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    ड्रीम-11, रमी, पोकर को सरकार बंद कर सकती है:लोकसभा में पेश हुआ गेमिंग बिल, इसमें तीन साल तक की जेल का भी प्रावधान

    4 hours ago

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    केंद्र सरकार ने आज यानी 20 अगस्त 2025 को लोकसभा में प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 पेश किया। ये बिल ऑनलाइन गेमिंग को रेगुलेट करने और रियल-मनी गेम्स पर पूरी तरह रोक लगाने के लिए है। कल इसे कैबिनेट से मंजूरी मिली थी। अगर संसद में ये बिल पास हो गया, तो ये सभी मनी बेस्ड ऑनलाइन गेम्स पर रोक लग जाएगी। चाहे ये गेम्स स्किल बेस्ड हों या चांस बेस्ड। यानी, फैंटेसी स्पोर्ट्स जैसे ड्रीम-11, रमी, पोकर वगैरह सब बंद हो सकते हैं। इन गेम्स का प्रचार करना भी गैरकानूनी होगा। सवाल-जवाब में इस पूरे मामले को समझते हैं… सवाल 1: इस बिल में क्या-क्या नियम हैं? जवाब: बिल में कई सख्त नियम हैं: सवाल 2: मनी बेस्ड गेम्स पर पूरी तरह से बैन क्यों लाया जा रहा है? जवाब: सरकार का कहना है कि मनी बेस्ड ऑनलाइन गेमिंग की वजह से लोगों को मानसिक और आर्थिक नुकसान हो रहा है। कुछ लोग गेमिंग की लत में इतना डूब गए कि अपनी जिंदगी की बचत तक हार गए और कुछ मामलों में तो आत्महत्या की खबरें भी सामने आईं। इसके अलावा, मनी लॉन्ड्रिंग और नेशनल सिक्योरिटी को लेकर भी चिंताएं हैं। सरकार इसे रोकने के लिए सख्त कदम उठाना चाहती है। सवाल 3: ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री पर इसका क्या असर होगा? जवाब: भारत में ऑनलाइन गेमिंग मार्केट अभी करीब 32,000 करोड़ रुपए का है। इसमें से 86% रेवेन्यू रियल मनी फॉर्मेट से आता है। 2029 तक इसके करीब 80 हजार करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद थी। लेकिन इस बैन से ड्रीम11, गेम्स24x7, विंजो, गेम्सक्राफ्ट जैसी बड़ी कंपनियां मुश्किल में पड़ सकती हैं। इंडस्ट्री के लोग कह रहे हैं कि सरकार के इस कदम से 2 लाख नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं। सरकार को हर साल करोड़ों रुपए के टैक्स का नुकसान भी हो सकता है। सवाल 4: गेमिंग कंपनियां और इंडस्ट्री बॉडीज का इस पर क्या रिएक्शन है? जवाब: गेमिंग इंडस्ट्री के लोग और संगठन, जैसे ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन (AIGF), ई-गेमिंग फेडरेशन (EGF), और फेडरेशन ऑफ इंडियन फैंटेसी स्पोर्ट्स (FIFS) इस बिल के खिलाफ हैं। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह को चिट्ठी लिखकर कहा है कि बैन की जगह "प्रोग्रेसिव रेगुलेशन" लाया जाए। उनका कहना है कि बैन से लोग गैरकानूनी और विदेशी गेमिंग साइट्स की ओर चले जाएंगे, जो न तो टैक्स देते हैं और न ही रेगुलेटेड हैं। सवाल 5: क्या इस बिल में कुछ छूट भी है? जवाब: हां, बिल में फ्री-टू-प्ले और सब्सक्रिप्शन बेस्ड गेम्स को छूट दी गई है, जहां पैसे का दांव नहीं लगता। यानी, अगर आप कोई गेम सिर्फ मनोरंजन के लिए खेलते हैं या उसका फिक्स्ड सब्सक्रिप्शन देते हैं, तो वो चल सकता है। इसके अलावा, ई-स्पोर्ट्स और नॉन-मॉनेटरी स्किल बेस्ड गेम्स को भी बढ़ावा देने की बात कही गई है। सवाल 6: पहले भी तो इसपर टैक्स की बात हुई थी, फिर ये बैन क्यों? जवाब: हां, पहले सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग पर 28% जीएसटी लगाया था और 2023 में नए क्रिमिनल प्रावधानों के तहत बिना इजाजत सट्टेबाजी को अपराध बनाया गया था। लेकिन अब सरकार का रुख टैक्स और रेगुलेशन से हटकर पूरी तरह बैन की ओर चला गया है। इंडस्ट्री के लोग इसे "गलत दिशा" में उठाया कदम बता रहे हैं। उनका कहना है कि इससे न सिर्फ वैध कंपनियां बंद होंगी, बल्कि गैरकानूनी ऑपरेटर्स को फायदा होगा। सवाल 7: क्या कोर्ट में इस बैन को चुनौती दी जा सकती है? जवाब: बिल्कुल, इंडस्ट्री के लोग पहले से ही कोर्ट का रुख कर रहे हैं। कोर्ट इसे लेकर पहले भी कह चुकी है कि स्किल बेस्ड गेम्स जैसे फैंटेसी स्पोर्ट्स और रमी को जुआ नहीं कह सकते। इंडस्ट्री का कहना है कि ये बैन संविधान के खिलाफ हो सकता है, क्योंकि ये स्किल और चांस बेस्ड गेम्स में फर्क नहीं करता। सवाल 8: आम खिलाड़ियों पर इसका क्या असर पड़ेगा? जवाब: भारत में करीब 50 करोड़ लोग ऑनलाइन गेमिंग से जुड़े हैं। अगर ये बैन लागू होता है, तो वो रेगुलेटेड प्लेटफॉर्म्स पर गेम नहीं खेल पाएंगे। इंडस्ट्री का कहना है कि इससे लोग गैरकानूनी साइट्स या विदेशी प्लेटफॉर्म्स की ओर जाएंगे, जहां कोई सुरक्षा नहीं होगी। इससे फ्रॉड, डेटा चोरी, और लत का खतरा बढ़ सकता है। साथ ही, जो लोग इन गेम्स से थोड़ा-बहुत कमा रहे थे, उनकी कमाई भी बंद हो जाएगी।
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