हरियाणा में बाढ़-बारिश या जलभराव से खराब हुई फसलों का मुआवजा मिलने की उम्मीद में बैठे किसानों को झटका लग सकता है। सरकार ने खराब फसलों का ब्योरा दर्ज कराने के लिए ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल खोला था। जिस पर 15 सितंबर तक 5 लाख किसानों ने 29.49 लाख एकड़ में खड़ी फसलों का नुकसान क्लेम किया। अब इसकी गिरदावरी व वेरिफिकेशन चल रही है। उसी के बाद मुआवजा तय होगा। अब दिक्कत उन किसानों के साथ है, जिनकी मेरी फसल मेरा ब्योरा पंजीकरण में गड़बड़ी हो गई। पोर्टल पर हरियाणा के किसानों की फसल के पंजीकरण राजस्थान और उत्तरप्रदेश के किसानों के नाम दिख रहे हैं। ऐसे में किसानों के अंदेशा है कि कहीं उनकी जगह उन लोगों के खाते में मुआवजा न चला जाए, जिनके नाम फसल पंजीकरण दिख रहा है। अब यह किसान अपनी जमीन पर ही फसल चढ़वाने के लिए तहसीलदार और कृषि विभाग के दफ्तरों में चक्कर काट रहे हैं। अब जानिए…किसान कैसे दोहरी मार से परेशान किसान बोले- पंजीकरण करवाने गए तो पता चला
हिसार के गांव लितानी के किसान सुरेंद्र लितानी, नरेंद्र कुंडू, अजित लितानी ने बताया कि जिन लोगों ने अपने खेतों का मुआवजा पाने के लिए पोर्टल पर पंजीकरण नहीं कराया था, उनकी जमीनें मेवात, राजस्थान और यूपी के लोगों के नाम पर पोर्टल दर्ज कर दी गईं हैं। जब हम अपने खेतों के मुआवजे के लिए पोर्टल पर पंजीकरण कराने पहुंचे तो उन्हें पता चला कि उनकी जमीन पहले ही किसी और के खाते में पंजीकृत है। इसी तरह गांव बिठमड़ा, खैरी, लितानी, हसनगढ़ सहित कई क्षेत्रों में ऐसे फर्जी पंजीकरण की संख्या सैकड़ों से लेकर हजारों एकड़ बताई जा रही हैं। कृषि अधिकारी बोले-पोर्टल पर ग्रीवांस का ऑप्शन
हिसार के कृषि विभाग के डिप्टी डॉयरेक्टर राजबीर सिंह ने बताया कि मेरी फसल मेरा ब्योरा पर पंजीकरण की तारीख अब निकल चुकी है। जिन किसानों की जमीन पर किसी और के नाम पंजीकरण दिखा रहा है वह तहसीलदार को भूमि के संबंधित कागज दिखाकर उसे चेंज करवा सकते हैं या फिर मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर जाकर ग्रीवांस ऑप्शन में जाकर अपनी समस्या बता सकते हैं। इससे पहले वाला पंजीकरण रद कर दिया जाएगा। अगर किसान ऐसा नहीं करते हैं तो मुआवजा संबंधित खाते में जा सकता है जो पोर्टल पर दर्ज किया गया है। किसान बोले-हमारी सारी फसल बर्बाद हो चुकी
गांव लितानी निवासी किसान नेता सुरेंद्र लितानी ने बताया कि उनके गांव की लगभग सारी फसल बर्बाद हो चुकी है, लेकिन जब किसानों ने पोर्टल पर पंजीकरण कराने की कोशिश की तो उन्हें बताया गया कि उनकी जमीन का पहले ही पंजीकरण कर दिया गया है। सुरेंद्र लितानी के अनुसार, सिर्फ उनके गांव में 500–700 एकड़ जमीन का फर्जी पंजीकरण हुआ है। इसी तरह बिठमड़ा, हसनगढ़ व खैरी गांवों के किसानों ने भी कई एकड़ जमीन के फर्जी पंजीकरण की जानकारी दी। नरेंद्र कंडू ने कहा कि कई किसानों ने सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटे पर समस्या का कोई समाधान नहीं मिला। कुरुक्षेत्र में भी ऐसा केस, एफआईआर भी दर्ज हुई
कुरुक्षेत्र में भी इसी तरह का मामला सामने आया। यहां गावं असमानपुर के गुरलाल सिंह का कहना है कि उनकी जमीन का फसल पंजीकरण धोखाधड़ी से किसी राजू यादव के नाम पर करवा दिया गया है। सरकार ने फसल बेचने के लिए पंजीकरण अनिवार्य किया हुआ है। वह खुद अपने गांव में खेती करते हैं। न ही उसने किसी राजू यादव को खेती के लिए अधिकृत किया है। शिकायत पर पुलिस ने केस किया है। भिवानी में भी दर्ज हुई एफआईआर, वहां पहले भी हुआ ऐसा
भिवानी जिले के कई गांवों की जमीनों पर मेवात और अन्य जिलों के ठगों ने फर्जी तरीके से फसल पंजीकरण करा लिया है। बताया जा रहा है कि यह गड़बड़ी कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के सहारे चल रही है। अब ऐसे मामलों में तहसीलदार के माध्यम से विशेष सत्यापन (स्पेशल वेरिफिकेशन) कराए जाने के बाद ही पंजीकरण स्वीकार किया जाएगा। जिले में करीब दो साल पहले भी इसी तरह का बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया था जिसमें 100 से अधिक लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी के केस दर्ज कराए गए थे और जांच स्टेट क्राइम ब्रांच को सौंपी गई थी। जमीन तालू के किसान की, फसल पंजीकरण मेवात का
भिवानी के सांसद धर्मबीर के पैतृक गांव तालू में ऐसे केस हैं। गांव के पूर्व जिला पार्षद ईश्वर मान ने बताया कि खेतों में जलभराव हुआ। जब वह सीएससी पर क्षतिपूर्ति पोर्टल पर फसल खराबा दर्ज कराने गए तो पता चला कि उनकी छह एकड़ फसल मेवात निवासी एक व्यक्ति के नाम पर पंजीकृत है। पोर्टल पर आरोपी का फोटो और मोबाइल नंबर तक दर्ज था।भिवानी के एसपी सुमित कुमार ने बताया कि गलत पंजीकरण करने के मामले में आई शिकायत साइबर क्राइम थाने को सौंपी गई है। एफआईआर भी दर्ज की गई है। इस तरह किया जाता है पंजीकरण
पोर्टल पर जमीन पंजीकृत करने के लिए परिवार/फैमिली आईडी और जमीन मालिक के मोबाइल नंबर पर भेजे जाने वाले OTP की आवश्यकता रहती है। मगर बताया जा रहा है कि कुछ किसानों ने दूसरे के खेत को अपने बताकर अपने किसी परिचित के नंबर पर फसल का पंजीकरण करवा लिया। इसमें सीएचसी सेंटरों की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। अगर इनके पंजीकरण को सही नहीं किया जाता है तो मुआवजे का भुगतान उन फर्जी खातों में हो सकता है। असली पीड़ितों तक मुआवजा नहीं पहुंच पाएगा। अभी 25 सितंबर तक होगा सत्यापन होगा
राजस्व विभाग के अधिकारियों का कहना है कि दावों का बहुस्तरीय सत्यापन हो रहा है। पहले चरण में पटवारी जांच कर रहे हैं। उसके बाद कानूनगो, सर्किल राजस्व अधिकारी, नायब तहसीलदार और तहसीलदारों द्वारा पुनः सत्यापन किया जाएगा। जिला राजस्व अधिकारी और एसडीएम सहित वरिष्ठ अधिकारी आगे सत्यापन करेंगे। जिलों के डीसी भी लगभग 5 प्रतिशत क्षेत्र का पुनः सत्यापन करेंगे और लगभग 2 प्रतिशत क्षेत्र का सत्यापन संभागीय आयुक्त द्वारा किया जाएगा। सरकार ने सत्यापन प्रक्रिया पूरी करने की अंतिम तिथि 25 सितंबर तय की है।
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