भारत से जल संधि को बहाल करने का अनुरोध करने वाले चार पत्र पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय के सचिव सैयद अली मुर्तजा ने जल शक्ति मंत्रालय को भेजे थे। जिसके बाद मंत्रालय ने उन्हें विदेश मंत्रालय (MEA) को भेज दिया। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि स्थगित कर दी थी। 1960 में भारत-पाकिस्तान के बीच एक समझौता हुआ था। जिसके तहत सिंधु वाटर सिस्टम की 3 पूर्वी नदियों का पानी भारत इस्तेमाल कर सकता है और बाकी 3 पश्चिमी नदियों के पानी पर पाकिस्तान को अधिकार दिया गया था। अब जल संधि स्थगित होने से पाकिस्तान में जल संकट मंडराने लगा है। भारत-पाकिस्तान के बीच का सिंधु जल समझौता क्या है? सिंधु नदी प्रणाली में कुल 6 नदियां हैं- सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज। इनके किनारे का इलाका करीब 11.2 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इसमें 47% जमीन पाकिस्तान, 39% जमीन भारत, 8% जमीन चीन और 6% जमीन अफगानिस्तान में है। इन सभी देशों के करीब 30 करोड़ लोग इन इलाकों में रहते हैं। 1947 में भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के पहले से ही भारत के पंजाब और पाकिस्तान के सिंध प्रांत के बीच नदियों के पानी के बंटवारे का झगड़ा शुरू हो गया था। 1947 में भारत और पाक के इंजीनियरों के बीच 'स्टैंडस्टिल समझौता' हुआ। इसके तहत दो मुख्य नहरों से पाकिस्तान को पानी मिलता रहा। ये समझौता 31 मार्च 1948 तक चला। 1 अप्रैल 1948 को जब समझौता लागू नहीं रहा तो भारत ने दोनों नहरों का पानी रोक दिया। इससे पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की 17 लाख एकड़ जमीन पर खेती बर्बाद हो गई। दोबारा हुए समझौते में भारत पानी देने को राजी हो गया। इसके बाद 1951 से लेकर 1960 तक वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में भारत पाकिस्तान में पानी के बंटवारे को लेकर बातचीत चली और आखिरकार 19 सितंबर 1960 को कराची में भारत के PM नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच दस्तखत हुए। इसे इंडस वाटर ट्रीटी या सिंधु जल संधि कहा जाता है। भारत ने इस समझौते को रद्द कर दिया या सिर्फ फिलहाल रोक लगाई है? पहलगाम में आतंकी हमले के एक दिन बाद यानी 23 अप्रैल की शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा था, CCS ने फैसला किया है कि 1960 की सिंधु जल समझौते को तत्काल प्रभाव से स्थगित किया जाएगा, जब तक कि पाकिस्तान विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से सीमापार आतंकवाद को सपोर्ट देना बंद नहीं कर देता। JNU में इंटरनेशनल स्टडीज के एसोसिएट प्रोफेसर राजन कुमार बताते हैं, 'विदेश सचिव के बयान से साफ जाहिर है कि भारत अब सिंधु जल समझौते से अलग हो गया है और इसकी शर्तें मानने के लिए बाध्य नहीं है। हालांकि, ग्राउंड पर इसके एक्शन देखने में थोड़ा समय लगेगा। दरअसल, नदियों का पानी रोकने या मोड़ने के लिए डैम, हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट या किसी और तैयारी के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना होगा।' राजन कुमार मानते हैं कि पाकिस्तान का सिस्टम ही ऐसा है कि वो आतंकवाद को नहीं रोक सकते। राजन कुमार कहते हैं, पाकिस्तान की नीयत ही नहीं है कि वो आतंकवाद को खत्म करे या भारत में किसी तरह के आतंकी हमले को रोके। वहां के सिस्टम की सोच पूरी तरह से एंटी-इंडिया है। इस माहौल में हाल के सालों में भारत और पाकिस्तान के रिश्ते सुधरने की उम्मीद न के बराबर है। यानी सिंधु जल समझौते पर भी कोई बात नहीं बनेगी। क्या भारत के पास सिंधु जल समझौते के तहत पाकिस्तान जाने वाले पानी को रोक सकता है? दरअसल, सिंधु जल समझौता एक स्थायी संधि है। इसे कोई एक देश अपनी मर्जी से रद्द नहीं कर सकता। दोनों देश मिलकर ही इसमें कोई बदलाव कर सकते हैं। हालांकि, स्ट्रैटजी एनालिस्ट ब्रह्मा चेलानी कहते हैं, वियना समझौते के लॉ ऑफ ट्रीटीज की धारा 62 के तहत भारत इस आधार पर संधि से पीछे हट सकता है कि पाकिस्तान उसके खिलाफ आतंकी गुटों का इस्तेमाल कर रहा है। इंटरनेशनल कोर्ट ने भी कहा है कि अगर मौजूदा स्थितियों में कोई बदलाव हो तो कोई भी संधि रद्द की जा सकती है। इंफ्रास्ट्रक्चर की बात इसलिए जरूरी है क्योंकि ये सभी नदियां भारत के ऊंचाई के इलाके में हैं। भारत से बहकर ही ये पाकिस्तान के इलाकों में पहुंचती हैं। पूर्वी नदियों पर भारत के 5 बड़े प्रोजेक्ट चालू, 3 की तैयारी: भारत ने पूर्वी नदियों यानी सतलुज पर भाखड़ा नागल बांध, ब्यास पर पोंग बांध, रावी पर रंजीत सागर बांध और हरिके बैराज, इंदिरा नहर जैसे प्रोजेक्ट लगाए हुए हैं। ये सभी प्रोजेक्ट चालू हैं, जिससे भारत इन नदियों के 3.3 करोड़ एकड़ फीट पानी में से करीब 94% पानी का इस्तेमाल करता है। 2019 में उरी आतंकी हमले के बाद भारत ने कहा था कि वह इन नदियों का बहाव मोड़कर 100% पानी अपने यहां इस्तेमाल करेगा। इसके बाद रावी पर शाहपुर कांडी प्रोजेक्ट, सतलुज ब्यास नहर लिंक प्रोजेक्ट और रावी की सहायक नदी पर ‘उझ डैम’ बनाया जा रहा है। हालांकि, अभी ये प्रोजेक्ट पूरी तरह बनकर तैयार नहीं हुए है। पश्चिमी नदियों पर भारत के 2 प्रोजेक्ट चालू, 2 की तैयारी: पाकिस्तान के हिस्से वाली पश्चिमी नदियों में चिनाब पर भारत ने बगलीहार डैम और रतले प्रोजेक्ट, चिनाब की एक और सहायक नदी मारुसूदर पर पाकल डुल प्रोजेक्ट और झेलम की सहायक नदी नीलम पर किशनगंगा प्रोजेक्ट शुरू किया है। इनमें से बगलीहार प्रोजेक्ट और किशनगंगा चालू हैं। सिंधु जल समझौते से पूरी तरह बाहर आने के बाद इन बांधों और परियोजनाओं के जरिए भारत वेस्टर्न रिवर्स का ज्यादा से ज्यादा पानी इस्तेमाल करना शुरू कर सकता है। हालांकि, डैम बनाकर और उनमें पानी स्टोर करके ऐसा रातोंरात नहीं किया जा सकता। पश्चिमी नदियों में पूरी सिंधु जल प्रणाली का करीब 80% पानी है। इसे अचानक रोकने से भारत के पंजाब और जम्मू-कश्मीर के इलाकों में बाढ़ की स्थिति भी बन सकती है। ------ पहलगाम हमले से जुड़ी ये भी खबर पढ़ें... गोली मारने से पहले आतंकियों ने कलमा पढ़वाया, क्या चुन-चुनकर मारे हिंदू; क्या फिर शुरू होगा कश्मीर से हिंदुओं का पलायन मीडिया रिपोर्ट्स बता रही हैं कि सेना की वर्दी और नकाब पहने आतंकियों ने टूरिस्टों से नाम पूछे, पहचान पत्र चेक किए, कलमा पढ़वाया, पैंट तक उतरवाई… और जो मुसलमान नहीं थे, उन्हें गोली मार दी।​​​​​​​ पूरी खबर पढ़िए...
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